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Friday, 31 October, 2025
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अदालत ने सरकार को फटकारा, कहा खेल कोटे के कर्मचारियों को लंबी मुकदमेबाजी में नहीं उलझाये

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नयी दिल्ली, 31 अक्टूबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि वह खेल में बेहतरीन प्रदर्शन करके देश को पहचान और सम्मान दिलाने वाले कर्मचारियों के प्रति सरकारी अधिकारियों के ‘संवेदनहीन’ रवैये से सहमत नहीं है ।

अदालत ने अपना वेतन बढाने की मांग कर रहे एक मुक्केबाज के मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि देश के संस्थानों के दूत के रूप में काम करने वाले खिलाड़ियों के साथ ऐसा बर्ताव उन योजनाओं के मकसद को ही कमजोर करता है जो जनसेवा में खेल और मनोबल को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई हैं।

न्यायाधीश नवीन चावला और मधु जैन की पीठ ने 29 अक्टूबर के एक फैसले में कहा ,‘‘यह अदालत इस चलन पर अपनी कड़ी नाराजगी जाहिर करती है और याचिका दायर करने वाले अधिकारियों से उम्मीद करती है कि वे भविष्य में अपने उन कर्मचारियों के साथ निष्पक्षता और सम्मान से पेश आएंगे जो संगठन के लिए पदक लाते हैं, न कि उन्हें उस पहचान के लिए बेवजह मुकदमेबाजी में धकेलेंगे जो वे पहले ही हासिल कर चुके हैं।’’

अदालत ने रेलवे के जरिये केंद्र द्वारा दाखिल अपील को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की । सरकार ने केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल (कैट) के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसने अधिकारियों को उस खिलाड़ी को उसके प्रदर्शन के लिये बकाया राशि समेत वेतन में दो अतिरिक्त बढोतरी देने के आदेश दिये थे ।

अदालत ने याचिकाकर्ता पर भी 20000 रूपये का जुर्माना लगाया ।

यह मामला अजय कुमार से जुड़ा है, जो एक मुक्केबाज हैं और उन्होंने अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में भारत का प्रतिनिधित्व करके राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते हैं ।

उन्हें 2005 में उत्तर रेलवे के अंबाला डिवीजन में खेल कोटे के तहत भर्ती किया गया था,और भर्ती के समय उन्हें 17 अग्रिम वेतनवृद्धि दी गई थी । मार्च 2007 में उन्होंने हैदराबाद में 53वीं सीनियर राष्ट्रीय मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता । उन्होंने जून 2007 में मंगोलिया में एशियाई मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में कांस्य पदक हासिल किया ।

रेलवे ने 2007 में एक नीति जारी की थी जिसके तहत रेलवे में भर्ती होने वाले खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए अतिरिक्त वेतनवृद्धि देने का प्रावधान था।

इस नीति को 2010 में एक संशोधित नीति से बदल दिया गया, जिसमें यह तय किया गया कि एक रेलवे कर्मचारी को अपने पूरे कार्यकाल में खेल के आधार पर सिर्फ पांच अतिरिक्त वेतनवृद्धि दी जा सकती है । जून 2014 में कुमार ने 2007 से बकाया दो अतिरिक्त वेतनवृद्धि की मांग की जिसे रेलवे ने इस संशोधित नीति का हवाला देकर खारिज कर दिया ।

उन्होंने कैट में इसे चुनौती दी जिसने रेलवे को उन्हें दो अतिरिक्त वेतनवृद्धि देने का निर्देश दिया । रेलवे ने अदालत में इस फैसले को चुनौती दी थी लेकिन अदालत ने ट्रिब्यूनल के फैसले को बरकरार रखा ।

भाषा

मोना नमिता

नमिता

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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