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Sunday, 17 November, 2024
होमखेलT20 विश्व कप से बाहर होने के लिए गेंदबाज नहीं हैं दोषी, आंकड़े बल्लेबाजों को ठहराते हैं जिम्मेदार

T20 विश्व कप से बाहर होने के लिए गेंदबाज नहीं हैं दोषी, आंकड़े बल्लेबाजों को ठहराते हैं जिम्मेदार

भारतीय टीम की बल्लेबाजी के प्रदर्शन का विश्लेषण दिखाता है कि सलामी बल्लेबाजों की सामान्य से कम स्ट्राइक रेट के साथ-साथ बल्लेबाजी के दौरान मिली कमजोर शुरुआत की वजह से ही 'मेन इन ब्लू' के ‘विश्व विजय अभियान’ का एडिलेड के मैदान में असामयिक अंत हो गया.

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नई दिल्ली: मौजूदा टी-20 वर्ल्ड कप 2022 के सेमीफाइनल में इंग्लैंड के हाथों मिली करारी हार के बाद भारत के कप्तान रोहित शर्मा ने इस हार का सारा ठीकरा अपने गेंदबाजों पर फोड़ा.

गुरुवार को हुए मैच में इंग्लैंड द्वारा बिना एक भी विकेट गंवाए 169 रन के लक्ष्य का पीछा करने के बाद, रोहित ने कहा, ‘मेरा मानना है कि अंतिम समय में हमारी बल्लेबाजी काफी अच्छी रही और हम उस स्कोर (168) तक पहुंच सके, लेकिन हम गेंद के साथ अच्छा नहीं खेले. निश्चित रूप से यह ऐसा विकेट नहीं था जहां कोई टीम 16 ओवर में ऐसे स्कोर का पीछा कर सके. आज के दिन हम गेंद के साथ मैदान में उतरे ही नहीं.’

हालांकि भारत को पीठ की चोट के कारण इस विश्व कप से बाहर हुए अपने मुख्य स्ट्राइक गेंदबाज जसप्रीत बुमराह की कमी जरूर खल रही है, फिर भी रोहित को उनके इस बयान के लिए क्रिकेट प्रशंसकों की तरफ से व्यापक आलोचना सुनने को मिल रही है,

भारतीय कप्तान द्वारा किये गए इस मैच के विश्लेषण के खिलाफ ऐसा गुस्सा निराधार भी नहीं है, क्योंकि आंकड़े साफ़ तौर पर भारतीय बल्लेबाजी, खासकर सलामी बल्लेबाजों, के प्रदर्शन में उतार-चढ़ाव दिखाता है.

सामान्य से कम स्ट्राइक रेट

बैटिंग स्ट्राइक रेट किसी क्रिकेटर द्वारा प्रत्येक 100 गेंदों का सामना करने के बाद बनाए गए रनों की औसत संख्या को दर्शाती है. आंकड़े दिखाते हैं कि इस टी-20 विश्व कप में 100 से अधिक गेंदों का सामना करने वाले केवल पांच भारतीय बल्लेबाज थे, जिनमें रोहित शर्मा सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी थे.

रोहित का औसत स्ट्राइक रेट प्रति 100 गेंदों पर लगभग 90 रनों का था. इसका मतलब यह निकलता है कि वह ‘मेन इन ब्लू’ के कप्तान के रूप में अपने पहले आईसीसी (इंटरनेशनल क्रिकेट कॉउंसिल) टूर्नामेंट में प्रति ओवर छह रन की औसत से भी रन नहीं बना सके.

उनके सलामी जोड़ीदार के एल राहुल – जिन्हें गुरुवार की हार के बाद बुरी तरह ट्रोल किया गया था – ने इससे थोड़ा ही बेहतर प्रदर्शन किया. पूरे टी-20 विश्व कप में राहुल का औसत स्ट्राइक रेट लगभग 98.5 था, जिसका अर्थ है कि उन्होंने भी प्रति ओवर छह से कम रन बनाए.

सलामी बल्लेबाजों की तुलना में, हार्दिक पांड्या, विराट कोहली और सूर्यकुमार यादव जैसे बल्लेबाजों के साथ भारतीय बल्लेबाजी के मध्य क्रम ने क्रमशः 110, 130 और 182.6 की औसत स्ट्राइक रेट के साथ अधिक रन बनाने के लिए अपेक्षाकृत कम गेंदें खेलीं.

स्ट्राइक रेट के ये औसत उन सभी छह टीमों (पाकिस्तान, नीदरलैंड, दक्षिण अफ्रीका, बांग्लादेश, जिम्बाब्वे और इंग्लैंड) के खिलाफ खेले गए मैचों पर आधारित हैं, जिनसे भारत इस टूर्नामेंट में खेला था. और अगर कमजोर टीमों- जिम्बाब्वे, बांग्लादेश और नीदरलैंड – के खिलाफ भारत के बल्लेबाजों प्रदर्शन को इस विश्लेषण से बाहर कर दिया जाये, तो उनका स्ट्राइक रेट और भी नीचे चला जाता है.

केएल राहुल ने कमजोर टीमों के खिलाफ प्रति ओवर सात से अधिक रन बनाए. लेकिन जब उन्होंने इंग्लैंड, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका के गेंदबाजों का सामना किया, तो दाएं हाथ का यह सलामी बल्लेबाज बड़ी मुश्किल से प्रति ओवर 4.2 रन बना सका. राहुल ने पाकिस्तान के खिलाफ 8 गेंदों में चार रन, दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 14 गेंदों में नौ रन और इंग्लैंड के खिलाफ पांच गेंदों में पांच रन बनाए.

इसी तरह मजबूत टीमों के खिलाफ रोहित शर्मा का स्ट्राइक रेट भी काफी नीचे चला गया. उन्होंने कमजोर टीमों के खिलाफ 92 और तगड़े प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ 87 के स्ट्राइक रेट से रन बनाये.

लगभग 130 की स्ट्राइक रेट के साथ, विराट कोहली ने अपनी ‘क्लास’ दिखाई और भारतीय क्रिकेट टीम के इस पूर्व कप्तान ने छह मैचों में चार अर्धशतक भी ठोंकें.

हार्दिक पांड्या के मामले में कमजोर टीमों (91.6) की तुलना में मजबूत टीमों के खिलाफ उनका स्ट्राइक रेट अधिक (121) था. लेकिन एक तथ्य यह भी है कि इस हरफनमौला खिलाड़ी ने नीदरलैंड के खिलाफ बल्लेबाजी ही नहीं की थी.

सिर्फ सूर्यकुमार यादव ही दुनिया के सर्वश्रेष्ठ टी20 बल्लेबाज होने के नाते उनसे जुडी उम्मीदों पर खरे उतरे. ताकतवर टीमों के खिलाफ उनका स्ट्राइक रेट 153 था जबकि कमजोर टीमों के खिलाफ यह और अधिक बढ़कर 211 हो गया. ताबड़तोड़ बल्लेबाजी में माहिर इस खिलाड़ी ने तीन अर्धशतकों के साथ अपने अभियान का अंत किया.

कमजोर शुरुआत ने टीम इंडिया को बुरी तरह प्रभावित किया

50-ओवर के एकदिवसीय मैच के विपरीत, क्रिकेट का यह सबसे छोटा प्रारूप खिलाड़ियों को शुरुआती ओवरों में वार्म अप करने का मौका नहीं देता है; बल्लेबाजी में कमजोर शुरुआत विरोधियों के लिए चुनौतीपूर्ण लक्ष्य स्थापित करने के इरादे हेतु हानिकारक साबित हो सकती है.

रोहित और राहुल की सलामी जोड़ी आईसीसी पुरुष टी-20 विश्व कप टूर्नामेंट के इस आठवें संस्करण में भाग लेने वाले सभी 16 देशों के सलामी बल्लेबाजों में पांचवीं सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली जोड़ी थी.

अगर आप उनके औसत स्ट्राइक रेट को एक साथ मिला दें, तो भारत की इस सलामी जोड़ी ने प्रत्येक 100 गेंदों पर 94 रन बनाए. यह केवल चार अन्य टीमों- नामीबिया (74.5), यूएई (76.4), पाकिस्तान (78) और जिम्बाब्वे (84.1) – से बेहतर है.

इसके विपरीत, कमजोर टीम माने जानी वाली बांग्लादेश के सलामी बल्लेबाजों का स्ट्राइक रेट सबसे अच्छा था, और यह मुख्य रूप से भारत के खिलाफ लिटन दास के प्रदर्शन – जिसमें उन्होंने 27 गेंदों पर 60 रन बना डाले थे – के कारण और अधिक बढ़ गया था.

दूसरे सेमीफाइनल तक औसतन सभी सलामी बल्लेबाजों ने प्रति 100 गेंदों पर 100 रन से थोड़े अधिक रन बनाए थे. भारत की सलामी जोड़ी ने मौजूदा टूर्नामेंट में इस स्तर से भी नीचे का प्रदर्शन किया.

टी-20 विश्व कप में भारतीय टीम के समग्र प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, विख्यात क्रिकेट कमेंटेटर हर्षा भोगले ने कहा कि भारत ‘बहुत ही कंज़र्वेटिव (सतर्कता भरी) क्रिकेट’ खेल रहा था.

उन्होंने एक ट्वीट करते हुए लिखा, ‘भारत अभी भी बहुत कंज़र्वेटिव क्रिकेट खेल रहा है. यह एक ऐसा मसला था जिसे वे हल करने की उम्मीद करते थे और, पूरी निष्पक्षता से कहें तो द्विपक्षीय क्रिकेट में उन्होंने ऐसा कर भी लिया था. लेकिन यहां विश्व कप में भारत लगातार उम्मीद कर रहा था कि अंत के 10 ओवर उसे संकट से उबार लेंगे. आज के लिए यह पर्याप्त नहीं था.’

वरिष्ठ खेल पत्रकार विक्रांत गुप्ता ने भी इंग्लैंड-भारत सेमीफाइनल के बाद कहा कि टी 20 क्रिकेट ‘आपको पहले 10-12 ओवरों में बिना किसी तरह का जोखिम उठाये क्रिकेट खेलने जैसी विलासिता की अनुमति नहीं देता है.’

(संपादनः शिव पाण्डेय/ऋषभ राज)
(अनुवाद: राम लाल खन्ना)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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