लखनऊ, 19 अप्रैल (भाषा) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि समाज में खेल और खिलाड़ियों को लेकर धारणा बदलल चुकी है और आज माता-पिता अपने बच्चों को लिएंडर पेस, सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली, रोहित शर्मा, पीवी सिंधू, डी गुकेश और नीरज चोपड़ा जैसे खिलाड़ियों के रूप में देखना चाहते हैं।
‘खेलोगे कूदोगे होगे खराब, पढ़ोगे, लिखोगे तो बनोगे नवाब’ नामक लोकप्रिय मुहावरे का जिक्र करते हुए राजनाथ ने कहा कि एक समय ऐसा माना जाता था कि खेलों में समय लगाना समय की बर्बादी है।
लखनऊ के केडी सिंह ‘बाबू’ स्टेडियम में शनिवार को ‘सांसद खेल महाकुंभ’ में बोलते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, ‘आज यह सोच बदल गई है और खेलों और खिलाड़ियों के प्रति समाज की धारणा बदल गई है।’
उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी समाज के विकास के लिए यह बहुत जरूरी है कि खेलों और खिलाड़ियों को ना केवल समाज में महत्व दिया जाए बल्कि उन्हें फलने-फूलने का पूरा मौका भी दिया जाए।
लखनऊ की खेल संस्कृति के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा, ‘लखनऊ शहर अपनी खेल संस्कृति के लिए उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश-विदेश में भी जाना जाता था। महान हॉकी खिलाड़ी केडी सिंह बाबू, जिनके नाम पर यह स्टेडियम जाना जाता है, ने यहां लंबा समय बिताया था। हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले ध्यानचंद ने भी लखनऊ की खेल संस्कृति को बढ़ाया है। यह उनके बेटे अशोक कुमार और मशहूर ओलंपियन जमनालाल शर्मा की कर्मभूमि रही है। 80 के दशक में लखनऊ के स्पोर्ट्स कॉलेज में भारत का पहला एस्ट्रो टर्फ भी लगाया गया था।’
उन्होंने कहा, ‘आजकल लखनऊ में इंडियन प्रीमियर लीग के मैच हो रहे हैं, लेकिन एक समय था जब इसके केडी सिंह बाबू स्टेडियम में शीशमहल ट्रॉफी नाम से क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन होता था और टीम इंडिया के बड़े-बड़े खिलाड़ी लखनऊ में खेलते नजर आते थे।’
भाषा जफर सुधीर
सुधीर
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