(अभिषेक होरे)
नयी दिल्ली, 17 सितंबर (भाषा) धैर्य और अविश्वसनीय प्रतिभा की बदौलत पिस्टल निशानेबाजी के शीर्ष पर पहुंचने के बाद सौरभ चौधरी के प्रदर्शन में अचानक गिरावट हैरान करने वाली थी जब तक कि पूर्व निशानेबाज जसपाल राणा ने इसका कारण नहीं बताया।
राणा ने जरूरत के समय एशियाई खेलों के इस चैंपियन से संपर्क करने में ‘इच्छा की कमी’ के लिए राष्ट्रीय निशानेबाजी महासंघ और कुछ कोच की आलोचना की।
द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता राणा का मानना है कि मदद नहीं मिलने ने चौधरी के प्रदर्शन में गिरावट में बड़ी भूमिका निभाई।
चौधरी ने 2018 में जकार्ता और पालेमबांग में हुए एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के दौरान विश्व रिकॉर्ड बनाकर सुर्खियां बटोरी थी।
हालांकि पांच साल बाद चीन के हांगझोउ में होने वाले एशियाई खेलों की भारतीय टीम में जगह बनाने में नाकाम रहे सबसे बड़े नामों में से वह एक हैं।
चौधरी जब लगभग हर स्तर पर पदक जीतकर तेजी से आगे बढ़ रहे थे तो राणा जूनियर राष्ट्रीय टीम के कोच थे। उत्तर प्रदेश के बागपत के 21 साल के निशानेबाज चौधरी के साथ मुश्किल समय में जिस तरह बर्ताव हुआ उससे राणा दुखी हैं।
राणा ने पीटीआई से कहा, ‘‘जब वह हर जगह पदक जीत रहा था तो हर कोई उसके करीब जाने और उसकी सफलता का श्रेय लेने की कोशिश कर रहा था। ऐसा लगता था कि उस समय उसके पास कई कोच थे लेकिन मेरा सवाल यह है कि अब वे कोच कहां हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इतने समय में वे कहां थे। अब मुझे उनमें से कोई नहीं दिखाई दे रहा। मैं वास्तव में नहीं जानता कि वह अभी क्या कर रहा है।’’
दिग्गज पिस्टल निशानेबाज राणा ने चौधरी के शीर्ष तक के सफर को करीब से देखा। चौधरी ने जब ब्यूनस आयर्स में 2018 युवा ओलंपिक में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीता था तब राणा भारतीय जूनियर टीम के कोच भी थे। यह वह समय था जब चौधरी अपने खेल के शीर्ष पर थे और दुनिया भर में नियमित अंतराल पर स्वर्ण पदक सहित अन्य पदक भी जीत रहे थे।
राणा ने कहा, ‘‘तथाकथित कोचों के अलावा, महासंघ (भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ, एनआरएआई) ने इतने समय तक उसके लिए क्या किया है। हां, अब उससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि महासंघ को कोष आता रहता है।’’
चौधरी अपने व्यक्तिगत जीवन के साथ-साथ निशानेबाजी में अपने करियर के बारे में बेहद मितभाषी थे और राणा ने हमेशा अपने शिष्यों को सोशल मीडिया जैसी ध्यान भटकाने वाली चीजों से दूर रहने को कहा। उन्हें हालांकि यह स्वीकार करना मुश्किल लगता है कि कैसे एशियाई खेलों का पिस्टल चैंपियन हाशिये पर चला गया।
राणा ने कहा, ‘‘उसके शांत स्वभाव, उसके व्यक्तित्व और सबसे महत्वपूर्ण उसकी प्रतिभा को ध्यान में रखते हुए, मैंने सोचा कि वह ऐसा व्यक्ति है जो कठिन दौर से निपटने और उससे बाहर निकलने में सक्षम होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन फिर वह भ्रमित हो गया होगा (विभिन्न कोच की सलाह के कारण) और इससे शायद कोई मदद नहीं मिली।’’
तोक्यो ओलंपिक से पहले चौधरी को भाला फेंक के नीरज चोपड़ा से भी बड़ी पदक की संभावना के रूप में देखा जा रहा था। लेकिन फिर चीजें बदल गईं। चोपड़ा ने जहां एथलेटिक्स में भारत का ‘गोल्डन ब्वॉय’ बनकर इतिहास रचा तो वहीं इतनी प्रतिभा दिखाने के बावजूद चौधरी हाशिये पर चले गए।
अपने सफल करियर के दौरान कई बार वापसी करने वाले राणा चाहते हैं कि चौधरी एक बार फिर प्रयास करें।
उन्होंने कहा, ‘‘एक खिलाड़ी को अपने करियर में असफलताओं का सामना करना ही पड़ता है। मेरे साथ भी ऐसा हुआ लेकिन फिर मैंने कोशिश की और हर मौके पर उठ खड़ा हुआ। उसे इस दिशा में काम करना चाहिए और वह निश्चित रूप से ऐसा कर सकता है।’’
यह दिग्गज वापसी करने में चौधरी की मदद करने के लिए तैयार है लेकिन वह चाहते हैं कि चौधरी उसके पास आए क्योंकि वह खुद को उस पर ‘थोपना नहीं चाहते’।
राणा ने कहा, ‘‘देखिए मैं किसी पर कुछ भी थोपना नहीं चाहता। मुझे लगता है कि बहुत से लोग यह धारणा रखते हैं कि मैं बहुत सख्त हूं, मैं यह हूं और वह हूं। अगर वह मेरे पास पहुंचता है तो मैं किसी की भी मदद करने के लिए हमेशा तैयार हूं जिसमें सौरभ भी शामिल है जो एक उत्कृष्ट निशानेबाज है।’’
अपनी नवीनतम अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में चौधरी हाल में रियो दि जिनेरियो में 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में 30वें स्थान पर रहे जो उनके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के आसपास भी नहीं है।
भाषा सुधीर
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