(मोना पार्थसारथी)
मेलबर्न, 20 दिसंबर (भाषा ) छह फरवरी 1948 । भारतीय क्रिकेट टीम का पहला आस्ट्रेलियाई दौरा । मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर पांचवें टेस्ट की शुरूआत से पहले कतार में खड़े खिलाड़ियों के चेहरे पर कोई खुशी नहीं और कोई कैमरे की तरफ देख भी नहीं रहा ।
कारण ? एक सप्ताह पहले ही दिल्ली में महात्मा गांधी की हत्या हुई थी । मेलबर्न टेस्ट शुरू होने से पहले दोनों टीमें एक मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रृद्धांजलि देने खड़ी थी । यह भारतीय टीम का पहला आस्ट्रेलिया दौरा ही नहीं बल्कि आजाद भारत की टीम का पहला विदेश दौरा भी था ।
उस भावुक पल की दुर्लभ तस्वीर बरबस ही आपका ध्यान खींचती है जब आप मेलबर्न क्रिकेट मैदान पर स्थित एमसीजी लाइब्रेरी में प्रवेश करते हैं । उस ऐतिहासिक दौरे से जुड़ी कई तस्वीरें, स्कोर शीट, लेख और स्क्रैप बुक 150 साल पुरानी इस लाइब्रेरी में नुमाइश के लिये रखीं हैं ।
आस्ट्रेलियाई टीम की कमान सर डॉन ब्रैडमेन के पास थी जिनकी अपराजेय टीम इंग्लैंड के सफल दौरे से लौटी थी । वहीं भारत की कप्तानी लाला अमरनाथ कर रहे थे । यह आस्ट्रेलियाई सरजमीं पर ब्रैडमेन का आखिरी टेस्ट भी था ।
एमसीजी लाइब्रेरी के मुख्य लाइब्रेरियन डेविड स्टधम ने भाषा से कहा ,‘‘ हमें यह सामग्री 1947 . 48 के भारतीय टीम के दौरे पर मैनेजर रहे पंकज गुप्ता की बेटी से मिली है । यादगार तस्वीरों में गांधी की हत्या के बाद मौन खड़ी दोनों टीमें, ब्रैडमेन द्वारा सी के नायडू का कैच लपका जाना या वीनू मांकड़ की गेंद खेलते ब्रैडमेन शामिल हैं ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ उस दौरे की कई अद्भुत स्क्रैप बुक भी हमारे संग्रह में है । भारतीय टीम के पहले आस्ट्रेलिया दौरे पर लाइब्रेरी के जरनल ‘ द यॉर्कर ’ का विशेषांक भी 2000 की शुरूआत में निकाला गया ।’’
पिछले तीन दशक से लाइब्रेरी से जुड़े डेविड ने कहा कि लाइब्रेरी में दस लाख से अधिक सामग्री है जिसमें अखबार, माइक्रोफिल्म, पांडुलिपियां, वीडियो टेप और सीडी रोम शामिल हैं ।’’
उनहोंने कहा ,‘‘ इसे खेलों से संबंधित दुनिया की सर्वश्रेष्ठ लाइब्रेरी में से एक कहा जा सकता है । दस लाख से अधिक सामग्री में करीब 8000 से अधिक दुर्लभ किताबे, पेमफ्लेट और पांडुलिपियां हैं । फोकस क्रिकेट पर है लेकिन उससे इतर भी करीब 119 खेलों मसलन फुटबॉल, हॉकी, टेनिस, गोल्फ और ओलंपिक से जुड़ी काफी सामग्री है ।’’
लिहाजा एमसीजी पर 1956 मेलबर्न ओलंपिक पुरूष हॉकी फाइनल में पाकिस्तान को 1 . 0 से हराने के बाद पोडियम पर खड़े बलबीर सिंह सीनियर की गर्व से दमकती तस्वीर देखकर कोई हैरानी नहीं हुई ।
भारतीय टीम की ओलंपिक स्वर्ण पदकों की यह दूसरी हैट्रिक थी लेकिन पहली बार आजाद भारत की टीम ने (1948 और 1952 के स्वर्ण के बाद) यह कारनामा किया था और इसी के साथ हॉकी के मैदान पर भारत और पाकिस्तान की जगजाहिर प्रतिद्वंद्विता की भी शुरूआत हुई ।
मेलबर्न ओलंपिक से जुड़े लेखों और तस्वीरों में पता चलता है कि हॉकी टीमों के लिये यह फाइनल कितना जज्बाती था ।
सहायक लाइब्रेरिन ट्रेवर रूडेल ने बताया ,‘‘ हमारे पास बाकी खेलों के अलावा खेल परिप्रेक्ष्य में आस्ट्रेलिया के इतिहास पर और महिला क्रिकेट पर भी काफी सामग्री है ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ हमने पिछले साल ही इस लाइब्रेरी के 150 वर्ष पूरे किये हैं । छह सितंबर 1873 को आस्ट्रालाशियन अखबार के मालिक द्वारा दान किये गए जिल्द वाले 13 खंडों के साथ इसकी नींव पड़ी थी । हमारे पास क्रिकेट के जन्म से लेकर आधुनिक क्रिकेट तक बहुत कुछ संग्रह में है ।’’
उन्होंने कहा कि भारत और आस्ट्रेलिया के बीच बॉक्सिंग डे टेस्ट को लेकर बनी हाइप के बीच उन्हें लाइब्रेरी में आगंतुकों की संख्या में इजाफे का यकीन है ।
उन्होंने कहा ,‘‘ हम सभी जानते हैं कि एमसीजी कितना महत्वपूर्ण स्टेडियम है । यहीं पर मार्च 1877 में पहला टेस्ट , 1971 में पहला वनडे खेला गया । इसी मैदान पर भारत ने आस्ट्रेलिया में पहली बार 1978 में जीत का स्वाद चखा जब चंद्रशेखर ने 12 विकेट लिये थे ।’’
दुर्लभ और पुरानी सामग्री को संरक्षित कैसे करते हैं, यह पूछने पर डेविड ने कहा ,‘‘ कॉपीराइट वाली सामग्री का डिजिटलीकरण नहीं करते हैं लेकिन बहुत पुरानी या बहुत अधिक मांग वाली सामग्री को डिजिटल रूप दिया गया है ।’’
डीकिन यूनिवर्सिटी में संचार और खेल मीडिया की लेक्चरर डॉक्टर केसी साइमंस ने बताया कि महिला खेलों को लेकर उनके शोध में यह लाइब्रेरी वरदान साबित हुई और इस तरह की विरासत खेलों में होना बहुत जरूरी है ।
उन्होंने कहा ,‘‘ हम बहुत खुशकिस्मत हैं कि मेलबर्न में हमारे पास ऐसी लाइब्रेरी है । मैने उन महिला खेलों और खिलाड़ियों पर शोध किया जो इतिहास के पन्नों में कहीं दब गई और उसमें इस लाइब्रेरी ने काफी मदद की । इस तरह की दुर्लभ चीजों को सहेजकर रखना बहुत जरूरी है और एमसीजी ने वाकई सराहनीय काम किया है ।’’
लाइब्रेरी के ठीक बाहर सामने दीवार पर ब्रैडमेन की सचिन तेंदुलकर के साथ यादगार तस्वीर टंगी है जो 27 अगस्त 1998 को ब्रैडमेन के 90वें जन्मदिन पर ली गई थी ।
भाषा मोना नमिता
नमिता
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