नई दिल्ली: चल रहे विश्व कप 2023 में मोहम्मद शमी जमकर कहर बरपा रहे हैं. शुरुआती 4 मैचों में टीम को दौड़ दौड़ कर पानी पिलाने और मैदान में जगह नहीं मिलने के बाद जब शमी मैदान में उतरे तो उन्होंने क्रिकेट की दुनिया में इतिहास ही रच दिया. शमी विश्व कप में सबसे अधिक विकेट लेने वाले भारतीय गेंदबाज बन गए और उन्होंने जहीर खान को पीछे छोड़ दिया है.
हार्दिक पांड्या के चोटिल होने के बाद प्लेइंग इलेवन में जब जगह मिली, तो शमी ने इसका जमकर फायदा उठाया. न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच में उन्होंने 10 ओवर में 54 रन देकर 5 विकेट लिए. इसके बाद इंग्लैंड के खिलाफ 4 विकेट चटकाए.
गुरुवार को श्रीलंका के खिलाफ शमी ने 7 ओवर में सिर्फ 16 रन देकर 5 विकेट चटकाए और इसके साथ ही कई रिकॉर्ड अपने नाम कर लिए.
बता दें कि श्रीलंका के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन के चलते भारतीय टीम 302 रनों के भारी भरकम स्कोर के साथ जीती.
इस मैच में सफलता के साथ ही भारत की तरफ से सबसे ज्यादा वनडे में एक मैच में पांच विकेट लेने वाले गेंदबाजों की लिस्ट में अपना स्थान और मजबूत कर लिया. इससे पहले भी यह रिकॉर्ड शमी के नाम ही था. शमी ने वनडे में 5 बार एक मैच में 5 विकेट अपने नाम किए हैं. जहीर खान और हरभजन सिंह ने 3-3 बार यह किया है.
साथ ही शमी विश्व कप में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले भारतीय गेंदबाज बन गए. उनके नाम विश्व कप में 45 विकेट हो गए. उनके बाद जहीर खान और जवागल श्रीनाथ का नंबर आता है जिनके नाम 44-44 विकेट हैं.
इसके अलावा विश्व कप में एक मैच में तीसरी बार पांच विकेट लेकर मोहम्मद शमी ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज मिचेल स्टार्क की बराबरी कर ली है.
मैच के बाद शमी ने कहा, “हम काफी मेहनत कर रहे हैं जिसकी वजह से हमने यह लय हासिल की है. इसी वजह से आप यह तूफान देख रहे हैं.”
उन्होंने कहा, “सही लय और लेंथ पर गेंदबाजी करना कोई रॉकेट साइंस नहीं है. यह सिर्फ लय और अपने दिमाग को सही रखने की बात है. इसलिए मैं अपने दिमाग में रखता हूं कि अपने प्रदर्शन से लोगों को खुश कर सकूं और टीम को जीत दिला सकूं.”
‘अब्बा के सपने को किया पूरा’
उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के अलीनगर के रहने वाले शमी के पिता तौसीफ अली को तेज गेंदबाजी का काफी शौक था. वो देश के लिए क्रिकेट खेलना चाहते थे और एक अच्छे तेज गेंदबाज के रूप में अपना नाम बनाना चाहते थे. हालांकि, किसान और गरीब परिवार से आने और परिवार की दूसरी जिम्मेदारियों के चलते वह राष्ट्रीय टीम तक तो नहीं पहुंच सके और सिर्फ जिला स्तर तक के ही क्रिकेटर बनकर रह गए, लेकिन उन्होंने अपने बेटों को क्रिकेटर बनाने को ठाना.
उन्होंने शुरू में अपने बेटों को खुद से ट्रेनिंग देना और उनके अंदर क्रिकेट के प्रति जुनून जगाना शुरू किया, लेकिन बाद में उन्हें लगा कि एक प्रोफेशनल क्रिकेटर बनाने के लिए अच्छी ट्रेनिंग और प्रोफेशनल कोच की जरूरत होती है.
तौसीफ अली अपने दोनों बेटों को मुरादाबाद के रहने वाले और इलाके के प्रसिद्ध क्रिकेट कोच बदरुद्दीन के पास लेकर गए. शुरू में बदरुद्दीन शमी से कुछ खास प्रभावित नहीं थे लेकिन उन्हें उनके गेंदों की रफ्तार पसंद थी. कुछ समय तक उनके पास ट्रेनिंग करने के बाद जब शमी ने उत्तरप्रदेश राज्य अंडर-19 में अपनी जगह बनाने का प्रयास किया तो वो इसमें असफल रहे. इसके बाद उनके कोच बदरुद्दीन ने उन्हें कोलकाता जाकर ट्रेनिंग लेने की सलाह दी. कोलकाता में शमी ने डलहौजी एथलेटिक क्लब के लिए खेलना शुरू किया.
क्लब में खेलते हुए एक बार बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन से जुड़े देवव्रत दास की नजर उनपर पड़ी तो वो शमी से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके. दास शमी की रफ्तार के कायल हो चुके थे.
उन्होंने उसे मोहन बागान क्लब भेजने का फैसला लिया. मोहन बागान क्लब में शमी भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली के नेतृत्व में खूब पसीना बहाया और इसका परिणाम यह हुआ कि उन्हें बंगाल की रणजी टीम में चुन लिया गया.
यह साल 2010 का था. जब मोहम्मद शमी प्रथम श्रेणी के क्रिकेटर के रूप में अपना नाम दर्ज कराने में सफल हो चुके थे.
रणजी में बंगाल की ओर से खेलते हुए शमी ने असम के खिलाफ 3 विकेट चटकाए. इसके बाद शमी विजय हजारे ट्रॉफी, सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी और इंडिया ए के लिए खेले. घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन के बाद जब शमी को 2012 में इंडिया ए के लिए चुना गया तो यह पहली बार था जब शमी किसी विदेशी टीम के खिलाफ खेलने वाले थे, लेकिन यहां भी उन्होंने अपने चयनकर्ताओं को निराश नहीं किया. वेस्टइंडीज के खिलाफ उन्होंने 10वें विकेट के लिए 73 रनों की जिताऊ पारी खेलकर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा. और फिर शमी ने पीछे पलट कर नहीं देखा और न ही वो रुके. हालांकि, बीच-बीच में चोट और पारिवारिक कारणों और समस्याओं से जूझना जरूर पड़ा.
अभी चारों ओर शमी की चर्चा हो रही है. विश्व कप में अपने प्रदर्शन से उन्होंने सबको चौका दिया है. शुरुआती चार मैच में तो उन्हें मौका नहीं मिला, लेकिन पिछले तीन मैच में उन्होंने 14 विकेट अपने नाम किए हैं. उन्होंने अपनी रफ्तार से सबको चौंका दिया है. पर दुर्भाग्य से बेटे की इस उपलब्धि पर गर्व करने के लिए तौसीफ अली इस दुनिया में नहीं हैं. साल 2017 में एक लंबी बीमारी के बाद उनका इंतकाल हो गया.
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राष्ट्रीय टीम में एंट्री और रिकॉर्ड की भरमार
घरेलू क्रिकेट में शानदार गेंदबाजी और वेस्टइंडीज के खिलाफ जिताऊ पारी के बाद शमी को राष्ट्रीय टीम में एंट्री करने के लिए बहुत ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा. 6 जनवरी 2013 को उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ अपना वनडे डेब्यू किया. अपने पहले मैच में ही शमी का प्रदर्शन जबरदस्त रहा था. उन्होंने 9 ओवर में 4 मेडन ओवर फेंके थे. साथ ही 23 रन देकर 1 विकेट भी हासिल किया था. इसके बाद 2014 के एशिया कप में अपने शानदार प्रदर्शन करने वाले शमी सबसे तेज 50 विकेट लेने वाले दूसरे भारतीय गेंदबाज बन गए थे.
शमी के करियर के हिसाब से सबसे अहम दिन तब आया जब 2014 में ही आईसीसी ने उन्हें अपने वनडे प्लेइंग इलेवन में जगह दी.
अब आते हैं साल 2015 के वनडे विश्व कप पर. इस में शमी ने कुल 17 विकेट लिए और अपनी रफ्तार से दुनिया के कई बल्लेबाजों को आंतकित किया. इसके बाद 2019 में जब भारतीय टीम न्यूजीलैंड के साथ वनडे सीरीज खेलने वहां पहुंची थी, तो शमी ने 9 विकेट चटकाए और इसके साथ ही वनडे में सबसे तेज 100 विकेट लेने का भारतीय रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया.
अभी शमी के नाम 97 वनडे मैचों में 185 विकेट हैं, जिसमें उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 5/18 है.
अब आते हैं शमी के टेस्ट करियर पर. शमी ने टेस्ट में अपना डेब्यू वेस्टइंडीज के खिलाफ किया था, लेकिन अपने डेब्यू मैच में ही शमी ने सबको चौका दिया. उन्होंने मैच में दोनों पारियों में 9 विकेट चटकाए जो किसी भी भारतीय तेज गेंदबाज के डेब्यू मैच में सर्वाधिक था. शमी अब तक 64 टेस्ट मैच खेल चुके हैं जिसमें उन्होंने 229 विकेट लिए हैं. उनका सर्वेष्ट प्रदर्शन 9/118 है जो उन्होंने अपने डेब्यू मैच में किया था.
शमी ने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय टी-20 भी पाकिस्तान के खिलाफ ही 2014 में खेला था. उसके बाद से शमी अबतक 23 मैच खेल चुके हैं जिसमें उनके नाम 24 विकेट हैं. अंतरराष्ट्रीय टी-20 में उनका सर्वेष्ट प्रदर्शन 3/15 है.
आईपीएल में शमी ने अपना पर्दापण 2013 में कोलकाता नाइट राइडर्स के साथ किया था.
पत्नी के साथ विवाद के बाद बनीं सुर्खियां
साल 2014 में शमी ने मॉडल और चीयरलीडर हसीन जहां से निकाह किया. हसीन से शमी की मुलाकात 2011 के आईपीएल खेलने के दौरान हुई जब शमी कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए खेल रहे थे, जबकि हसीन जहां कोलकाता नाइट राइडर्स की चीयरलीडर थीं. इसके बाद दोनों की दोस्ती हुई और फिर कुछ सालों बाद 2014 में दोनों ने निकाह कर लिया. निकाह के बाद हसीन जहां ने चीयरलीडर का काम करना छोड़ दिया था.
हालांकि, साल 2018 आते आते दोनों के रिश्ते में कड़वाहट शुरू हो गई. हसीन जहां ने शमी पर मारपीट, प्रताड़ना और घरेलू हिंसा के गंभीर आरोप लगाए. इसके बाद हसीन जहां ने अलग रहने और गुजारा भत्ता देने की मांग की थी. हसीन ने कोर्ट में मांग की थी कि शमी उन्हें 10 लाख रुपए महीने का गुजारा भत्ता दें. हालांकि, कोर्ट ने सिर्फ 1.30 लाख रुपए महीना गुजारा भत्ता देने का फैसला सुनाया था.
इन सब के साथ ही हसीन ने शमी पर किसी दूसरी महिला के साथ संबंध होने का भी आरोप लगाया था. इसके लिए उसने कई व्हाट्सएप चैट भी सोशल मीडिया पर शेयर किए थे. इसके बाद शमी ने भी एकबार कहा था कि हसीन ने उससे झूठ बोलकर निकाह किया था. उन्होंने कहा था कि हसीन का निकाय पहले ही हो चुका था और उसके दो बच्चे भी थे लेकिन वह उसे अपनी बहन के बच्चे कहती थी.
हालांकि, कुछ दिनों बाद हसीन के पूर्व पति ने भी स्वीकार किया था कि उनके साथ हसीन का निकाह 2002 में हुआ था और वो दोनों बेटियां उनकी और हसीन की ही हैं.
हसीन के पूर्व पति ने कहा था, “हां हमारा निकाह हुआ था, लेकिन हमारा तलाक 2010 में हो गया था. हमारे परिवार वालों को हसीन के बाहर काम करने से ऐतराज था और हसीन अपने पैर पर खड़ा होना चाहती थीं. हमारे घर में महिलाओं को बाहर काम करने की इजाजत नहीं है. इसलिए उसने मुझसे तलाक ले लिया.”
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