(भरत शर्मा)
नयी दिल्ली, नौ जून (भाषा) पूर्व स्पिनर मोंटी पनेसर का मानना है कि ऑफ स्टंप के बाहर की गेंद पर बार-बार जूझने की समस्या का संभवत: समाधान नहीं मिलने के कारण विराट कोहली ने इंग्लैंड दौरे से पहले टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया।
इंग्लैंड के लिए 50 टेस्ट खेलने वाले और 2012 में भारत में अपनी टीम को टेस्ट श्रृंखला जिताने में अहम भूमिका निभाने वाले पनेसर का मानना है कि कोहली को इंग्लैंड के अपने पिछले दौरों की तुलना में ऑफ स्टंप के आसपास घूमती गेंदों से निपटना अधिक कठिन लगता।
कोहली ने 2014 के खराब दौरे के बाद 2018 में इंग्लैंड में शानदार वापसी की। वर्ष 2014 में जेम्स एंडरसन ने इस दिग्गज बल्लेबाज को काफी परेशान किया।
बाएं हाथ के पूर्व स्पिनर पनेसर ने पीटीआई से कहा, ‘‘कोहली के साथ जो हुआ है वह यह है कि ऑफ स्टंप के बाहर की गेंद, पांचवें स्टंप की लाइन, विशेषकर ऑस्ट्रेलिया में तेज उछाल वाली पिचों पर वह संघर्ष कर रहे थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए उन्होंने शायद सोचा होगा कि इंग्लैंड में गेंद और ज्यादा स्विंग करेगी, उन्होंने शायद ऑफ स्टंप के बाहर की गेंद पर समस्या का समाधान नहीं निकाला। मुझे लगता है कि शायद यही एक कारण रहा होगा कि उन्होंने संन्यास लेने और अपनी सारी ऊर्जा आरसीबी (रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु) और भारत के लिए एकदिवसीय क्रिकेट में लगाने के बारे में सोचा।’’
पनेसर ने कहा कि कोहली के पास 2018 में वापसी करने के लिए जवाब थे लेकिन अपने करियर के इस पड़ाव पर ऐसा करना स्वाभाविक रूप से बहुत कठिन होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि उन्होंने सभी प्रारूपों में एक क्रिकेटर के रूप में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। वे टेस्ट क्रिकेट के शानदार दूत रहे हैं। उन्हें शायद लगता है कि उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है, उन्होंने सब कुछ हासिल किया है और शायद उन्हें लगता है कि युवाओं के लिए आगे आने का समय आ गया है।’’
पनेसर ने कहा, ‘‘कोहली के लिए 2018 के प्रदर्शन को दोहराना बहुत कठिन होगा। एक साधारण तथ्य यह है कि वह पिछले 12 से 18 महीनों से ऑफ स्टंप के बाहर की गेंद पर जूझ रहे हैं। उनके पास इसका कोई समाधान नहीं है, आप जानते हैं कि चौथे और पांचवें स्टंप पर उन्हें क्या समस्या है।’’
सौराष्ट्र प्रो टी20 लीग में कमेंट्री कर रहे पनेसर ने कहा, ‘‘इसलिए उन्हें लगता है कि भारतीय क्रिकेट के लिए युवाओं को मौका देना बेहतर है और उम्मीद है कि अगला सुपरस्टार मिल जाएगा।’’
कोहली और रोहित शर्मा ने पिछले महीने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया जिससे ड्रेसिंग रूम में एक बड़ा खालीपन आ गया। शुभमन गिल 20 जून से इंग्लैंड में शुरू होने वाली पांच टेस्ट मैचों की श्रृंखला में भारतीय टीम की कप्तानी करेंगे।
भारत के पास अनुभव की कमी है लेकिन इंग्लैंड के पास भी मार्क वुड और जोफ्रा आर्चर की अनुपस्थिति में कोई खतरनाक गेंदबाजी आक्रमण नहीं है। आर्चर दूसरे टेस्ट के लिए फिट हो सकते हैं।
पनेसर ने कहा कि पहले टेस्ट में दोनों टीम की स्थिति समान है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह एक दिलचस्प श्रृंखला होगी। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि भारत स्विंग होती गेंद को कैसे खेलता है। क्या वे आक्रमण करते हैं? क्या वे रक्षात्मक रणनीति अपनाते हैं?’’
पनेसर ने कहा, ‘‘पिचें सपाट होने वाली हैं। मुझे नहीं लगता कि इंग्लैंड घरेलू हालात का लाभ उठाने की कोशिश करेगा। वे तटस्थ पिचें बनाएंगे। वे तेज गेंदबाजी की अनुकूल पिचों पर बैजबॉल (हर हाल में आक्रामक होकर खेलने की रणनीति) रणनीति के साथ नहीं खेल सकते। यह भारतीय बल्लेबाजों के लिए भी फायदेमंद होगा क्योंकि वे सपाट पिचों पर खेलना पसंद करेंगे।’’
इंग्लैंड ने पहले टेस्ट के लिए अपनी 14 सदस्यीय टीम में एक स्पिनर को शामिल किया है जबकि भारत के पास श्रृंखला के लिए रविंद्र जडेजा, वाशिंगटन सुंदर और कुलदीप यादव के रूप में तीन विकल्प हैं।
पनेसर ने कहा, ‘‘जडेजा के अधिकांश मैच खेलने की उम्मीद है। आप ओल्ड ट्रैफर्ड और ओवल में दो स्पिनरों के साथ खेल सकते हैं। बर्मिंघम में भी गेंद घूमती है। सुंदर आपके दूसरे स्पिनर हो सकते हैं।’’
पनेसर यह भी देखने के लिए उत्सुक हैं कि लंबे समय तक चोट से बाहर रहने के बाद बेन स्टोक्स कैसा प्रदर्शन करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘उनकी गेंदबाजी अच्छी है, वह 10 से 15 ओवर गेंदबाजी कर सकते हैं। जब आपको विकेट की जरूरत होती है तो वह सबसे आगे रहते हैं। स्टोक्स का उपयोग किया जाना चाहिए और वह अभी चोट से उबरकर वापस आए हैं इसलिए मुझे यकीन नहीं है कि वह बल्ले से भी उतना ही प्रभाव डाल पाएंगे जितना गेंद से डालते हैं।’’
पनेसर ने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि वह बल्ले से ज्यादा प्रभाव गेंद से डालेंगे लेकिन जैसे-जैसे टेस्ट श्रृंखला आगे बढ़ेगी, उनकी बल्लेबाजी भी बेहतर होती जाएगी। वे बल्लेबाजी से ज्यादा गेंदबाजी में अपनी लय हासिल कर लेते हैं।’’
भाषा सुधीर मोना
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