बैंकॉक, एक जून (भाषा) राष्ट्रमंडल खेलों की कांस्य पदक विजेता जैस्मीन लम्बोरिया यहां विश्व ओलंपिक मुक्केबाजी क्वालीफायर के 57 किग्रा क्वार्टर फाइनल में स्विट्जरलैंड की एना मारिजा मिलिसिक पर शानदार जीत दर्ज करके पेरिस ओलंपिक कोटा हासिल करने के करीब पहुंच गई हैं।
भारत की इस 22 साल की खिलाड़ी ने अंतिम 16 मुकाबले में जजों के सर्वसम्मत निर्णय (5-0) से मिलिसिक को शिकस्त दी।
क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में महिलाओं के 57 किग्रा भार वर्ग में चार कोटा स्थानों है। जैस्मीन को पेरिस खेलों में अपनी जगह पक्की करने और भारत के लिए 57 किग्रा कोटा पुनः प्राप्त करने के लिए रविवार को अपना क्वार्टर फाइनल जीतना होगा।
परवीन हुड्डा ने 2023 एशियाई खेलों में 57 किग्रा कोटा हासिल किया था, लेकिन पिछले महीने डोपिंग (रहने का स्थान बताने में विफलता के कारण ) के आरोप में उन्हें निलंबित कर दिया गया था, जिससे भारत को कोटा छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।
जैस्मीन ने एशियाई खेलों और ओलंपिक के पहले क्वालीफायर में 60 किग्रा में चुनौती पेश की थी लेकिन टूर्नामेंट में रिजर्व के रूप में सूचीबद्ध होने के कारण उन्हें 57 किग्रा में भाग लेने की अनुमति मिल गयी।
जैस्मीन और मिलिसिक ने शुरुआत में एक-दूसरे को आंकने पर ध्यान दिया। जैस्मीन ने इसके बाद अपनी तकनीकी श्रेष्ठता का प्रदर्शन किया और मिलिसिक लगातार मुक्के बरसाये।
स्विट्जरलैंड की खिलाड़ी ने वापसी की कोशिश की लेकिन जैस्मीन उनसे दूरी बनाये रखने में सफल रही। जैस्मीन ने अपनी कद का इस्तेताल करते हुए मिलिसिक पर दबाव बनाये रखा।
पुरुषों के 57 किग्रा में पूर्व युवा विश्व चैंपियन सचिन सिवाच ने 57 किग्रा सेमीफाइनल में तोक्यो ओलंपिक के रजत पदक विजेता फिलीपींस के कार्लो पालम से 0-5 से हारने से पहले अपना अच्छा प्रदर्शन किया।
सचिन को ओलंपिक कोटा हासिल करने का हालांकि एक और मौका मिलेगा क्योंकि 57 किग्रा में तीन कोटा उपलब्ध हैं।
सेमीफाइनल में हारने वाली दोनों मुक्केबाज रविवार को कोटा के लिए एक-दूसरे से भिड़ेंगे।
निशांत देव ( पुरुष, 71 किग्रा) के अलावा महिला वर्ग में निकहत जरीन (50 किग्रा), प्रीति पवार (54 किग्रा) और लवलीना बोरगोहेन (75 किग्रा) पहले ही पेरिस के लिए अपना स्थान पक्का कर चुके हैं।
सचिन ने बहुत कोशिश की लेकिन पालम के मुक्कों का करारा जवाब नहीं दे सके।
फिलीपींस के मुक्केबाज को मुकाबले की शुरुआत से ही आक्रामक रूख अपनाने का फायदा मिला। सचिन को रक्षात्मक खेल खेलने के लिए मजबूर होना पड़ा।
भाषा आनन्द नमिता
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