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Friday, 25 October, 2024
होमखेल2026 CWG रोस्टर से कुश्ती, हॉकी जैसे खेल हटाए गए, भारतीय खेल समुदाय ने कहा — ‘षड़यंत्र, साजिश’

2026 CWG रोस्टर से कुश्ती, हॉकी जैसे खेल हटाए गए, भारतीय खेल समुदाय ने कहा — ‘षड़यंत्र, साजिश’

कुश्ती, हॉकी, क्रिकेट, शूटिंग और टेबल टेनिस जैसे खेल, जिनमें भारत अच्छा प्रदर्शन करता है, उन्हें 2026 में ग्लासगो में होने वाले खेलों के लिए रोस्टर से निकाल दिया गया है.

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दिल्ली: कॉमनवेल्थ गेम्स (CWG) से कई प्रमुख खेलों को बाहर किए जाने से खिलाड़ी, कोच और दिग्गज परेशान हैं, जिन्होंने इसे “क्षेत्र में भारत की बढ़ती खेल क्षमता” को कम करने की “साजिश” करार दिया.

मंगलवार को कुश्ती, हॉकी, क्रिकेट, शूटिंग और टेबल टेनिस जैसे प्रमुख खेल-जिनमें भारत लगातार अच्छा प्रदर्शन करता है — को 2026 में ग्लासगो में होने वाले खेलों के लिए रोस्टर से हटा दिया गया. कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन के अनुसार, ऐसा खेलों को अधिक “बजट-अनुकूल” बनाने के लिए किया गया है.

बर्मिंघम में होने वाले 2022 CWG में 19 खेल शामिल थे. आगामी संस्करण के लिए अब यह संख्या काफी कम होकर 10 रह गई है. कम खिलाड़ियों की सूची ग्लासगो में भारत की पदक संभावनाओं को प्रभावित कर सकती है.

स्कॉटिश शहर 2026 खेलों के लिए पहली पसंद नहीं था. ऑस्ट्रेलियाई राज्य विक्टोरिया, जो मूल मेजबान था, द्वारा लागत संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए अपना नाम वापस लेने के बाद इस पर विचार किया गया था.

2018 में राष्ट्रमंडल स्वर्ण पदक विजेता शरत कमल ने अगले संस्करण से टेबल टेनिस को बाहर किए जाने पर निराशा व्यक्त की है.

कमल ने दिप्रिंट से कहा, “CWG टेबल टेनिस खिलाड़ियों, खासकर मेरे, मनिका बत्रा और कई अन्य लोगों के लिए अंतर्राष्ट्रीय सर्किट में सुधार करने और अपना नाम बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण लॉन्च पैड रहा है. इस बार वह मौका नहीं मिलेगा.”

इसे एथलीट्स के लिए एक महत्वपूर्ण नुकसान बताते हुए कमल ने CWG जैसे बहु-खेल आयोजन से मिलने वाले लाभों पर प्रकाश डाला.

“खेलों में अच्छा परफॉर्म करने पर नकद प्रोत्साहन और सहायता मिलती है, जैसे कि टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (TOPS) से, जो हमें ओलंपिक की तैयारी में मदद करती है. उन्होंने कहा कि अब हमारा ध्यान एशियाई खेलों और अगले ओलंपिक खेलों पर रहेगा.”


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‘खिलाड़ियों के लिए मनोबल गिराने वाला’

CWG से प्रमुख खेलों को हटाए जाने की खबर सार्वजनिक होने के बाद, कई खेल संघों ने अपनी निराशा ज़ाहिर की है. बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (BAI) ने इसे “झटका” और “षड्यंत्र” करार दिया है.

BAI के महासचिव संजय मिश्रा ने कहा, “यह चौंकाने वाला और भारतीय खेलों के लिए बहुत बड़ा झटका है क्योंकि हटाए गए इवेंट से लगभग 40 पदक खतरे में हैं…BAI इसका पुरजोर विरोध करता है और राष्ट्रमंडल और बैडमिंटन विश्व महासंघ (BWF) के सभी संबंधित अधिकारियों के साथ-साथ देश में सरकार के उच्चतम स्तर पर भारतीय खेलों के भविष्य की वकालत करने के लिए संपर्क करेगा.”

पूर्व भारतीय फील्ड हॉकी खिलाड़ी प्रीतम रानी सिवाच का मानना है कि यह सब एक “षड्यंत्र” है.

“खेल को बजट के अनुकूल बनाने के लिए महासंघ ने उन सभी प्रमुख खेलों को हटा दिया, जिनमें भारत को सबसे अधिक पदक मिलते हैं. जब मुझे इसके बारे में पता चला तो मैं हैरान रह गई.” रानी ने उन्होंने इसे “खिलाड़ियों के लिए बहुत अधिक हतोत्साहित करने वाला” बताया.

फील्ड हॉकी 1998 से राष्ट्रमंडल खेलों का हिस्सा रही है.

‘खिलाड़ी कड़ी मेहनत कर रहे हैं’

बर्मिंघम में 2022 के खेलों में भारत ने कुश्ती में 12 पदक (छह स्वर्ण, एक रजत और पांच कांस्य), टेबल टेनिस में सात (चार स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य), बैडमिंटन में छह (तीन स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य), हॉकी में दो (एक रजत और एक कांस्य), स्क्वैश में दो कांस्य और क्रिकेट में एक रजत पदक जीता था. इतना ही नहीं, भारत ने 22 स्वर्ण सहित कुल 61 पदक जीते थे.

इन खेलों को बाहर करने से भारत इन पदक अवसरों से वंचित हो जाएगा.

हरियाणा के कुश्ती कोच संजय सिहाग के लिए राष्ट्रमंडल खेल न केवल एक प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय आयोजन है, बल्कि खिलाड़ियों के लिए पहचान और वित्तीय सहायता प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी है.

सिहाग ने कहा, “आपको पता नहीं है कि ज़मीनी स्तर से एक खिलाड़ी को बनने में कितना पैसा खर्च होता है. जब खिलाड़ियों को इन खेलों से बदले में कुछ मिलता है, तभी वे प्रेरित, संतुष्ट और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए तैयार महसूस करते हैं.”

उनके अनुसार, कुश्ती को बाहर करना हरियाणा और पूरे भारत के पहलवानों के लिए एक झटका है. उन्होंने कहा कि अन्य कम प्रसिद्ध खेलों को बढ़ावा देने के लिए इस खेल को बाहर रखा गया है.

उन्होंने कहा, “भारत हमेशा कुश्ती में सबसे ज़्यादा पदक जीतता है. अन्य कम प्रसिद्ध खेलों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, लेकिन प्रमुख खेलों को रोस्टर से हटाकर नहीं.”

सिहाग ने कहा, “हमारे खिलाड़ी राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लेने के लिए पिछले चार सालों से कड़ी मेहनत कर रहे हैं, पर अब वह टूट चुके हैं.”

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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