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सोमवार, 23 जून, 2025
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चिंतन शिविर में प्रतिभा की पहचान, कोचिंग, बुनियादी ढांचे के विकास पर मुख्य ध्यान

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नयी दिल्ली, सात मार्च (भाषा) खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने 2028 में लॉस एंजिल्स में होने वाले ओलंपिक खेलों के लिए भारत की तैयारी का आकलन करने के लिए यहां आयोजित दो दिवसीय चिंतन शिविर के पहले दिन शुक्रवार को खेलों में प्रतिभा की पहचान, आधुनिक कोचिंग पद्धति, बुनियादी ढांचे के निर्माण और सतत विकास की जरूरत पर जोर दिया।

चिंतन शिविर का उद्देश्य 2036 में होने वाले ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों की मेजबानी के लिए भारत की दावेदारी को मजबूत करना भी है।

इस विशेष शिविर में विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के खेल मंत्री, वरिष्ठ खेल प्रशासक, प्रमुख सरकारी अधिकारी और अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं।

मांडविया ने कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि भारत 2036 ओलंपिक की मेजबानी करे। उन्होंने इस महत्वाकांक्षी योजना को वास्तविकता में बदलने के लिए राज्यों से सक्रिय रूप से योगदान देने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा, ‘‘चिंतन शिविर प्रधानमंत्री के सुशासन के दृष्टिकोण से जुड़ी पहल है। यह मंच हमें आपसी सहयोग को बढ़ाने और ओलंपिक खेलों की मेजबानी के हमारे सपने को आगे बढ़ाने की अनुमति देता है।’’

इस अवसर पर जम्मू और कश्मीर, ओडिशा, हरियाणा, बिहार, केरल, उत्तराखंड, गुजरात और उत्तर प्रदेश सहित राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

मांडविया ने भारत को वैश्विक खेल महाशक्ति बनाने के संदर्भ में कहा, ‘‘भारत को 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए खेल के प्रति अच्छी तरह से संरचित और सहयोगात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। खेल राज्य का विषय है और भारत को खेल महाशक्ति के रूप में स्थापित करने के लिए मिलकर काम करना जरूरी है।’’

खेल मंत्री ने बताया कि देश में 2,800 से अधिक खेलो इंडिया अकादमियां स्थापित की गई हैं और 1,045 खेलो इंडिया केंद्रों में से 937 वर्तमान में चालू हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिभा की पहचान करना और उसे आगे बढ़ाना बेहद जरूरी है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम प्रतिभा को बर्बाद नहीं होने दे सकते। प्रतिभा की पहचान और प्रबंधन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ-साथ राष्ट्रीय खेल महासंघों की सक्रिय भागीदारी ओलंपिक मिशन के लिए महत्वपूर्ण है।’’

मांडविया ने इसके साथ ही घोषणा की कि क्षेत्रीय भागीदारी को प्रोत्साहित करने और भारत की खेल संस्कृति को बढ़ाने के लिए खेलो इंडिया के तहत नई पहल, जैसे समुद्र तट खेल, जल खेल और स्वदेशी खेल शुरू करना है।

खेल प्रशासन चर्चा का एक अन्य प्रमुख विषय था। प्रतिनिधियों ने निष्पक्ष चयन प्रक्रिया सुनिश्चित करने और माता-पिता के बीच बच्चों को खेल को करियर के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए आत्मविश्वास पैदा करने के लिए राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) की भूमिका पर भी अपने विचार व्यक्त किए।

जमीनी स्तर पर प्रतिभाओं की खोज और प्रशिक्षण को बढ़ाने के लिए मौजूदा स्कूलों को अपग्रेड करके जिला-स्तरीय खेल स्कूल (डीएलएसएस) स्थापित करने पर भी चर्चा की गई।

भाषा

पंत नमिता

नमिता

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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