नयी दिल्ली, 13 मार्च (भाषा) भारत के पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज फारुख इंजीनियर ने अपने साथी खिलाड़ी सैयद आबिद अली को श्रद्धांजलि देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि बहुमुखी प्रतिभा और बल्लेबाज के करीब क्षेत्ररक्षण करते हुए कैच लेने की शानदार क्षमता के बावजूद उन्हें ‘बहुत कम आंका गया’।
अली का बुधवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 83 वर्ष के थे। उनके निधन से इंजीनियर समेत उनके शुभचिंतक, परिचित और दोस्त दुखी हैं।
इंजीनियर ने कहा, ‘‘ मेरे दोस्त आबिद अली, आपकी आत्मा को शांति मिले। मैं इस पर यकीन ही नहीं कर पा रहा हूं। एक के बाद एक लोग दुखद रूप से दुनिया से जा रहे हैं। आबिद एक सच्चे दोस्त थे, मेरे समकालीन, मेरे सहकर्मी, एक समय में मेरे साथी भी, एक बेहतरीन इंसान, एक बेहतरीन क्रिकेटर, बहुत प्रतिभाशाली ऑलराउंडर थे।’’
वह हैदराबाद के क्रिकेटरों के स्वर्णिम युग का हिस्सा थे जिसमें मंसूर अली खान पटौदी, एम एल जयसिम्हा और अब्बास अली बेग शामिल थे। उनका अमेरिका में निधन हुआ। आबिद अली के निधन की खबर उत्तरी अमेरिका क्रिकेट लीग (एनएसीएल) ने साझा की।
इंजीनियर ने कहा, ‘‘जब भी वह भारत के लिए खेले, उन्होंने अपनी टीम को 100 प्रतिशत दिया। मुझे लगता है कि उन्हें बहुत कम आंका गया क्योंकि लोगों को यह अहसास नहीं है कि वह बल्लेबाज के करीब क्षेत्ररक्षण करने के मामले में शानदार थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आप जानते हैं कि सोलकर ने उन्हें थोड़ा पीछे छोड़ दिया था। लेकिन एक तरफ सोलकर और दूसरी तरफ आबिद अली ने स्पिनिंग चौकड़ी (बेदी, प्रसन्ना, चंद्रशेखर और वेंकटराघवन) को और भी खतरनाक बना दिया, बेशक विकेटकीपर के पीछे से भी योगदान रहता था।’’
इस पूर्व दिग्गज ने कहा, ‘‘मेरे प्यारे दोस्त आबिद की बात करें तो उन्हें बहुत याद किया जाएगा। हमें नहीं पता कि उन्हें क्या हुआ था। क्या वह कुछ समय से बीमार थे या उन्हें कुछ परेशानी थी? मैं अमेरिका, हैदराबाद या दूसरी जगहों पर रहने वाले उनके परिवार के प्रति अपनी संवेदना भेजता हूं।’’
ब्रिटेन में रह रहे 87 साल के इस पूर्व खिलाड़ी ने कहा, ‘‘वह एक बेहतरीन व्यक्ति, एक महान क्रिकेटर और एक शानदार मित्र थे। भारत और भारतीय क्रिकेट के लिए यह एक दुखद क्षति है।’’
आबिद अली ने दिसंबर 1967 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एडीलेड में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया और पहली पारी में अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 55 रन देकर छह विकेट चटकाए।
इसी श्रृंखला में उन्होंने बल्लेबाजी में भी अपनी क्षमता दिखाते हुए सिडनी टेस्ट में 78 और 81 रन की पारियां खेली।
आबिद अली ने 1967 और 1974 के बीच भारत के लिए 29 टेस्ट खेले जिसमें उन्होंने 1018 रन बनाए और 47 विकेट लिए।
वह विकेटों के बीच तेज दौड़ के लिए पहचाने जाते थे और अपने समय के सबसे बेहतरीन क्षेत्ररक्षकों में से एक थे।
आबिद अली के पास एक दुर्लभ विशिष्टता भी थी। उन्होंने कई मुकाबलों में भारत के लिए बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों की शुरुआत की। उन्होंने 1968 में न्यूजीलैंड के खिलाफ दो बार, 1969 में घरेलू मैदान पर तीन बार और 1971 में वेस्टइंडीज के दौरे पर दो बार ऐसा किया।
उनका वनडे करियर संक्षिप्त लेकिन ऐतिहासिक रहा।
आबिद अली अजीत वाडेकर की अगुवाई वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे जिसने 1974 में इंग्लैंड के खिलाफ हेडिंग्ले में अपना पहला एकदिवसीय मैच खेला था। यह 55 ओवर का मैच था जिसमें भारत हार गया था।
अली 1975 में पहले एकदिवसीय विश्व कप में भी भारतीय टीम का हिस्सा थे और उन्होंने तीन मैच खेले।
एकदिवसीय प्रारूप में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन न्यूजीलैंड के खिलाफ रहा जहां उन्होंने 98 गेंद में 70 रन बनाए।
आबिद अली ने पांच वनडे में 93 रन बनाए और सात विकेट लिए।
घरेलू स्तर पर उन्होंने 212 प्रथम श्रेणी मैच खेले जिसमें 8,732 रन बनाए जिसमें नाबाद 173 रन का सर्वोच्च स्कोर भी शामिल है। उन्होंने 23 रन पर छह विकेट के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ 397 विकेट भी चटकाए।
भाषा आनन्द नमिता
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