नयी दिल्ली, 21 नवंबर (भाषा ) केंद्र सरकार ने शुक्रवार को उच्च्तम न्यायालय से कहा कि देश की शीर्ष फुटबॉल स्पर्धा इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) का आयोजन सुनिश्चित करने और खिलाड़ियों को किसी भी नुकसान से बचाने के लिये वह मध्यस्थता करेंगे ।
अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने सात नवंबर को कहा था कि आईएसएल के वाणिज्यिक अधिकारों के लिये उसे कोई बोली नहीं मिली है जिससे भारतीय फुटबॉल को एक और झटका लगा ।
आईएसएल के वित्तपोषण के लिए एक नाकाम निविदा प्रक्रिया के बाद न्यायालय को दी गई रिपोर्ट में जस्टिस एल नागेश्वर राव (रिटायर्ड) की अध्यक्षता वाली समिति ने एआईएफएफ का अधिकार बनाए रखने और संभावित निविदाकर्ताओं के वाणिज्यिक हितों को ध्यान में रखकर संतुलन बनाने की सिफारिश की है ।
आईएसएल के वाणिज्यिक अधिकारों के लिये निविदा को कोई ग्राहक नहीं मिलने के बाद समिति ने न्यायालय को रिपोर्ट सौंपी है । मामले की सुनवाई शुक्रवार को न्यायाधीश पी एस नरसिम्हा और जॉयमाल्या बागची की पीठ के समक्ष हुई ।
सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि उन्होंने संबंधित मंत्री से बात की है, जो इस मुद्दे से पूरी तरह वाकिफ हैं और उन्होंने कहा है कि आईएसएल होना चाहिए।
उन्होंने कहा ,‘‘ यह कैसे होगा , कौन प्रायोजक होंगे , कौन पैसा लगायेगा वगैरह मसले सरकार पर छोड़ देने चाहिये । सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि आईएसएल हो और हमारे खिलाड़ियों का कोई नुकसान नहीं होगा ।’’
पीठ ने यह भी कहा कि इससे ऐसा नहीं लगना चाहिये कि सरकार दखल दे रही है ।
मेहता ने कहा ,‘‘ बिल्कुल । वरना हमारी कोई भूमिका नहीं है ।’’
उन्होंने न्यायालय को बताया कि संबंधित मंत्री ने कहा है कि सरकार सब कुछ करेगी लेकिन फीफा के नियमों को ध्यान में रखकर ही यह किया जायेगा ।
भाषा मोना आनन्द
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