नयी दिल्ली, 26 मई ( भाषा ) भारतीय घुड़सवारी महासंघ (ईएफआई) अपने कामकाज के संचालन के लिये दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा तदर्थ समिति के गठन के बाद कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहा है । इसने कहा कि अदालत के इस फैसले से इस गरीब खेल महासंघ पर भारी वित्तीय बोझ पड़ जायेगा जो या तो समिति को फीस दे सकता है या खेल के विकास के लिये काम कर सकता है ।
अदालत ने राजस्थान घुड़सवारी संघ की याचिका पर यह फैसला सुनाया था । आरईए ने ईएफआई कार्यकारी समिति के सदस्यों के कार्यकाल में विस्तार को चुनौती देते हुए कहा था कि यह खेल कोड के खिलाफ है ।
एक अलग याचिका में आरईए ने आरोप लगाया था कि ईएफआई ने क्लबों और संस्थानों को मताधिकार देकर खेल कोड का उल्लंघन किया है क्योंकि प्रदेश संघों को ही मतदान का अधिकार है ।
ईएफआई के एक सूत्र ने कहा ,‘‘ हमारा सालाना राजस्व दो करोड़ रूपये हैं और कम से कम एक करोड़ तदर्थ समिति की फीस में चला जायेगा अगर वह एक साल तक काम करती है । आदेश के तहत ईएफआई को समिति के अध्यक्ष को प्रतिमाह पांच लाख रूपये और दो सदस्यों को एक एक लाख रूपये देने होंगे ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ ईएफआई गरीब महासंघ है और इतना पैसा एक समिति को नहीं दे सकता । ईएफआई के चयनित सदस्यों ने अपने काम के लिये एक रूपया तक नहीं लिया है । वे निस्वार्थ काम करते आये हैं ।अगर समिति को भुगतान करना पड़ा तो कोचिंग शिविर बंद करने पड़ेंगे तथा टूर्नामेंटों की संख्या में कटौती करनी होगी । इससे खेल के विकास पर असर पड़ेगा ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ ईएफआई की विधि टीम कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है क्योंकि यह फैसला लेते हुए सभी पक्षों को ध्यान में नहीं रखा गया है ।’’
भाषा मोना आनन्द
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