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Saturday, 14 September, 2024
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डेविस कप : घास वाली सतह पर अलग तरह की होगी चुनौती

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… अमनप्रीत सिंह …

नयी दिल्ली, 28 फरवरी (भाषा) भारतीय डेविस कप टीम के लिए दिल्ली जिमखाना क्लब के दो घसियाले (ग्रास) कोर्ट में से एक के ऊपर नियमित रूप से रोलर चलाया जा रहा है ताकि यह आकलन किया जा सके कि घरेलू खिलाड़ियों के लिए सतह से कितना उछाल आदर्श होगा। भारतीय टीम चार और पांच मार्च को यहां डेविस कप विश्व प्लेऑफ ग्रुप एक में डेनमार्क की चुनौती के लिए तैयार है।   घास वाली सतह पर गेंद कम उछाल लेती है और इस स्थिति का भारतीय टीम  फायदा उठाना चाहेगी। डेनमार्क के कई खिलाड़ी घसियाले कोर्ट पर खेलने में सहज नहीं हैं। दिग्गज लिएंडर पेस डेविस कप में शानदार प्रदर्शन करने में सफल रहे क्योंकि घास वाली सतह पर वह यूरोप के खिलाड़ियों को छकाने में सफल रहे। मौजूदा पीढ़ी में युकी भांबरी और रामकुमार रामनाथन का खेल घास की सतह पर प्रतिद्वंद्वियों के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है। घास की सतह पर सबसे बड़ी चुनौती गेंद की उछाल से निपटना होता है जो हार्ड या क्ले कोर्ट की तरह सामान्य नहीं होती है। युकी ने अभ्यास सत्र से इतर पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘ यह बहुत तेज है, ऐसे में आपको अपनी बैक स्विंग को छोटा करने के लिए तैयार रहना होगा। यह इतना तेज होता है कि आपको एक बड़ा स्विंग लेने या बेसलाइन से दो-तीन फीट पीछे जाने का समय नहीं मिलता है।  हार्ड कोर्ट या क्ले कोर्ट पर ये चीजें आसानी से कर सकते हैं।’’ इससे गेंद पर प्रहार करने की ताकत पर भी असर पड़ता है लेकिन 29 साल के युकी ने कहा, ‘‘ ऐसे नहीं है कि ताकत सिर्फ बड़े स्विंग से मिलती है। इसके दूसरे कारक भी है। साल 2017 के बाद पहली बार डेविस कप खेलने को तैयार युकी ने हार्ड कोर्ट की तरह घास पर फिसलने के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘आमतौर पर ज्यादातर खिलाड़ी घास के मुफीद जूतों के साथ खेलते हैं क्योंकि आपको तेजी से आगे बढ़ने की जरूरत होती है और इसके लिए आपको बेहतर ग्रिप की जरूरत होती है। लेकिन मुझे लगता है, कुछ खिलाड़ियों को कोर्ट पर फिसलने की इतनी आदत होती है कि वे घास पर भी सपाट जूते पसंद करते हैं ।’’ रोहन बोपन्ना भारतीय टीम में सबसे अनुभवी खिलाड़ी होंगे। विश्व के पूर्व नंबर तीन (युगल रैंकिंग) और ग्रैंड स्लैम ट्रॉफी जीतने वाले  केवल चौथे भारतीय को घसियाले कोर्ट पर सर्वश्रेष्ठ सर्विस करने वाले खिलाड़ियों में से एक माना जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘ अंतर केवल इतना है कि ‘किक’ सर्विस के बजाय अधिक ‘स्लाइस’ सर्विस का उपयोग किया जाता है। हार्ड कोर्ट और क्ले कोर्ट पर ‘किक’ सर्विस अधिक प्रभावी होती है। बाकी सब कुछ वैसा ही रहता है।’’ भारत ने घसियाले कोर्ट पर पिछली बार जुलाई 2016 में कोरिया की मेजबानी की थी जिसमें टीम को चंडीगढ़ में 4-1 से जीत मिली थी। टीम को हालांकि इटली में 2019 में घास वाली सतह पर 1-3 से हार का सामना करना पड़ा था। भाषा आनन्द सुधीरसुधीर

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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