पर्थ, 20 नवंबर (भाषा) भारत के क्षेत्ररक्षण कोच टी दिलीप ने बुधवार को खुलासा किया कि वह ट्रेनिंग सत्र की शुरुआत में खिलाड़ियों के समूहों के बीच क्षेत्ररक्षण प्रतियोगिताओं का आयोजन करना पसंद करते हैं क्योंकि इससे सही माहौल बनाने में मदद मिलती है।
शुक्रवार से यहां बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए पांच टेस्ट मैचों की श्रृंखला में ऑस्ट्रेलिया से भिड़ने के लिए तैयार मेहमान भारतीय टीम ने शुरुआती टेस्ट से पहले अपने प्रशिक्षण सत्रों और ‘मैच सिमुलेशन’ (मैच जैसी स्थिति में खेलना) को अधिकतम करने की कोशिश की है।
नए मुख्य कोच गौतम गंभीर के नेतृत्व में दिलीप को भारत के क्षेत्ररक्षण कोच के रूप में बरकरार रखा गया है और उन्होंने कहा कि उनके अनुभव ने उन्हें टीम की तैयारी को बेहतर करने के लिए सही प्रक्रिया की पहचान करने में मदद की है।
भारतीय क्रिकेट बोर्ड द्वारा अपनी वेबसाइट पर साझा किए गए वीडियो में दिलीप ने कहा, ‘‘अब तक मुझे टीम और वे किस तरह काम करते हैं इसका अंदाजा हो गया ।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए मैं हमेशा शुरुआत में थोड़ी प्रतिस्पर्धा को प्राथमिकता देता हूं ताकि वार्म-अप के बाद वे (प्रशिक्षण सत्र) मौज-मस्ती, हंसी-मजाक और एक-दूसरे के साथ मिलकर शुरू कर सकें।’’
हाल ही में हुए एक प्रशिक्षण सत्र की बारीकियों को समझाते हुए दिलीप ने कहा कि उन्होंने गेंद को सीमा रेखा से वापस फेंकने पर काम किया। इस सत्र में भारतीय खिलाड़ियों को दो समूहों में विभाजित किया गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि सभी लोग एक साथ मिलकर टीम ड्रिल करें लेकिन साथ ही चाहते हैं कि वे मैच के लिए भी तैयार हों।’’
दिलीप ने कहा, ‘‘यही कारण है कि आज की टीम ड्रिल आपसी तालमेल से अधिक संबंधित थी जहां सीमा रेखा पर खड़े क्षेत्ररक्षण को अंदर खड़े क्षेत्ररक्षक के पास गेंद फेंकनी थी इसलिए एक ऊंचे लंबे थ्रो के बजाय हम दो अच्छे सपाट थ्रो चाहते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह महत्वपूर्ण है कि इसे अभ्यास में अपनाया जाए ताकि खिलाड़ियों को पता हो कि उन्हें अपने बाएं या दाएं ओर खड़ा होना है ताकि वे उचित स्थिति में रहें और गेंद वापस पहुंचाने में समय बर्बाद नहीं करें।’’
दिलीप ने कहा कि इस अभ्यास का उद्देश्य खिलाड़ियों को उनकी स्थिति को समझाना और जोड़ियों में काम करना सिखाना है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए सीमा रेखा पर मौजूद खिलाड़ियों को भी पता है कि कोई दूसरा व्यक्ति भी है जो इसका इंतज़ार कर रहा है ताकि वे एक टप्पे या सीधे उसके पास गेंद पहुंचा सके। अभ्यास में इस ड्रिल को करने का मुख्य विचार यही था।’’
भाषा सुधीर मोना
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