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Monday, 15 December, 2025
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स्वप्निल के ओलंपिक पदक के पीछे कोच दीपाली की कड़ी मेहनत और नजर से बचने के लिए चाबी का गुच्छा

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नयी दिल्ली, 24 अगस्त (भाषा) निशानेबाज स्वप्निल कुसाले अंधविश्वासी नहीं हैं लेकिन जब उनके साथी अखिल श्योराण और श्रीयंका सदांगी ने उन्हें बुरी नजर से बचने के लिए चाबी का गुच्छा उपहार में दिया तो उन्होंने ओलंपिक के लिए पेरिस जाने से पहले इसे तुरंत स्वीकार कर लिया।

कई शीर्ष टूर्नामेंट में स्वप्निल का भाग्य ने साथ नहीं दिया जिसमें 2023 में एशियाई खेल और काहिरा में 2022 विश्व चैम्पियनशिप शामिल हैं, इसमें वह महज एक शॉट (कुछ दशमलव अंक) से चौथे स्थान पर रहे।

लेकिन पेरिस में 29 वर्षीय स्वप्निल ओलंपिक में 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने वाले पहले भारतीय बन गए।

अखिल और श्रीयंका दोनों 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन में निशानेबाजी करते हैं, दोनों निशानेबाजों ने देश के लिए ओलंपिक कोटा स्थान हासिल किया था, लेकिन वे भारतीय राष्ट्रीय निशानेबाजी संघ (एनआरएआई) द्वारा आयोजित ओलंपिक चयन ट्रायल के बाद पेरिस के लिए जगह नहीं बना सके।

स्वप्निल ने कहा, ‘‘पेरिस जाने से ठीक पहले मेरे सबसे अच्छे दोस्त अखिल और श्रीयंका मुझसे मिलने आए। उन्होंने मुझे बुरी नजर से बचाने के लिए एक चाबी का गुच्छा भेंट किया और कहा, ‘भाई जीत के आना है’। ’’

स्वप्निल कहते हैं कि इस उपहार तथा व्यक्तिगत कोच दीपाली देशपांडे और बड़ी बहन की तरह तेजस्विनी सावंत द्वारा दी गई सीख ने उनकी ओलंपिक सफलता में बहुत बड़ी भूमिका निभाई।

स्वप्निल ने शनिवार को पीटीआई से कहा, ‘‘मैं, अखिल और श्रीयंका हम तीनों कई वर्षों से साथ हैं और जब भी मैं दिल्ली में होता हूं तो वे मेरा ख्याल रखते हैं। हमारे बीच मजबूत रिश्ता है। अखिल मेरे भाई की तरह है और श्रीयंका मेरी बहन की तरह। जब भी हम शिविर या प्रतियोगिता में होते हैं तो हम एक परिवार की तरह होते हैं। जूनियर दिनों से ही हमने कई साल साथ बिताए हैं। ’’

महाराष्ट्र के कोल्हापुर के रहने वाले स्वप्निल कहते हैं कि पूर्व अंतरराष्ट्रीय राइफल निशानेबाज दीपाली की कड़ी मेहनत ने ही उन्हें अपने पहले ओलंपिक में सफलता हासिल करने में मदद की।

पिछले साल हांग्झोउ एशियाई खेलों में सिर्फ एक खराब शॉट की वजह से पदक से चूकने वाले स्वप्निल ने कहा, ‘‘दीपाली मैडम मेरी दूसरी मां की तरह हैं। उन्होंने मुझे 2012 से निशानेबाजी करते देखा है। उन्हें पता है कि मुझे क्या चाहिए, कब मैं भावुक हो जाता हूं या मुझे क्या चीज दुखी करती है, मुझे किससे खुशी मिलती है। इसलिए यह मां-बेटे जैसा रिश्ता शुरुआती दिनों से ही है। उन्होंने मेरी निशानेबाजी के हर पहलू को बारीकी से समझा है। ’’

भारतीय रेलवे के टीटीई स्वप्निल ने कहा, ‘‘तेजू दी (तेजस्विनी) मेरी बड़ी बहन की तरह हैं। वह एक ओलंपियन और बहुत अनुभवी निशानेबाज हैं। हम दोनों कोल्हापुर से हैं इसलिए हम पुणे में एक साथ ट्रेनिंग लेते हैं। अगर मैं निशानेबाजी में कोई गलती करता हूं तो वह उसे तुरंत सुधार देती हैं। ’’

भाषा नमिता आनन्द

आनन्द

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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