शंघाई, 10 मई (भाषा) मधुरा धामनगांवकर ने राष्ट्रीय टीम में तीन साल के बाद शानदार वापसी करते हुए शनिवार को तीरंदाजी विश्व कप चरण दो के कम्पाउंड वर्ग की व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण के साथ टीम स्पर्धा में रजत और कांस्य पदक जीतकर भारत को बड़ी कामयाबी दिलायी।
भारत ने शनिवार कम्पाउंड वर्ग में दो स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य पदक जीते।
मधुरा को तीन साल से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा नहीं करने के कारण विश्व तीरंदाजी रैंकिंग में जगह नहीं मिली है। इस 24 साल की खिलाड़ी ने अमेरिका की कार्सन क्रेहे पर 139-138 की शानदार जीत के साथ अपना पहला व्यक्तिगत विश्व कप स्वर्ण पदक जीता।
महाराष्ट्र की अमरावती की इस खिलाड़ी ने इससे पहले महिला टीम स्पर्धा में रजत और अभिषेक वर्मा के साथ मिश्रित टीम स्पर्धा में कांस्य पदक जीता था।
मधुरा के लिए लिए हालांकि व्यक्तिगत स्वर्ण सबसे खास रहा क्योंकि उन्होंने उतार-चढ़ाव से भरे खिताबी मुकाबले में धैर्य बनाये रखा।
वह तीसरे गेम में सात अंक के निशाने के बाद 81-85 से पीछे चल रही थीं। इस 24 वर्षीय खिलाड़ी ने हालांकि दबाव में शानदार संयम दिखाया और चौथे गेम में सिर्फ एक अंक गवां कर स्कोर 110-110 पर बराबर कर लिया।
मधुरा ने निर्णायक गेम में दो 10 के निशाने लगाये और ये दोनों केंद्र के बिलकुल करीब थे। उन्होंने तीसरे प्रयास में नौ के निशाने के साथ क्रेहे को पछाड़ दिया।
मधुरा क्वालीफायर्स में तीसरे स्थान के साथ भारतीयों में शीर्ष पर थी। उन्होंने अपने अभियान के दौरान तुर्की की विश्व की 13वें नंबर की खिलाड़ी हेजल बुरुन को शिकस्त दी। मधुरा ने दो बार की विश्व कप टीम पदक विजेता को 143-141 से मात दी थी। मधुरा ने इससे पहले मेडेलिन में 2022 तीरंदाजी विश्व कप चरण चार में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।
इससे पहले कम्पाउंड पुरुष टीम ने स्वर्ण, महिला टीम ने रजत और मिश्रित टीम ने कांस्य पदक हासिल किये।
अभिषेक वर्मा, ओजस देवताले और ऋषभ यादव की पुरुष टीम ने फाइनल में मैक्सिको को 232-228 से हराया। भारतीय तिकड़ी ने धैर्य के साथ दबाव वाली परिस्थितियों में अचूक निशाना साध कर शीर्ष स्थान हासिल किया।
भारत ने पहले गेम में 59 अंक के साथ दो अंकों की बढ़त हासिल की। मैक्सिको ने हालांकि दूसरे गेम में 58 अंक बनाकर वापसी की। इस गेम में भारतीय तीरंदाज 56 अंक ही जुटा सके जिससे स्कोर 115-115 से बराबर हो गया।
भारतीय तिकड़ी ने तीसरे गेम में एक बार फिर से एक अंक की बढ़त कायम कर ली। भारत के 58 अंक के मुकबाले मैक्सिको के तीनों तीरंदाज 57 अंक ही बना सकें।
भारतीय तिकड़ी ने अंतिम गेम में अपना धैर्य बनाए रखा और 60 में से 59 अंक हासिल किये। मैक्सिको दबाव में केवल 56 अंक ही जुटा सका।
ऋषभ ने पुरूषों की व्यक्तिगत स्पर्धा में कांस्य पदक के रोमांचक मुकाबले में दक्षिण कोरिया के किम जोंगहो को हराया। भारतीय खिलाड़ी का शूटआउट में 10 अंक वाला निशाना केंद्र के करीब था। इस 22 साल के भारतीय खिलाड़ी का यह विश्व कप में पहला व्यक्तिगत पदक है।
वह इससे पहले सेमीफाइनल में विश्व के नंबर एक खिलाड़ी और कई बार के विश्व चैंपियन नीदरलैंड के माइक श्लोएसर से 144-147 से हार गए थे।
ज्योति सुरेखा वेन्नम, मधुरा और चिकिथा तानिपार्थी की टीम महिलाओं के कम्पाउंड फाइनल में मैक्सिको की मजबूत चुनौती से पार पाने में नाकाम रही और मुकाबला 221-234 से गंवा बैठी।
फाइनल मुकाबले में भारतीय तीरंदाज मैक्सिको को कड़ी टक्कर देने में नाकाम रहे लेकिन इस तिकड़ी ने पूरे टूर्नामेंट में अपनी प्रतिभा से प्रभावित कर पोडियम पर स्थान सुनिश्चित किया।
वर्मा और मधुरा की भारतीय मिश्रित टीम ने तीसरे स्थान के प्लेऑफ में मलेशिया को हराकर कांस्य पदक जीतने के साथ पदक तालिका में भारत की स्थिति मजबूत की।
ये परिणाम विश्व मंच पर कम्पाउंड तीरंदाजी में भारत की बढ़ती मजबूती को दर्शाते है।
कम्पाउंड तीरंदाजी स्पर्धा लॉस एंजिल्स 2028 में अपना ओलंपिक पदार्पण करने जा रही है। इसमें मिश्रित टीम वर्ग में एकमात्र स्पर्धा होगी। ऐसे में भारत तीरंदाजी में अपना पहला ओलंपिक पदक जीतने की कोशिश करेगा। इस तरह के प्रदर्शन से टीम का हौसला काफी बढ़ेगा।
भाषा आनन्द पंत
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