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मंगलवार, 20 मई, 2025
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भारत-पाक तनाव के बीच, जम्मू-कश्मीर के पेनकैक सिलाट खिलाड़ी केआईबीजी में दे रहे साहस का संदेश

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दीव, 20 मई (भाषा) भारतीय सेना ने सात मई को तड़के जब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिये मिसाइल से पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए तब जम्मू-कश्मीर के एथलीटों का एक साहसी समूह सड़क मार्ग से राष्ट्रीय स्तर के प्रतियोगिता में हिस्सा लेने जा रहा था।

भारतीय सेना की कार्रवाई पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के जवाब में की गई जिसमें 26 लोग मारे गए थे और अधिकांश पर्यटक थे ।

जम्मू कश्मीर के खिलाड़ियों के इस समूह में पुंछ के पास संवेदनशील बडगाम क्षेत्र की 25 वर्षीय तौसीफा हसन भी शामिल थीं, जहां पाकिस्तान द्वारा हाल ही में की गई गोलाबारी ने निवासियों को परेशान कर रखा था।

 आतंकी हमले के बाद बढ़े तनाव और सदमे के बावजूद तौसीफा और जम्मू-कश्मीर की उनकी 16 साथी दृढ़ निश्चयी थीं। वे सीनियर राष्ट्रीय पेनकैक सिलाट चैंपियनशिप के लिए लखनऊ पहुंचीं और वहां से कुछ दिनो के बाद ‘खेलों इंडिया बीच गेम्स’ में हिस्सा लेने दीव आयी है।

 चश्मा पहने तौसीफा ने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘हम खेल में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जबकि हमारे सैनिक युद्ध के मैदान में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे लिए पदक जीतकर क्षेत्र और देश को गौरवान्वित करने की इससे बड़ी प्रेरणा कुछ और हो सकती है क्या?’’

इंडोनेशियाई मार्शल आर्ट के तरीके से जुड़े इस खेल में अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता और भारत के सबसे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों में से एक तौसीफा ने लखनऊ में कांस्य पदक जीता।

वह खुद को न केवल एक एथलीट के साथ जज्बे और उम्मीद की दूत के रूप में भी देखती हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ जब ये सब शुरू हुआ तों मैं काफी तनाव में थी। मैं अपने परिवार को लेकर चिंतित थी। हमें यह चिंता भी थी कि हम आयोजन स्थलों तक कैसे पहुंचेंगे। लेकिन कड़ी सुरक्षा थी और यात्रा के दौरान हमें कोई समस्या नहीं हुई।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वास्तव में हमें अतिरिक्त देखभाल के साथ रखा गया था और लखनऊ में आतिथ्य अद्भुत था। ऐसा लगा जैसे ‘वीआईपी ट्रीटमेंट’ हो’’

इससे पहले 2022 में श्रीनगर में पिछले एशियाई टूर्नामेंट में कांस्य पदक जीत चुकी तौसीफा अब फिर से भारतीय टीम में जगह बनाने की कोशिश कर रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पहले भी एशियाई स्तर पर कांस्य पदक जीता है और मुझे उम्मीद है कि मेरा फिर से चयन होगा। मैं देश को गौरवान्वित करना चाहती हूँ। बिल्कुल हमारे बहादुर सैनिकों की तरह। ’’

उनके टीम अधिकारी मोहम्मद इकबाल सात मई की सुबह श्रीनगर में दांत दर्द के साथ उठे तो देखा कि सड़कें सुनसान थीं और सन्नाटा था।

जकार्ता एशियाई खेलों (2018) में भारतीय टीम के कोच रह चुके इकबाल ने कहा, ‘‘मैं डेंटिस्ट के पास गया और उनसे पूछा कि सड़कें इतनी खाली क्यों थीं। उन्होंने कहा, ‘तुम्हें नहीं पता? हड़ताल जैसी स्थिति हो गयी है।’ तब मुझे एहसास हुआ कि क्या हुआ था।’’

भाषा आनन्द

आनन्द

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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