कोलकाता, 20 नवंबर (भाषा) अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने रविवार को पूर्व भारतीय कप्तान बाबू मणि के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि वह देश के युवा फुटबॉल खिलाड़ियों को प्रेरित करते रहेंगे।
बाबू मणि ने शनिवार को यहां अंतिम सांस ली। वह 59 वर्ष के थे।
अपने समय के सबसे कुशल फारवर्ड खिलाड़ियों में शामिल बाबू मणि ने 1984 में कोलकाता में नेहरू कप में अर्जेन्टीना के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल में पदार्पण किया।
उन्होंने 55 अंतरराष्ट्रीय मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। वह एएफसी एशियाई कप 1984 के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय टीम का भी हिस्सा थे।
एशिया कप 1984 बाबू मणि के करियर का शीर्ष टूर्नामेंट रहा। वह 1985 और 1987 में दो बार सैफ खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय फुटबॉल टीम का भी हिस्सा रहे।
एआईएफएफ के अध्यक्ष कल्याण चौबे ने उनके निधन पर शोक जताया।
चौबे ने कहा, ‘‘मुझे यह सुनकर बेहद दुख हुआ कि बाबू मणि, जो अपने समय के भारत के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलरों में से एक थे, अब नहीं रहे। भारतीय फुटबॉल में उनके योगदान के लिए हम उन्हें हमेशा याद रखेंगे। इस मुश्किल घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं।’’
एआईएफएफ के महासचिव शाजी प्रभाकरन ने कहा, ‘‘बाबू मणि को फुटबॉल के मैदान पर उनकी उपलब्धियों के लिए हमेशा याद किया जाएगा। वह एक असाधारण फुटबॉलर थे और उन्होंने कई युवाओं को प्रेरित किया। उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदना। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।’’
बाबू मणि दो बार के संतोष ट्रॉफी विजेता थे। उन्होंने 1986 और 1988 में बंगाल के साथ खिताब जीता था।
उन्होंने कोलकाता में सभी तीन शीर्ष क्लबों के लिए प्रमुख टूर्नामेंट खेले और जीते। उन्होंने मोहम्मडन स्पोर्टिंग (फेडरेशन कप 1983), मोहन बागान (सीएफएल 1984, 1986, 1992, आईएफए शील्ड 1987, डूरंड कप 1984, 1985, 1986, रोवर्स कप 1985, 1992, फेडरेशन कप 1986, 1987, 1992, 1993) और ईस्ट बंगाल (सीएफएल 1991, आईएफए शील्ड 1990, 1991, डूरंड कप 1990, 1991, रोवर्स कप 1990) के साथ कई खिताब जीते।
भाषा सुधीर पंत
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