(अमित कुमार दास)
नयी दिल्ली, 20 मई (भाषा) भारतीय गोल्फर दीक्षा डागर 24वें बधिर ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के बाद आत्मविश्वास से भरी हैं और उनकी नजरें स्थगित हुए एशियाई खेलों और 2024 ओलंपिक में पदक जीतने पर टिकी हैं।
हरियाणा की 21 साल की दीक्षा ने बधिर ओलंपिक के फाइनल में अमेरिका की एशलिन ग्रेस को हराकर स्वर्ण पदक जीता।
वह बधिर ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली गोल्फर बनीं। उन्होंने इससे पहले तुर्की के सैमसन में 2017 में रजत पदक जीता था जबकि 2022 में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता। बधिर ओलंपिक का आयोजन 2021 में होना था लेकिन इन्हें स्थगित किया गया।
दीक्षा ने पीटीआई को बताया, ‘‘पिछली बार जब मैं प्ले आफ में हारी थी तो मैं बेहद निराश थी क्योंकि मुझे जीतने की उम्मीद थी। इस बार मुझे शत प्रतिशत यकीन था कि मैं स्वर्ण पदक जीतकर लौटूंगी क्योंकि मुझे अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में खेलने का अनुभव था। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं दुनिया भर में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के खिलाफ खेली हूं इसलिए मुझे यकीन था और जब मैं जीती तब स्टेडियम में राष्ट्रगान बजाया गया तो मुझे बेहद गर्व हुआ। यह जीत विशेष है क्योंकि यह देश के लिए है और मेरी सभी व्यक्तिगत सफलता से बड़ी है।’’
दीक्षा ने कहा, ‘‘अब मैं एशियाई खेलों और 2024 ओलंपिक में पदक जीतना चाहती हूं। मैंने तोक्यो खेलों में हिस्सा लिया था लेकिन यह मेरा पहला अनुभव था। अब मैं इन बड़ी प्रतियोगिताओं में अपने देश को गौरवांवित करने के लिए प्रेरित हूं।’’
दीक्षा को एशियाई खेलों में सीधे प्रवेश नहीं मिला है क्योंकि भारतीय गोल्फ यूनियन (आईजीयू) ने अदिति अशोक और त्वेसा मलिक को उनकी विश्व रैंकिंग के आधार पर चुना है।
दीक्षा ने कहा, ‘‘आईजीयू ने गोल्फर के रूप में मेरी प्रगति में बड़ी भूमिका निभाई है लेकिन लेडीज यूरोपीय टूर पर अदिति अशोक के बाद दो खिताब जीतने वाली दूसरी भारतीय होने के बावजूद जब मुझे नहीं चुना गया तो मुझे काफी पीड़ा पहुंची और निराशा हुई।’’
भाषा
सुधीर आनन्द
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