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Friday, 27 September, 2024
होमखेलपूर्व राष्ट्रीय चैंपियन पैरा तैराक का निधन, पिता ने वित्तीय मदद की गुहार लगाई

पूर्व राष्ट्रीय चैंपियन पैरा तैराक का निधन, पिता ने वित्तीय मदद की गुहार लगाई

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(तपन मोहंता)

कोलकाता, 20 अप्रैल (भाषा) पैरा तैराकी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने से ‘अयोग्य’ घोषित किए जाने के पांच साल बाद तीन बार के राष्ट्रीय चैंपियन अमर्त्य चक्रवर्ती अंतत: जीवन और व्यवस्था से लंबी जंग हार गए जिससे उनके पिता कर्जे में डूब गए हैं।

अमर्त्य का नई दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल में बुधवार सुबह अचानक दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 19 साल के थे।

दो साल में सेवानिवृत्त होने वाले अमर्त्य के पिता अमितोष चक्रवर्ती ने अपनी सारी जमा-पूंजी अपने बेटे के उपचार पर खर्च कर दी। उन्होंने दावा किया कि खेल मंत्रालय और भारतीय पैरालंपिक समिति (पीसीआई) से लगातार वित्तीय मदद करने के आग्रह पर कोई जवाब नहीं मिला।

अमितोष की वित्तीय हालत इतनी खराब हो गई है कि वह अपने बेटे के पार्थिव शरीर को दिल्ली से पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के सालकिया में अपने गृह नगर लेने जाने के लिए वित्तीय मदद की गुहार लगा रहे हैं।

अमितोष ने दिल्ली ने पीटीआई से कहा, ‘‘मेरी हालत भिखारी की तरह हो गई है। कोई जमा-पूंजी नहीं बची, उसके उपचार पर सब कुछ खर्च कर दिया, कर्जे में डूब गया हूं।’’

अमर्त्य उनका एकमात्र बेटा था।

अमितोष ने कहा, ‘‘यह भारत में राष्ट्रीय चैंपियन की हालत है और ऐसा व्यक्ति जिसे 2017 पैरा राष्ट्रीय चैंपियनशिप में सर्वेश्रेष्ठ तैराक चुना गया। ’’

चेन्नई के निजी अस्पताल या नई दिल्ली के एम्स के अपने बेटे के इलाज का खर्चा नहीं उठा पाने के कारण अमितोष अक्टूबर 2021 को अपने बेटे अमर्त्य को नई दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल ले गए।

पिछले साल दिसंबर में अमर्त्य की सर्जरी हुई और वह घर लौट आया लेकिन चार महीने बाद दोबारा समस्या होने लगी और उसे दोबारा दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।

अमितोष ने दावा किया, ‘‘हमने पीसीआई, खेल मंत्री और कई और लोगों को पत्र लिखे लेकिन कोई मदद के लिए आगे नहीं आया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर हमें वित्तीय सहायता मिल जाती तो उसे बचाया जा सकता था। चेन्नई में निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने मुझे कहा था कि उसका इलाज हो सकता है लेकिन मैं बेहतर उपचार का खर्च नहीं उठा सकता था।’’

अमितोष ने कहा, ‘‘मेरी नौकरी के दो साल बचे हैं और मैने पीपीएफ सहित सारा पैसा उसके उपचार पर लगा दिया। अब हमारे पास उसे वापस कोलकाता ले जाने के पैसे भी नहीं हैं।’’

पीसीआई के महासचिव गुरशरण सिंह ने कहा कि उनका संगठन पैरा खिलाड़ियों की वित्तीय मदद नहीं कर सकता क्योंकि वह स्वयं सरकार और अन्य के अनुदान पर चल रहा है।

गुरशरण ने पीटीआई से कहा, ‘‘कई बार पीसीआई के पास अपना काम चलाने के लिए भी पैसे नहीं होते और ऐसी स्थिति में हम कैसे खिलाड़ियों को वित्तीय मदद की पेशकश कर सकते हैं। हमारा मुख्य लक्ष्य देश में पैरा खेलों को बढ़ावा देना है और हमें सीमित संसाधनों का इस्तेमाल इसी दिशा में करना है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर हमारे पास पर्याप्त पैसा होता तो हम अपने खिलाड़ियों की मदद करते लेकिन दुर्भाग्य से हम ऐसी स्थिति में नहीं हैं क्योंकि हमारे वित्तीय संसाधन सीमित हैं।’’

भाषा सुधीर नमिता

नमिता

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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