नई दिल्ली: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ज़ीरो टॉलरेंस नीति का बड़ा असर एक बार फिर देखने को मिला है. प्रदेश में पहली बार कोडिनयुक्त कफ सिरप और नारकोटिक्स श्रेणी की दवाओं के अवैध डायवर्जन पर एनडीपीएस और बीएनएस एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. इससे पहले ऐसी गतिविधियों पर विभाग केवल लाइसेंस रद्द करता था, लेकिन इस बार सीएम योगी ने अवैध नशे का कारोबार करने वालों का पूरा गठजोड़ तोड़ने का बड़ा कदम उठाया.
देश के सबसे बड़े क्रैक डाउन से पहले एफएसडीए ने महीनों तक अंदरुनी जांच की और झारखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश तक जाकर सबूत जुटाए. इसके बाद दो महीने पहले पूरे प्रदेश में अभियान शुरू हुआ, जो अभी भी जारी है. 60 दिनों में 52 जिलों की 332 फर्मों पर छापेमारी हुई, जिनमें से 31 जिलों की 133 फर्मों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. कई संचालकों को जेल भी भेजा जा चुका है.
एफएसडीए सचिव एवं आयुक्त डॉ. रोशन जैकब ने बताया कि सीएम योगी ने शुरू से स्पष्ट निर्देश दिए थे कि नशे के इस गोरखधंधे को जड़ से खत्म किया जाए. उन्होंने कहा था कि केवल दिखावटी कार्रवाई न हो, बल्कि ऐसा एक्शन लिया जाए जो पूरे देश में नजीर बने. इसी आधार पर पहली बार एनडीपीएस और बीएनएस एक्ट में मुकदमे दर्ज किए गए और डीएम को गैंगस्टर एक्ट लगाने के लिए भी पत्र लिखा गया.
जांच में सामने आया कि कई औषधि प्रतिष्ठान केवल बिलिंग प्वाइंट के रूप में चल रहे थे और उनके पास वास्तविक भंडारण या दवाओं के लेनदेन के रिकॉर्ड मौजूद नहीं थे. पाया गया कि 133 प्रतिष्ठान संगठित तरीके से कोडिनयुक्त कफ सिरप और अन्य नारकोटिक दवाओं को गैर-चिकित्सकीय उपयोग के लिए बाजार में अवैध रूप से बेच रहे थे. यह दवाएं मुख्य रूप से लखनऊ, कानपुर, लखीमपुर खीरी और बहराइच से नेपाल तथा वाराणसी और गाजियाबाद से बांग्लादेश तक नशे के रूप में भेजी जा रही थीं.
कोडिनयुक्त सिरप की तस्करी के मामले जिन शहरों में सामने आए, उनमें वाराणसी, जौनपुर, कानपुर नगर, गाजीपुर, लखीमपुर खीरी, लखनऊ, बहराइच, बिजनौर, प्रयागराज, प्रतापगढ़, सीतापुर, सोनभद्र, रायबरेली, संतकबीरनगर, हरदोई, भदोही, अमेठी, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, उन्नाव, अंबेडकनगर, आजमगढ़, सहारनपुर, बरेली, सुल्तानपुर, चंदौली, बांदा और कौशांबी शामिल हैं.
सीएम योगी ने साफ निर्देश दिए थे कि कार्रवाई के दौरान छोटे व्यापारियों को परेशान न किया जाए. मुख्य निशाना उन सुपर स्टॉकिस्ट और होलसेलर को बनाया गया है जो अवैध नशे के इस नेटवर्क को चला रहे थे. दो माह के भीतर की गई यह कार्रवाई पूरे देश में अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन मानी जा रही है, जबकि अन्य राज्यों में केवल खानापूर्ति जैसी कार्रवाई की गई.
