नई दिल्ली: ऑस्ट्रेलिया में एडिलेड यूनिवर्सिटी के स्कॉलर्स की रिसर्च में पता चला है, कि रूस-यूक्रेन युद्ध पर पोस्ट करने वाले 60 से 80 प्रतिशत ट्विटर हैण्डल्स बॉट अकाउंट्स हो सकते हैं. शोधकर्त्ताओं ने आगे कहा कि दूसरे प्रभावों के बीच, हो सकता है कि ये बॉट अकाउंट्स दोनों देशों के बीच टकराव के दौरान लोगों को अपने घरों को छोड़ने के लिए धकेल रहे हों.
यहां यह जानना जरूरी है कि बॉट स्वचालित प्रोग्राम हैं जिनका उपयोग सोशल मीडिया में संलग्न होने के लिए किया जाता है. ये बॉट आंशिक रूप से या पूरी तरह से ऑटोनोमस तरीके से काम करता है, और अक्सर इंसानी यूजर्स की नकल करने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं. जबकि फिलोन्थ्रोपी सोशल मीडिया बॉट मौजूद हैं, कई सोशल मीडिया बॉट्स का उपयोग बेईमान और नापाक तरीकों से किए जाते हैं.
शोधकर्त्ताओं ने ये भी पाया कि ‘यूक्रेन समर्थक’ अकाउंट्स की संख्या ‘रूस समर्थक’ अकाउंट्स से ज़्यादा थी.
पेपर, जिसका शीर्षक था ‘#IStandWithPutin versus # IStandWithUkraine: रूस/यूक्रेन युद्ध पर चर्चा में बॉट्स और इंसानों के बीच संचार’, 20 अगस्त को जारी किया गया.
शोधकर्त्ताओं ने ट्विटर पर 52 लाख पोस्ट्स का अध्ययन किया- ट्वीट्स, रीट्वीट्स, हवाले, और ट्वीट्स के जवाब जो 23 फरवरी और 8 मार्च के बीच साझा किए गए थे- ताकि ये समझ सकें कि बॉट गतिविधि किस तरह रूस-यूक्रेन टकराव से जुड़ी ऑनलाइन चर्चाओं को प्रभावित कर सकती है, और बॉट किस तरह मानवीय भावनाओं पर असर डाल सकता है.
स्टडी की गई पोस्ट्स में ‘StandWithPutin’, ‘(I)StandWithRussia’, ‘(I)SupportRussia’, ‘(I)StandWithUkraine’, ‘(I)StandWithZelenskyy’ and ‘(I)SupportUkraine’ जैसे हैशटैग्स शामिल थे.
बॉट अकाउंट्स की पहचान इंडियाना यूनिवर्सिटी के बोटोमीटर के ज़रिए की गई- एक ऐसा सॉफ्टवेयर जो बॉट अकाउंट की पहचान करने में सहायता करता है.
एक शोधकर्त्ता जोशुआ वॉट ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम कह सकते हैं कि हैशटैग्स को ट्वीट करने वाले 60 प्रतिशत से 80 प्रतिशत अकाउंट्स, जिनका हमने युद्ध के पहले दो हफ्तों में अध्ययन किया, वो बॉट्स थे, जैसा कि बोटोमीटर के इस्तेमाल से पता चला था’.
वॉट के अनुसार, ये स्पष्ट नहीं है कि क्या बॉट्स लोगों को यूक्रेन या रूस छोड़कर भागने के लिए प्रभावित कर रहे थे.
वॉट ने आगे कहा: ‘हम इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकते कि क्या ये खातों के मूल की कोई भौगोलिक जानकारी न होने के कारण हो रहा है. हम सिर्फ ये निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि बॉट अकाउंट्स किसी देश/स्थान में चलने फिरने/भागने/ जाने या ठहरने से जुड़ी चर्चा को ज़्यादा प्रभावित कर रहे हैं’.
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‘यूक्रेन समर्थक’ बॉट अकाउंट्स ज़्यादा
शोधकर्त्ताओं के अनुसार, रूस-यूक्रेन पर ट्वीट कर रहे 90.16 प्रतिशत खाते ‘यूक्रेन समर्थक’ थे, और केवल 6.80 प्रतिशत ‘रूस समर्थक’ थे- और जिनमें मिला-जुला व्यवहार नज़र आया वो 3.04 प्रतिशत थे.
शोधकर्त्ताओं ने देखा कि ‘प्रो-रशिया नॉट बॉट’ अकाउंट ग्रुप में बाहर जाने वाली सूचना का प्रभाव सबसे अधिक है, और दूसरे बहुत से समूहों तक भी अच्छा ख़ासा प्रवाह है, और ‘यूक्रेन समर्थक’ तथा ‘संतुलित’ अकाउंट ग्रुप्स में भी जानकारी का प्रवाह पॉज़िटिव है.
इसका मतलब है कि ट्विटर पर रूस समर्थक यूज़र्स में, वास्तविक यूज़र्स के मुक़ाबले ज़्यादा यूज़र्स को प्रभावित करने की क्षमता है, जो यूक्रेन समर्थक हैं.
रिसर्चर्स ने ‘2 और 4 मार्च को बॉट्स में एक तेजी देखी गई. पहली तेजी रूस के खेरसॉन (यूक्रेन का एक शहर) पर क़ब्ज़ा करने के साथ आया, लेकिन तब भी देखा गया जब #(I)StandWithPutin and #(I)StandWithRussia हैशटैग ट्रेंड कर रहे थे’.
शोधकर्त्ताओं ने ये भी पाया कि दोपहर से 1.00 बजे तक का समय ‘किसी भी टाइम ज़ोन में ट्वीट करने के लिए सबसे लोकप्रिय है’.
यूक्रेन-समर्थक और रूस-समर्थक पक्षों के बीच सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाने वाले बॉट का प्रकार ‘स्वघोषित बॉट्स हैं- वो अकाउंट्स जो बॉट्स होने के बारे में पारदर्शी होते हैं- ‘जिनसे संकेत मिलता है कि अधिकारियों ने पहचान की है कि सूचना संग्राम मुहिम में ये बॉट्स सबसे उपयोगी साबित होते हैं’. स्वघोषित बॉट अकाउंट्स में यूज़रनेम या बोयो में ‘बॉट’ शब्द होता है.
रिसर्च में ये भी पता चला कि यूक्रेन समर्थक पक्ष, रूस समर्थक पक्ष के मुक़ाबले ज़्यादा एस्ट्रोटर्फ बॉट्स इस्तेमाल कर रहा था. एस्ट्रोटर्फ बॉट्स अति सक्रिय राजनीतिक बॉट्स होते हैं जो लगातार दूसरे अकाउंट्स में प्रवाहित होते रहते हैं, जिससे उस अकाउंट के फॉलोअर्स की संख्या बढ़ जाती है, और/या वो अपने ही अकाउंट से व्यवस्थित रूप से सामग्री को हटाते रहते हैं.
बॉट्स भावनाओं को कैसे उभारते हैं
रिसर्च में बॉट अकाउंट्स में सबसे ज़्यादा ज़ाहिर होने वाले शब्दों का अध्ययन किया गया, और देखा गया कि ‘स्वघोषित बॉट्स सरकारी इकाइयों के बारे में ग़ुस्से को ज़्यादा उभारते हैं. एक रूस समर्थक नज़रिए से इसका मक़सद पश्चिम में ज़्यादा विघ्न पैदा करना हो सकता है, और यूक्रेन समर्थक नज़रिए से इसका मक़सद रूस में हंगामा खड़ा करना हो सकता है’.
रिसर्च पेपर में देखा गया कि बॉट्स ग़ुस्से से संबंधित शब्द इस्तेमाल करके भी रोष पैदा कर सकते हैं, जिनमें अधिकतर ‘डर और चिंता के आसपास’ होते हैं
इसलिए शोधकर्त्ताओं का तर्क था कि बॉट्स और स्वचालित अकाउंट्स ‘मिलकर रूस/यूक्रेन युद्ध की चर्चा में डर को बढ़ा देते हैं’.
रिसर्च पेपर्स में देखा गया कि गति से जुड़ी ऑनलाइन चर्चा को बढ़ाने के लिए बॉट्स ‘चलने-फिरने’ ‘जाने’ और ‘जा रहे’ जैसे शब्दों वाले पोस्ट्स को भी ट्वीट करते हैं, जिन्हें संभावित रूप से देश में ठहरने या उससे भागने से जोड़कर देखकर देखा जाता है.
पेपर ने दावा किया कि इसे ग़ुस्से में बढ़ोतरी के साथ मिलाकर देखने से संकेत मिलता है, कि हो सकता है कि बॉट्स लोगों के इन फैसलों को प्रभावित कर रहे हों, कि वो अपने घरों को छोड़कर जाएं कि नहीं.
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