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Thursday, 2 May, 2024
होमरिपोर्टजब भरोसा नहीं, तो खट्टर के साथ काम करने का कोई मतलब नहीं : हरियाणा के पूर्व गृह मंत्री अनिल विज

जब भरोसा नहीं, तो खट्टर के साथ काम करने का कोई मतलब नहीं : हरियाणा के पूर्व गृह मंत्री अनिल विज

दिप्रिंट को दिए इंटरव्यू में विज ने कहा कि उन्हें पिछले महीने राज्य सरकार में हुए बदलावों के बारे में अंधेरे में रखा गया था. पूर्व मंत्री ने उन दावों को खारिज कर दिया कि उन्हें नायब सैनी कैबिनेट का हिस्सा बनने के लिए कहा गया था.

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अंबाला: हरियाणा सरकार में पिछले महीने हुए फेरबदल से अभी भी नाराज़ राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि जब उन दोनों के बीच भरोसा नहीं रहा तो, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ काम करने का कोई मतलब नहीं था. छह बार के विधायक ने एक विशेष इंटरव्यू में दिप्रिंट को बताया, “मैं अब अपनी औकात (स्थान) पर आ गया हूं.”

खट्टर सरकार के सबसे वरिष्ठ मंत्रियों में से एक, विज 12 मार्च से ही खट्टर से नाराज़ हैं, जब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की राज्य इकाई के प्रमुख नायब सिंह सैनी ने उनकी जगह मुख्यमंत्री का पद संभाला था और राज्य पार्टी की बैठक को छोड़कर चले गए थे. विज सैनी कैबिनेट का हिस्सा नहीं हैं.

दिप्रिंट से बात करते हुए पूर्व मंत्री ने दावा किया कि सत्ता में बदलाव के बारे में उन्हें “अंधेरे में रखा गया”. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे करनाल से लोकसभा चुनाव लड़ रहे खट्टर के लिए प्रचार नहीं करेंगे.

उन्होंने कहा, “जब उन्हें (खट्टर को) मुझ पर कोई भरोसा नहीं है और इतने महत्वपूर्ण मुद्दे (सीएम बदलने) को साझा नहीं कर सकते, तो उनके साथ काम करने का कोई मतलब नहीं है…मैं काम करूंगा और खुद को अपने निर्वाचन क्षेत्र अंबाला कैंट विधानसभा तक ही सीमित रखूंगा.”

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इंटरव्यू में विज ने खट्टर के साथ अपने संबंधों, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा और केंद्र भाजपा सरकार के खिलाफ विपक्ष के आरोपों के बारे में क्या सोचते हैं, इस बारे में बात की.


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‘सीएम का विशेषाधिकार’

विज के रिश्ते खट्‌टर के साथ खराब हैं और वे पहले भी उनके प्रति अपनी नाराज़गी ज़ाहिर कर चुके हैं. उदाहरण के लिए नवंबर 2023 में भाजपा के दिग्गज नेता, जिनके पास स्वास्थ्य विभाग भी था, ने मुख्यमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप का दावा करते हुए मंत्रालय की फाइलों को मंजूरी देना बंद कर दिया.

यह तीन साल बाद था जब राज्य के अपराध जांच विभाग को लेकर रस्साकशी के कारण मुख्यमंत्री को उनसे प्रभार छीनकर खुद को आवंटित करना पड़ा था.

अब उन उदाहरणों का ज़िक्र करते हुए विज ने कहा कि वे सुझाव और प्रतिक्रियाओं के लिए मौजूद हैं. उन्होंने कहा, “हालांकि, अगर कोई मेरे काम में दखल देने की कोशिश करता है तो मैं उसे कभी बर्दाश्त नहीं करता.”

सैनी के शपथ ग्रहण के तुरंत बाद, खट्टर ने दावा किया कि विज “आसानी से परेशान हो जाते हैं” और उन्हें नए मंत्रिमंडल का हिस्सा बनने के लिए कहा गया था, लेकिन विज ने इस बात को खारिज करते हुए कहा कि किसी ने उनसे बात नहीं की.

विज ने कहा, “दोनों मुख्यमंत्रियों (खट्टर और सैनी) ने इस पर चर्चा की होगी और फैसला लिया होगा, लेकिन मुझे कोई दिक्कत नहीं है. आखिर कुल विधायकों में से 15 फीसदी को ही मंत्री बनाया जाना है. बाकी 85 विधायक बचे हैं. मैं अब 85 प्रतिशत विधायकों में से एक हूं.” उन्होंने आगे कहा, कैबिनेट का हिस्सा होना “हमेशा एक सीएम का विशेषाधिकार” था.

उन्होंने कहा, इस प्रकरण ने उन्हें एहसास दिलाया कि वे “सिर्फ एक छोटे कार्यकर्ता” थे.

पूर्व मंत्री ने कहा, “मैं अभी सिर्फ एक विधायक हूं. मैं अपनी अंबाला कैंट (विधानसभा) सीट पर ध्यान केंद्रित करूंगा और अंबाला संसदीय सीट के उम्मीदवार बंतो कटारिया के लिए अधिकतम वोट हासिल करने की कोशिश करूंगा.”

हालांकि, उन्होंने उन अटकलों को खारिज कर दिया कि चुनाव से ठीक पहले सत्ता परिवर्तन से भाजपा की संभावनाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में है.

हरियाणा के पूर्व गृहमंत्री ने कहा, “वे देश की सभी 543 सीटों पर हमारे उम्मीदवार हैं और लोग उन्हें भारी जनादेश देंगे. पिछले 10 साल में उन्होंने जो किया है, उसके लिए लोग उन्हें वोट देंगे – स्वच्छ भारत मिशन, आयुष्मान भारत, उज्ज्वला योजना (प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना), बालाकोट स्ट्राइक, चंद्रयान -3, अनुच्छेद 370, राम मंदिर…भले ही मुझे उसके लिए अपना जीवन बलिदान करना हो, मैं दो बार नहीं सोचूंगा.”

विधानसभा चुनावों के लिए उन्होंने कहा कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व ज़मीनी हकीकत से अच्छी तरह वाकिफ है और “पार्टी को मजबूत करने” के लिए जो भी ज़रूरी होगा वो करेगा.

‘विपक्ष लोगों को गुमराह कर रहा’

विज ने विपक्ष के इन आरोपों को खारिज कर दिया कि मोदी सरकार उन्हें समान अवसर नहीं देने के लिए राज्य मशीनरी का इस्तेमाल कर रही है. उन्होंने कहा कि इस तरह के आरोप लगाकर विपक्ष लोगों को गुमराह कर रहा है.

विज ने कहा, “जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है (ऐसे मामलों में) उनके पास अदालतों से राहत मांगने का मौका था, लेकिन अदालतों ने आरोपों को विश्वसनीय पाया और उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया.”

जब उन्हें बताया गया कि अदालतें इन मामलों की योग्यता के आधार पर ऐसी ज़मानत देने से इनकार नहीं कर रही हैं, बल्कि 2014 के बाद से मोदी सरकार द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 में किए गए बदलावों के कारण, विज ने कहा कि जब ये संशोधन किए जा रहे थे, विपक्ष भी संसद का हिस्सा था.

उन्होंने कहा, “देश के कानून का सभी को पालन करना होगा.”

हालांकि, जब द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के बारे में पूछा गया जिसमें कहा गया था कि भ्रष्टाचार के मामलों वाले 25 में से 23 नेताओं को भाजपा में शामिल होने के बाद क्लीन चिट दे दी गई थी, तो विज ने कहा कि उन्हें “निजी मामलों” की जानकारी नहीं है.

(इस इंटरव्यू को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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