scorecardresearch
Friday, 3 May, 2024
होमदेशयोगी सरकार द्वारा उतारे गए मंदिरों और मस्जिदों के लाउडस्पीकरों का आखिर हुआ क्या

योगी सरकार द्वारा उतारे गए मंदिरों और मस्जिदों के लाउडस्पीकरों का आखिर हुआ क्या

स्कूल के अधिकारी अब इन लाउडस्पीकरों का उपयोग उन सांस्कृतिक कार्यक्रमों और रैलियों में करने की योजना बना रहे हैं, जिन्हें उन्हें मतदाता जागरूकता अभियानों और सरकार के छात्र नामांकन अभियान के हिस्से के रूप में आयोजित करना होता है.

Text Size:

गोरखपुर/लखनऊ: मंदिरों और मस्जिदों के ऊपर से लाउडस्पीकरों को हटाने से जुड़ा शोर शराबा थमने के साथ ही उत्तर प्रदेश में इन लाउडस्पीकरों को एक नया स्थान और भूमिका मिल गयी है – उन स्कूलों में जो सांस्कृतिक कार्यक्रमों और जन जागरूकता रैलियों के दौरान उनका उपयोग करने की योजना बना रहे हैं.

पिछले दो महीनों के दौरान ऐसे कई लाउडस्पीकर सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों के साथ-साथ राज्य भर के तहसील कार्यालयों को सौंपे गए हैं. हालांकि, कई लाउडस्पीकर, जिनकी मरम्मत का काम लंबित है, अभी भी बिना किसी उपयोग के पड़े हैं.

स्कूल के अधिकारीगण अब निष्क्रिय पड़े लाउडस्पीकरों को ठीक करवाने और स्वतंत्रता दिवस से पहले होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए उनका उपयोग करने की योजना बना रहे हैं. साथ ही, ये लाउडस्पीकर उन रैलियों में भी काम आयेंगें जिन्हें मतदाता जागरूकता अभियानों और ‘स्कूल चलो अभियान’ – प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में नामांकन बढ़ाने के लिए राज्य सरकार का अभियान – के हिस्से के रूप में आयोजित किया जाना है.

इस महीने की शुरुआत में अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल में 100 दिन पूरे करने के अवसर पर मीडिया को संबोधित करते हुए, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि करीबन 1.2 लाख से अधिक लाउडस्पीकर या तो धार्मिक स्थलों से हटा दिए गए हैं या उनकी आवाज धीमी कर दी गई थी.

हालांकि, 20 जून को राज्य के गृह विभाग द्वारा साझा किए गए एक बयान के अनुसार, पूरे यूपी में धार्मिक स्थलों से 74,700 लाउडस्पीकर हटा दिए गए थे, जबकि 59,950 अन्य लाउडस्पीकरों ने अपनी आवाज़ को धीमा कर दिया था. यह बयान दर्शाता है कि लाउडस्पीकरों की कुल संख्या 1.34 लाख तक पहुंच गयी है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

इसी बयान में आगे कहा गया है, ‘धार्मिक स्थलों से हटाने के बाद स्कूलों को सौंपे गए उपकरणों की कुल संख्या 17,791 है.’

इसे साल, अप्रैल में, राज्य सरकार ने धार्मिक उद्देश्यों के लिए लाउडस्पीकर के उपयोग को सीमित कर दिया था. खासकर ऐसे समय में जब कई राज्यों में रामनवमी और हनुमान जयंती के अवसर पर धार्मिक जुलूसों के दौरान हिंसा देखी गई थी.


यह भी पढ़ें-श्रीलंका पर बैठक में सरकार के राज्यों की ‘खराब वित्तीय स्थिति’ का मुद्दा उठाने पर विपक्षी MPs ने जताई आपत्ति


‘रैलियों, सुबह की प्रार्थना के लिए हैं उपयोगी’

मई माह में गोरखपुर स्थित प्राथमिक विद्यालय गोरखनाथ कन्या को स्थानीय प्रशासन की ओर से दो लाउडस्पीकर मिले थे. वहां की प्रिंसिपल (प्रधानाचार्य) विभा तिवारी ने दिप्रिंट को बताया कि इन्हें स्कूल से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित गोरखनाथ मंदिर से हटाया गया था.

हालांकि स्कूल प्रशासन इन लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं कर रहा है. उन्होंने उनमें से एक को स्कूल में लगवा दिया दिया था, लेकिन इसमें जल्द ही खराबी आ गयी. अब इसे फिर से उपयोग में लाने से पहले स्कूल के फंड से इसकी मरम्मत करवाने की आवश्यकता होगी. दूसरा लाउडस्पीकर तो कभी इस्तेमाल ही नहीं किया गया था.

तिवारी ने कहा, ‘प्रशासन चाहता था कि इसका इस्तेमाल सुबह की सभा (प्रार्थना) के लिए किया जाए. हमने इसे छत पर लगाया और लगभग 10 दिनों तक इसका इस्तेमाल किया. लेकिन चूंकि यह एक पुराना लाउडस्पीकर है, इसलिए मुझे लगता है कि इसका कोई कनेक्शन टूट गया है. हम इसे ठीक करवा देंगे.’

पिछले बुधवार को जब दिप्रिंट ने स्कूल का दौरा किया, तो दोनों लाउडस्पीकर एक कक्षा में पीछे की तरफ पड़े थे.

तिवारी ने कहा कि इन लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल मुख्य रूप से सार्वजनिक घोषणाओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए किया जाएगा.

इस साल की शुरुआत में हुए राज्य विधानसभा चुनाव से पहले स्कूल द्वारा आयोजित ‘वोट फॉर नेशन’ नामक एक अभियान का वीडियो दिखाते हुए, उन्होंने आगे कहा, ‘उनका उपयोग ‘स्कूल चलो अभियान’ के तहत आयोजित होने वाली रैलियों में किया जा सकता है. आजकल, प्राथमिक विद्यालयों को चुनाव से पहले जनता से मतदान करने का आग्रह करने हेतु जागरूकता रैलियां निकालने का काम भी सौंपा गया है.’

यहां से लगभग 28 किलोमीटर दूर ऐतिहासिक शहर चौरी चौरा कस्बे में राज पब्लिक स्कूल है. यहां भी पास की एक मस्जिद से हटाए गए लाउडस्पीकर को स्कूल प्रबंधन को सौंपा गया था. हालांकि, यह फिलहाल स्कूल के एक भंडार गृह में पड़ा है.

इस स्कूल के प्रशासक राजकुमार शर्मा ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमारे यहां एक छोटा सा साउंड सिस्टम है, जो हमारे लिए ठीक-ठाक काम करता है. हमने अभी तक इसे (लाउडस्पीकर) नहीं लगाया है, लेकिन हम आने वाले दिनों में ऐसा कर सकते हैं.’

यह पूछे जाने पर कि उनका स्कूल इस लाउडस्पीकर का उपयोग किस तरह से करने की योजना बना रहा है, उन्होंने कहा कि इसका उपयोग केवल ‘सुबह की सभा के दौरान प्रार्थना के लिए’ किया जाएगा.

लखनऊ के बादशाह नगर इलाके के स्थित आर्य कन्या पाठशाला इंटर कॉलेज के प्रबंधन को मई में एक लाउडस्पीकर सौंपा गया था. लेकिन स्कूल की प्रिंसिपल डॉ ममता किरण राव ने दिप्रिंट को बताया कि यह ख़राब था, इसलिए इसे अभी तक भी लगाया नहीं गया है. स्कूल के पास पहले से ही दो लाउडस्पीकर थे.

उन्होंने कहा, ‘स्थानीय पुलिस ने हमें एक लाउडस्पीकर सौंपा था. यह फ़िलहाल निष्क्रिय पड़ा हुआ है; हम इसकी मरम्मत करवाएंगे.’ साथ ही उनका कहना था कि यह सार्वजनिक रैलियों के आयोजन में ‘बहुत मददगार’ होगा.

प्रिंसिपल राव ने कहा ‘हर दिन, हमारे कुछ छात्र मैदान में इकट्ठा होते हैं और प्रार्थना करते हैं, जबकि अन्य छात्र अपनी-अपनी कक्षाओं से इसमें भाग लेते हैं. हमने हाल ही में जून महीने में सड़क सुरक्षा के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए एक रैली निकाली थी. (इन रैलियों में) छात्रों को नारे लगाने पड़ते हैं, जिससे सड़क पर किये जाने वाले (ऑन-रोड) अभियान मुश्किल बन जाते है. अब से वे इनमें लाउडस्पीकर का ही प्रयोग करेंगे.‘

अपना नाम न बताने की शर्त पर आर्य कन्या पाठशाला के एक अन्य कर्मचारी ने कहा: ‘सरकार ने स्कूलों को विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों के बारे में जागरूकता पैदा करने की जिम्मेदारी दी है. हमारे छात्र आमतौर पर लगभग 1-2 किमी की दूरी के भीतर के इलाकों का दौरा करते हैं. शिक्षकगण भी रविवार को पोलियो टीकाकरण और मतदान जागरूकता अभियान जैसे कार्यक्रमों के लिए बाहर जाते हैं.‘

स्थानीय प्रशासन के निर्देश पर, कुछ जिलों ने इस साल के राज्य विधानसभा चुनावों से पहले लोगों से मतदान करने की अपील हेतु स्कूली बच्चों को शामिल करते हुए एक अभियान शुरू किया था .

तहसील कार्यालयों में धूल फांक रहे हैं लाउडस्पीकर

हालांकि कुछ लाउडस्पीकर अभी भी स्कूलों तक नहीं पहुंचे हैं और तहसील कार्यालयों में पड़े-पड़े धूल फांक रहे हैं.

गोरखपुर के भैंसाही नरेश गांव के प्रधान सतीश सिंह ने कहा कि पुलिस और स्थानीय प्रशासन द्वारा मई में एक लाउडस्पीकर सौंपा गया था, जिसे भैंसाही रामदत्त गांव, चौरी चौरा के सरकारी प्राथमिक विद्यालय को दिया जाना था.

सिंह ने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा, ‘प्रशासन ने वह लाउडस्पीकर सौंप दिया था लेकिन यह तहसील कार्यालय में पड़ा है क्योंकि उस दिन स्कूल बंद था. यदि जरुरी हो, तो हम इसे अभी स्कूल को दे सकते हैं. ‘

हालांकि भैंसाही रामदत्त के सरकारी प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य राम प्रकाश यादव ने कहा कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है की कि उनके स्कूल को कोई लाउडस्पीकर दिया जाना है.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘हमारे पास पहले से ही एक ब्लूटूथ-इनेबल्ड (ब्लूटूथ से जुड़ सकने वाला स्पीकर) है, जिसे एक सरकारी योजना के हिस्से के रूप में खरीदा गया था. इसे खरीदने के लिए हमें 2,000 रुपये मिले थे. हम इसका उपयोग करके सुबह की प्रार्थना और बाल सभा (छात्रों की बैठकें जहां वे बहस और चर्चा कर सकते हैं) का आयोजन कर रहे हैं.’

बता दें कि इस साल फरवरी में, बुनियादी शिक्षा विभाग ने छात्रों के सीखने के परिणामों (लर्निंग आउटकमस) में सुधार लाने के उद्देश्य से ब्लूटूथ-इनेबल्ड स्पीकर खरीदने हेतु प्रत्येक सरकारी स्कूल को 2,000 रुपये प्रदान किए थे.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें- 300 गवाहों से पूछताछ, कोलकाता पुलिस को ममता के घर में तोड़-फोड़ के पीछे ‘बड़ी साजिश’ का शक


 

share & View comments