लखनऊ: उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में ग्रामीण रोजगार सृजन के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धियां दर्ज की जा रही हैं. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत वित्तीय वर्ष 2025–26 में अब तक प्रदेश के 48 लाख से अधिक परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है. इनमें से 31 प्रतिशत से अधिक लाभार्थी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग से हैं, जो सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के प्रति योगी सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
योगी सरकार के कार्यकाल में मनरेगा केवल रोजगार का माध्यम ही नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने का सशक्त जरिया बनकर उभरा है. वित्तीय वर्ष 2025–26 में योजना के तहत 97 प्रतिशत से अधिक श्रमिकों को समय पर भुगतान सुनिश्चित किया गया है. इससे श्रमिकों का भरोसा बढ़ा है और पारदर्शिता के साथ उन्हें उनकी मेहनत का पूरा लाभ मिल रहा है.
प्रदेश सरकार ने मनरेगा के माध्यम से अब तक 6,703 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च कर गांवों में आय के नए स्रोत तैयार किए हैं. इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़े हैं और पलायन पर प्रभावी अंकुश लगा है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार की स्पष्ट नीति है कि रोजगार के साथ-साथ सम्मान भी सुनिश्चित किया जाए. इसी के तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के परिवारों को मनरेगा में विशेष प्राथमिकता दी जा रही है. इसका सीधा असर उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार के रूप में देखने को मिल रहा है.
मनरेगा के जरिए प्रदेश में विकास कार्यों को नई गति मिली है. गांवों में टिकाऊ परिसंपत्तियों का निर्माण हो रहा है और लाखों परिवार आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. योगी सरकार में मनरेगा के तहत बने ये रिकॉर्ड उत्तर प्रदेश में समावेशी विकास और मजबूत ग्रामीण अर्थव्यवस्था की एक सशक्त तस्वीर पेश कर रहे हैं.
