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Sunday, 22 December, 2024
होमरिपोर्ट‘सुबह का भूला...’—शिवसेना के पहले बागी छगन भुजबल के पास एकनाथ शिंदे के लिए क्या है संदेश

‘सुबह का भूला…’—शिवसेना के पहले बागी छगन भुजबल के पास एकनाथ शिंदे के लिए क्या है संदेश

1991 में पार्टी नेतृत्व की ‘अनदेखी’ से नाराज होकर शिवसेना छोड़ देने वाले भुजबल अभी एमवीए सरकार में एनसीपी के मंत्री हैं. उन्होंने ‘गरिमापूर्ण तरीके’ से शिवसेना का नेतृत्व करने को लेकर उद्धव ठाकरे की प्रशंसा की है.

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नई दिल्ली: 1991 में पार्टी नेतृत्व की ‘अनदेखी’ से नाराज होकर शिवसेना छोड़ने वाले सबसे पहले बागी छगन भुजबल की सलाह है कि ‘एकनाथ शिंदे को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ बैठकर बात करनी चाहिए और शिकायतों को दूर करना चाहिए.’

अभी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के एक वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार में मंत्री भुजबल ने दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में उद्धव ठाकरे को ‘शिवसेना का सम्मानजनक तरीके से नेतृत्व करने’ का श्रेय भी दिया.

भुजबल ने ये तारीफ ऐसे समय पर की है जब सियासी संकट में घिरे ठाकरे पार्टी के खिलाफ शिंदे और कथित तौर 55 में 40 विधायकों की तरफ से की गई बगावत से जूझ रहे हैं. बागी विधायक असम में डेरा डाले हैं, और पार्टी प्रमुख के नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं. उनका आरोप है कि ठाकरे एमवीए गठबंधन सहयोगियों एनसीपी और कांग्रेस के दबाव में काम कर रहे हैं.

एनसीपी प्रमुख शरद पवार मुख्यमंत्री ठाकरे के साथ बैठक कर रहे हैं, और भुजबल ने एमवीए गठबंधन की रणनीति पर आगे चर्चा की है. उन्होंने कहा, ‘उद्धव को कागजों पर तो अभी भी बहुमत हासिल है. चंद लोग ही हैं जो अलग-अलग जगह बैठे हैं. वह विद्रोहियों को अपने पाले में लौटने के लिए मनाने की कोशिश में जुटे हैं. अगर संख्या में कोई बदलाव होता है तो विधानसभा में उसका परीक्षण किया जाएगा. अभी तक तो शिंदे भी शिवसेना का ही हिस्सा हैं.’

उन्होंने कहा, ‘शिंदे को मेरी सलाह है कि यह शिवसेना की अंदरूनी लड़ाई है, इसलिए साथ बैठें और शिकायतें सुलझाएं. न तो उन्होंने शिवसेना को छोड़ा है और न ही शिवसेना ने उन्हें निकाला है, इसलिए ये सब जुबानी जंग खत्म करो.’

उन्होंने उद्धव ठाकरे का बचाव करते हुए आगे कहा कि उन्होंने ‘बालासाहेब ठाकरे (अपने पिता) की विरासत को अच्छी तरह से आगे बढ़ाया है और आगे आकर नेतृत्व किया है.’

गौरतलब है कि 1991 में तब बाल ठाकरे ही शिवसेना का नेतृत्व कर रहे थे जब भुजबल ने विद्रोह किया था. उन्होंने 18 विधायक तोड़ लिए थे और कांग्रेस के लिए समर्थन की घोषणा की, जो उस समय महाराष्ट्र में सत्ता में थी. लेकिन बागी विधायकों में से 12 उसी दिन ठाकरे के पाले में लौट गए थे.

भुजबल ने दिप्रिंट को बताया, ‘बालासाहेब की मृत्यु (2012 में) के बाद उद्धव ने शिवसेना की कमान संभाली और उन्होंने विधानसभा में अच्छी संख्या के साथ पार्टी का नेतृत्व किया और सुनिश्चित किया कि शिवसेना महाराष्ट्र की सत्ता में आए. आज मुख्यमंत्री शिवसेना का है, इसलिए मुझे नहीं लगता कि पार्टी में संकट उनके नेतृत्व के कारण है. उन्होंने बहुत ही सम्मानजनक तरीके से नेतृत्व संभाला है.’


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बदलता ट्रैक

उद्धव ठाकरे ने पार्टी के भीतर बगावत के बाद से पिछले कुछ दिनों में अपनी रणनीति कई बार बदली है, एमवीए के साथ गठबंधन तोड़ने की पेशकश, फिर बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कराने की दिशा में कदम उठाने के बाद अब वह बहुमत साबित करने के लिए फ्लोर टेस्ट पर जोर दे रहे हैं.

पवार ने भी गुरुवार शाम यही कहा. उन्होंने कहा, ‘एक फ्लोर टेस्ट तय करेगा कि किसके पास बहुमत है. शिवसेना के बागी विधायकों को मुंबई आना होगा… क्योंकि अगर महा विकास अघाड़ी अल्पमत में है तो उन्हें विधानसभा में यह दिखाना होगा…और एक बार उनके (विद्रोहियों के) सदन में आने के बाद ही साफ होगा कि कौन उनके साथ है?’

कांग्रेस और एनसीपी ने शिवसेना प्रमुख के समर्थन में सार्वजनिक बयान दिए हैं. इस सवाल पर कि क्या एनसीपी फ्लोर टेस्ट तक शिवसेना के साथ गठबंधन में रहेगी, भुजबल ने आश्वस्त किया, ‘हम अंतिम क्षण तक एमवीए के साथ हैं. हम एकजुट हैं, इसमें कोई भ्रम नहीं है. बहुमत का परीक्षण केवल विधानसभा पटल पर किया जाएगा. (कांग्रेस अध्यक्ष) सोनिया गांधी जी, पवार साहब और उद्धव ठाकरे एक स्वर में बोल रहे हैं. हम चट्टान की तरह उद्धव के पीछे खड़े हैं.’

यह पूछे जाने पर कि क्या महाराष्ट्र में मौजूदा संकट के पीछे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का हाथ है, उन्होंने कहा, ‘कोई भी आपके घर में खलल डाल सकता है, लेकिन सफल तभी होगा जबकि आपका घर खुद ठीक न हो.’

एनसीपी के भाजपा के साथ जाने की संभावनाओं को लेकर पूछे गए सवाल पर भुजबल ने कहा, ‘हम कभी भी भाजपा के साथ हाथ नहीं मिलाएंगे.’


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डिप्टी स्पीकर पर भरोसा

एमवीए पार्टनर महाराष्ट्र के डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल पर भरोसा कर रहे हैं, जो एनसीपी से आते हैं. उन्हें उम्मीद है कि जब वैधता की बात आएगी तो वह उनके पक्ष में फैसला लेंगे.

शिवसेना सूत्रों का कहना कि पार्टी को उम्मीद है कि एक बार जब डिप्टी स्पीकर यह निर्धारित करने की कानूनी प्रक्रिया शुरू करेंगे कि अधिकांश विधायक किस खेमे के हैं, और उद्धव की 16 बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका पर विचार करेंगे, तो वह विधायकों को अपना पक्ष रखने के लिए व्यक्तिगत रूप से पेश होने का समय देंगे. और शिवसेना को उनमें से कुछ को फिर अपने खेमे में लाने का मौका मिल सकता है.

अगर जिरवाल 16 विधायकों को अयोग्य ठहराते हैं, तो विधानसभा की मौजूदा संख्या कम हो जाएगी. एमवीए के लिए बहुमत के मौजूदा आंकड़े 143 के बजाये 135 सीटों पर बहुमत साबित करना आसान हो सकता है. सदन में कुल 288 सीटें हैं, लेकिन एक विधायक की मौत और दो के जेल में बंद होने के साथ विधानसभा की प्रभावी ताकत अभी 285 है.

जिरवाल ने शुक्रवार को विधानसभा में शिंदे की जगह अजय चौधरी की शिवसेना नेता के तौर पर नियुक्ति को मंजूरी दे दी.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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