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Saturday, 1 June, 2024
होमरिपोर्ट'अदालतों पर अब भरोसा नहीं' - निठारी कांड में आरोपियों के बरी होने पर दर्द में हैं बच्चों को खोने वाले परिवार

‘अदालतों पर अब भरोसा नहीं’ – निठारी कांड में आरोपियों के बरी होने पर दर्द में हैं बच्चों को खोने वाले परिवार

निठारी हत्याकांड साल 2006 के दिसंबर में प्रकाश में आया था, जब इस इलाके से बच्चों के लापता होने की सूचना मिली थी और बाद में गांव से सटे एक घर के पास नाले में कंकाल पाए गए थे.

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नोएडा: “भगवान सबसे बड़ा जज है,” निठारी का एक 63 वर्षीय निवासी एक पेड़ के नीचे स्टैंड पर कपड़े इस्त्री करते हुए बड़बड़ा रहा था. जब मीडियाकर्मियों की भीड़ ने उसे घेर लिया तो उसकी पत्नी ने आंसू पोंछे.

उसकी बेटी – जो कि 2006 में लापता होने के समय 10 साल की थी – उन बच्चों में से एक थी, जिनके बारे में संदेह है कि 2005-2006 में महिलाओं और बच्चों को निशाना बनाकर की गई हत्याओं के दौरान में निठारी में उनकी हत्या कर दी गई थी.

सोमवार को, दो आरोपियों – मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके घरेलू नौकर सुरिंदर कोली को सबूतों के अभाव में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अधिकांश मामलों में बरी कर दिया था.

सीबीआई ने शुरुआत में 19 मामले दर्ज किए थे, जिनमें से उसने तीन में क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी. कोली को उसके खिलाफ दर्ज 16 मामलों में से 12 में सोमवार को बरी कर दिया गया. पहले तीन मामलों में उसे छोड़ दिया गया था और बाकी मामले में उसे मौत की सजा सुनाई गई है.

पंढेर को सोमवार को दो मामलों में बरी कर दिया गया, जिससे वह पूरी तरह से स्वतंत्र हो गया है क्योंकि उसके खिलाफ पहले चार अन्य मामलों में भी उसे बरी कर दिया गया था.

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दिप्रिंट से बात करते हुए, उसने कहा कि वह पंढेर को बरी किए जाने की वजह से स्तब्ध है.

उसने कहा “जब मैं कपड़े इस्त्री करने आया, तो मैंने देखा कि मीडियाकर्मी यहां इकट्ठे हुए थे. उन्होंने मुझे इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के बारे में बताया. जिसे सुनकर मैं चौंक पड़ा कि वे उसे कैसे बरी कर सकते हैं?”

इस मामले में वह अकेला नहीं है. इस फैसले से कथित निठारी पीड़ितों के कई परिवार हैरान, क्रोधित और निराश महसूस कर रहे हैं.

इनमें एक स्थानीय दुकान-मालिक भी शामिल है जिसका 5 वर्षीय बेटा जूस खरीदने के लिए बाहर गया था जब वहत अचानक पंढेर से मिला. सोमवार को फैसला आने के बाद वह टीवी से नजरें नहीं हटा पा रही थीं.

जब वह निठारी गांव में अपनी दुकान के बाहर बैठी थी – दुकान ग्राहकों के लिए बंद थी – तब उसके पड़ोसी ने पूछा, “आप इसे कितनी बार देखेंगे? फैसला नहीं बदलेगा.”

दिप्रिंट से बात करते हुए, दुकान के मालिक ने कहा कि आरोपियों के घर के बाहर कंकाल मिलने से पहले उन्होंने महीनों तक अपने बेटे की तलाश की थी – उनके बेटे का मामला उन मामलों में से एक था जिसमें आरोपियों को पहले बरी कर दिया गया था, लेकिन वह शांत थीं, क्योंकि पुलिस ने उसे बताया था कि दोनों को अन्य मामलों में मौत की सजा सुनाई गई है.

उन्होंने कहा, “मुझे अब अदालतों पर भरोसा नहीं है. अदालत ने हमें धोखा दिया है. हम गरीब लोग हैं जबकि आरोपी अमीर है और इसीलिए फैसला उसके पक्ष में आया है.


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‘मैं हारा हुआ महसूस कर रहा हूं’

निठारी हत्याकांड दिसंबर 2006 में प्रकाश में आया, जब इलाके में बच्चों के लापता होने की सूचना मिली और बाद में पंढेर के घर के पास एक नाले में कंकाल पाए गए, जो गांव से सटा हुआ है.

कपड़े इस्त्री करने वाले व्यक्ति ने दिप्रिंट को बताया कि उसने 2006 में अपनी बेटी की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी. उन्होंने आगे कहा, डेढ़ साल बाद जब वह आरोपी की गिरफ्तारी के बाद वहां गया तो उसे उसके कपड़े उस घर में मिले जहां आरोपी रहते थे.

उन्होंने कहा, ”मैं पिछले 17 साल से केस लड़ रहा हूं. मैं पुलिस स्टेशनों, सीबीआई, अदालतों में गया हूं, लेकिन आज मैं हारा हुआ महसूस कर रहा हूं.”

उसने कहा, “उन लोगों ने पुलिस के सामने कबूल किया कि उन्होंने हमारे बच्चों की हत्या की है. पुलिस के पास वीडियो है. मैंने वीडियो देखा. क्या यह पर्याप्त नहीं था?”

इस बीच, अपने 5 साल के बेटे को खोने के बाद निठारी की वह दुकान की मालकिन दहशत की स्थिति में थी, जहां वह अपने अन्य बच्चों को अकेले कहीं भी नहीं जाने देती थी.

वह अपने तीन अन्य बच्चों को सुबह स्कूल छोड़ती है, दोपहर में उन्हें लेने आती है और उनके साथ ट्यूशन क्लास भी जाती है.

उसने कहा, “हमारे बेटे के साथ जो हुआ उसे हम नहीं भूल पाए हैं. तब से, हमारे परिवार में कोई भी अकेले कहीं नहीं जाता है.”

‘खूनी हवेली, भूतिया घर, बच्चा चोर’

हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद पंढेर के घर “D5” के बाहर भीड़ जमा हो गई और उसके बरी होने पर चर्चाएं शुरू हो गईं. संदेह है कि हत्याएं इसी घर में हुई हैं.

घर वीरान और जर्जर होकर झाड़-झंखाड़ से ढका हुआ है. बाहर का नाला, जहां नरकंकाल मिले, गंदगी से पटा हुआ है.

घटना के सामने आने के बाद से बंगला काफी चर्चा में आ गया था. कुछ के लिए, यह “खूनी हवेली” है, जबकि अन्य के लिए यह “भूतिया घर” या “बच्चा चोर का घर” है.

घर के बाहर रंगीन छतरी की छांव में 37 वर्षीय मंजीत मंडल बैठकर कपड़े सिल रहे थे. उसके पीछे एक पेड़ पर हिंदू देवता हनुमान की एक तस्वीर लटकी हुई थी.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि जब मंडल पिछले साल पश्चिम बंगाल से निठारी आया था, तो उसे हत्याओं के बारे में पता नहीं था. उसे इसके बारे में तभी पता चला जब वह स्थानीय निवासियों से पूछने निकला कि उसके सिलाई स्टॉल पर कोई ग्राहक क्यों नहीं आ रहा है.

“जब एक दुकानदार ने मुझे हत्याओं के बारे में बताया, तो मैं घर गया और यूट्यूब वीडियो देखा. एक हफ्ते तक मैं काम पर आने की हिम्मत नहीं जुटा सका. इसके बाद मैं भगवान हनुमान की फोटो लेकर आया.“

निठारी में दुकान के मालिक के पड़ोसी ने कहा कि उसने और उसके परिवार ने बहुत पहले ही घर के पास से गुजरने वाली सड़क से जाना बंद कर दिया था और इसके बजाय उन्होंने मुख्य सड़क तक पहुंचने के लिए लंबा रास्ता अपनाया.

पनी उंगलियां मोड़ते हुए उसने कहा, “मैंने सुना है कि, रात में, बच्चे मदद की गुहार लगाते हैं. यह डरावना है. हमारे परिवार के लिए सड़क वर्जित है.”

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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