वाराणसी: योगी आदित्यनाथ सरकार के प्रयासों से वाराणसी अब उत्तर भारत के सबसे बड़े पर्यटन केंद्र के रूप में तेजी से उभर रही है. श्री काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के लोकार्पण, जल–थल–नभ से बेहतर कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे के विकास के बाद अब वाराणसी से खजुराहो के बीच नई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन पर्यटन उद्योग में नई रफ्तार भरने को तैयार है.
अर्थशास्त्रियों के अनुसार, अगर इस ट्रेन में रोजाना औसतन 400 यात्री यात्रा करते हैं और प्रत्येक यात्री किराए के अलावा वाराणसी में औसतन ₹2000 खर्च करता है, तो शहर की अर्थव्यवस्था में वार्षिक ₹28.80 करोड़ (अट्ठाईस करोड़ अस्सी लाख रुपये) की अतिरिक्त आमद होगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के वन ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी के लक्ष्य में यह नई वंदे भारत एक्सप्रेस बूस्टर डोज़ साबित होगी.
वाराणसी–खजुराहो वंदे भारत एक्सप्रेस का संचालन न केवल काशी, बल्कि प्रयागराज, विंध्याचल और चित्रकूट जैसे सांस्कृतिक क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा देगा. यह केवल एक रेल सेवा नहीं, बल्कि एक ‘सांस्कृतिक एवं आर्थिक कॉरिडोर’ के रूप में काम करेगी, जो उत्तर भारत के धार्मिक, ऐतिहासिक और पर्यटन स्थलों को तेज़ी से जोड़ने का कार्य करेगी.
यह ट्रेन वाराणसी (धार्मिक–सांस्कृतिक केंद्र) को खजुराहो (यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल) के साथ प्रयागराज और चित्रकूट जैसे प्रमुख तीर्थ स्थलों से जोड़ती है. पहले खराब कनेक्टिविटी के कारण कई विदेशी पर्यटक खजुराहो या चित्रकूट को अपनी यात्रा में शामिल नहीं कर पाते थे. लेकिन अब तेज़, आरामदायक और सुरक्षित रेल सेवा से घरेलू और विदेशी दोनों पर्यटकों की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी.
इससे वाराणसी के होटल व्यवसाय, टैक्सी–ऑटो चालकों, गाइड्स, हस्तशिल्प विक्रेताओं, रेस्टोरेंट और ट्रैवल एजेंसियों की आमदनी में बड़ा इजाफा होगा. यात्रा का समय करीब 2 घंटे 40 मिनट घटने से यात्रियों को सुविधा मिलेगी और ठहराव की अवधि बढ़ेगी, जिससे स्थानीय कारोबार को लाभ होगा.
डी.ए.वी. पी.जी. कॉलेज के अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. अनूप कुमार मिश्र ने बताया कि 8 बोगियों वाली नई वंदे भारत एक्सप्रेस में अगर प्रतिदिन औसतन 400 यात्री यात्रा करते हैं और प्रत्येक यात्री ₹2000 अतिरिक्त खर्च करता है, तो दैनिक ₹8 लाख, मासिक ₹2.40 करोड़ और वार्षिक ₹28.80 करोड़ का अतिरिक्त खर्च स्थानीय बाजार में आएगा.
उन्होंने बताया कि यह केवल प्रत्यक्ष खर्च का अनुमान है, जबकि वास्तविक आर्थिक प्रभाव इससे कहीं बड़ा होगा. इसमें रेल किराया, पर्यटन उद्योग की समग्र वृद्धि और रोजगार के अवसर भी जुड़ेंगे.
इससे होटल, गेस्ट हाउस, होमस्टे संचालक, टैक्सी/ऑटो/ई-रिक्शा चालक, नाविक, रेस्टोरेंट मालिक, हस्तशिल्प व्यापारी, फूल–माला विक्रेता, पूजा सामग्री विक्रेता, टूर गाइड, पंडित–पुरोहित और स्थानीय श्रमिक वर्ग सभी को सीधा फायदा होगा. वहीं मकान मालिक, रियल एस्टेट सेक्टर, नगर निगम और निर्माण कार्यों में लगे लोगों को भी अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलेगा.
नई वंदे भारत एक्सप्रेस के चलने से प्रयागराज, विंध्याचल और चित्रकूट जैसे धार्मिक स्थलों में भी पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी.
प्रयागराज में संगम, कुंभ मेला, अक्षयवट और अकबर किला जैसे स्थलों पर दर्शनार्थियों की भीड़ बढ़ेगी, जिससे होटल, टैक्सी और स्थानीय व्यापार को बढ़ावा मिलेगा.
विंध्याचल में माता विंध्यवासिनी मंदिर के दर्शनार्थियों की संख्या में वृद्धि होगी, जिससे फूल–माला, प्रसाद और मिठाई उद्योग को नया बाजार मिलेगा.
चित्रकूट, जो भगवान राम की तपोभूमि है, अब अधिक सुलभ होगा. इससे गाइड्स, पूजा सामग्री विक्रेताओं और आश्रम–धर्मशालाओं की आय में बढ़ोतरी होगी.
इन क्षेत्रों में यात्रियों के ठहराव से ईंधन, खाद्य पदार्थों और स्थानीय उत्पादों पर होने वाला खर्च स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा. इसका मल्टीप्लायर इफेक्ट वाराणसी की अर्थव्यवस्था में लगभग 15–20% तक की वृद्धि ला सकता है.
