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Wednesday, 18 December, 2024
होमरिपोर्टIPL दर्शकों की संख्या में शुरुआती गिरावट के बाद उभरे नए रुझान, 2023-27 के मीडिया राइट्स पर ब्रांड्स की निगाहें

IPL दर्शकों की संख्या में शुरुआती गिरावट के बाद उभरे नए रुझान, 2023-27 के मीडिया राइट्स पर ब्रांड्स की निगाहें

एड तथा मीडिया प्लानिंग एक्सपर्ट्स का कहना है, कि लोकप्रिय टीमों का सफल न होना और दर्शकों की थकान, दर्शकों की संख्या में कमी का कारण हो सकती हैं. लेकिन दूसरे कारणों से भी परिदृश्य बदल रहा है.

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नई दिल्ली: इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2022 के शुरुआती सप्ताह में दर्शकों की संख्या में 33 प्रतिशत गिरावट दर्ज होने के बाद से, विज्ञापनदाता इस संख्या पर क़रीबी नज़र रखे हुए हैं.

हालांकि सीज़न के आगे बढ़ने के साथ ही रेटिंग्स में भी आख़िरकार सुधार हो ही गया, और आईपीएल अध्यक्ष ब्रिजेश पटेल ने कहा कि गिरावट का प्रभाव स्थायी नहीं होगा लेकिन विज्ञापन विशेषज्ञों और मीडिया प्लानर्स का कहना है कि दर्शकों की अस्थिर रेटिंग्स का 2023-27 के आगामी मीडिया राइट्स की नीलामी में लीग की विज्ञापन आय पर असर पड़ सकता है. और विज्ञापनदाता रेटिंग्स पर क़रीबी नज़र बनाए हुए हैं.

इस साल की आईपीएल से जुड़े एक प्रमुख ब्रांड के प्रवक्ता ने नाम छिपाने की शर्त पर दिप्रिंट से बात करते हुए कहा, कि दर्शकों की संख्या में गिरावट के बाद उनके जैसे ब्रांड्स ने, आईपीएल के होस्ट ब्रॉडकास्टर डिज़नी स्टार से कुछ मुआवज़े की मांग की है.

प्रवक्ता ने कहा, ‘इस साल विज्ञापनों की संख्या में पिछले साल के मुक़ाबले 15 प्रतिशत की वद्धि हुई थी, और ये एक बड़ा नुक़सान लग सकता है. ये निश्चित नहीं है कि अगले सीज़न में हम अपने निवेश वापस लेंगे या उनमें कमी करेंगे, लेकिन अगर ये रुझान लगातार बना रहता है तो हम इस बारे में सोच सकते हैं’.

दिप्रिंट ने फोन के ज़रिए आईपीएल की मीडिया टीमों और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से संपर्क किया, लेकिन दोनों ने इस साल की लीग के शुरुआती दिनों में दर्शकों की संख्या में गिरावट पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

लकिन, पूर्व बीसीसीआई कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी ने दिप्रिंट से कहा कि दर्शकों की संख्या के ये रुझान ‘असामान्य’ हैं. उन्होंने आगे कहा कि आईपीएल ब्रांड को चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है.

चौधरी ने कहा, ‘ये डेटा अंत से पहले की तस्वीर नहीं है कि अभी क्या चल रहा है. हमें अभी और इंतज़ार करके देखना चाहिए कि अगर दर्शकों की संख्या में बदलाव होता है, तो वो कब और कैसे होता है. इस अस्थाई असामान्यता का बीसीसीआई पर कोई दीर्घकालिक प्रभाव नहीं होगा’.

‘हमें ये भी ध्यान रखना चाहिए कि बोर्ड इम्तिहान खेलों से टकराए थे, इसलिए हो सकता है कि उनका असर पड़ा हो. लेकिन इस सबके बाद भी जो संस्थाएं इस डेटा के आधार पर जोखिम उठाना चाहती हैं और दीर्घ-कालिक फैसले लेना चाहती हैं, वो उनका निर्णय होगा’.

कोविड के बाद टीम निष्ठा, व्यवहार में बदलाव

एड एजेंसी रेडीफ्यूज़न के प्रबंध निदेशक संदीप गोयल ने दर्शकों की संख्या में आई गिरावट को समझाने के लिए, आईपीएल के 14 संस्करणों में एक बड़ी समस्या का उल्लेख किया.

इस तथ्य की ओर इशारा करते हुए कि सीएसके और एमआई दोनों इस सीज़न में 10 टीमों की तालिका में सबसे नीचे हैं, गोयल ने दिप्रिंट से कहा, ‘आईपीएल की सबसे बड़ी समस्या ये रही है कि ये टीम स्तर पर मज़बूत प्रशंसक नहीं बना पाया है. सिर्फ दो टीमों ने एक मज़बूत फैन-फॉलोइंग बनाई है- चेन्नई सुपर किंग्स और मुम्बई इंडियंस. जब आपकी दो सबसे अच्छी टीमों की स्थिति डांवाडोल हो, तो दर्शकों की रूचि घटना लाज़िमी है’.

भारत में मीडिया योजनाकार इस आईपीएल सीज़न के शुरुआती दिनों में दर्शकों की संख्या में आई गिरावट के पीछे एक कारण, लॉकडाउन्स के बाद व्यवहार में आए बदलावों को भी बताते हैं. 2021 में कुछ खिलाड़ियों के कोविड टेस्ट पॉज़िटिव पाए जाने के बाद, लीग को अस्थायी तौर पर स्थगित किया गया, और फिर बाद में उसी साल के अंत की ओर यूएई में फिर से आयोजित किया गया.

कोविड से जुड़ी कोई भी पाबंदी न रहने के कारण, बहुत से दर्शकों के पास अब बाहर जाकर आईपीएल को पब्स और रेस्टोरेंट्स में देखने का विकल्प है. यही कारण है कि चालू सीज़न के रफ्तार पकड़ने के बाद रेटिंग्स में उछाल आ गया, और स्टार स्पोर्ट्स देश में सबसे अधिक देखा जाने वाला चैनल बन गया.

‘पिछले दो आईपीएल महामारी के बीच में हुए थे जब सभी प्लेटफॉर्म्स पर दर्शकों की संख्या बढ़ गई थी. उसमें थोड़ा बदलाव अपेक्षित था. ये आईपीएल पिछले वर्ष के आईपीएल के बाद बहुत जल्दी आ गया है, और हो सकता है कि दर्शकों में थोड़ी थकान आ गई हो,’ ये कहना था कविता शिनॉय का जो वॉयरो की संस्थापक और सीईओ हैं- वो कंपनी जो मीडिया व्यवसायों के लिए इनफ्रास्ट्रक्चर से पैसा बनाती है.

उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन चतुर विज्ञापनदाता हमेशा कार्यक्षमता और प्रभाव के लिए भुगतान करेगा. जब तक विज्ञापनदाता आईपीएल दर्शकों की वैल्यू से संतुष्ट रहेंगे, तब तक आईपीएल को विज्ञापन का पैसा आवंटित होता रहेगा’.

ब्रांड वैल्यू

आशावादी मीडिया योजनाकारों का कहना है कि आईपीएल की लोकप्रियता का एक मुख्य हिस्सा उन अभिलाषी क्रिकेटरों का संघर्ष है जो लीग तक का सफर तय कर लेते हैं. उनका कहना है कि भारत जैसे देश में क्रिकेट को हमेशा दर्शकों का समर्थन मिलता रहेगा, भले ही वो अस्थायी तौर पर हट जाएं.

मीडिया टेक फर्म डीडीबी मुद्रा ग्रुप के कंट्री हेड और मीडिया पार्टनर राम मोहन सुंदरम ने कहा, ‘देशभर के प्रतिभावान खिलाड़ियों से, जिनका जीवन बहुत कठिन रहा है और जो अब अपने कौशल की वजह से शोहरत हासिल कर रहे हैं, ब्रांड वैल्यू को सहायता मिली है’.

उन्होंने आगे कहा, ‘उमरान मलिक आईपीएल से निकलने वाली एक ऐसी ही अनोखी कहानी की मिसाल हैं. ज़रा सोचिए कि अगर उन्हें और ट्रेनिंग मिल जाए और वो अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेल लें…ये एक बहुत अहम खोज होगी. भारतीय दर्शक इस पैटर्न से परिचित हैं, और साफ ज़ाहिर है कि वो इसे पसंद करते हैं’.

लक्षित समूह

टैम मीडिया रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, पिछले 31 मैचों के दौरान आईपीएल प्रसारण में 84 नए ब्रांड्स ने अपने विज्ञापन दिए.

रिपोर्ट में कहा गया कि कि टाटा के अलावा, जो आईपीएल 2022 और 2023 के लिए टाइटिल स्पॉन्सर है, कोई विरासत ब्राण्ड इस सूची में मौजूद नहीं है जिसमें मुख्य रूप से मीशो जैसे स्टार्ट-अप्स, और युवाओं को लक्ष्य पर रखने वाले स्पॉटिफाई तथा फॉग जैसे ब्रांड्स हैं.

ताज़ा रुझानों से संकेत मिलता है कि जब ‘मुख्यधारा के ब्राण्ड्स’ या पुरानी कंपनियां अपने निवेश का आंकलन करती हैं, तो विज़िबिलिटी ही उसका एकमात्र पैमाना नहीं होता. ये उन स्टार्ट-अप्स के विपरीत है जो दर्शकों की संख्या की ज़्यादा परवाह किए बिना, सिर्फ विज़िबिलिटी के लिए इन लीग्स में निवेश करती हैं.

सुंदरम समझाते हैं कि युवा दर्शकों ने आईपीएल देखने का अपना सफर ओटीटी प्लेटफॉर्म पर शुरू किया, इसलिए अब आप अपेक्षा कर सकते हैं कि टीवी पर फोकस अब माध्यमिक हो गया है.

उन्होंने समझाया, ‘भारत की एक पूरी पीढ़ी की टीवी बस छूट गई है, और वो स्ट्रीमिंग पर सवार हो गए हैं. ये इसलिए संभव हो पाया कि इंटरनेट अब बेहद सस्ता है, जैसा पहले कभी नहीं था. इसलिए विज्ञापन कंपनियों ने भी अपनी विज़िबिलिटी को सलामत रखने के लिए नई रणनीतियां अपना ली हैं’.

सुंदरम ने आगे कहा, ‘मिसाल के तौर पर विरासत कंपनियों की युवा दर्शकों में ज़्यादा रूचि होगी, ताकि उनकी ब्राण्ड वैल्यू बनी रहे. लेकिन एडटेक और फिनटेक क्षेत्र के स्टार्ट-अप्स का झुकाव अपेक्षाकृत अधिक उम्र की पीढ़ी को हासिल करने पर होगा, जो अपनी जानकारी के लिए टेलीवीज़न पर निर्भर करती है’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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