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Thursday, 19 December, 2024
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डिज़ाइन में बदलाव और देरी की वजह से और महंगा हो सकता है 14,262 करोड़ रुपए की लागत का मुंबई का ट्रांस-हार्बर लिंक

शिवडी-न्हावा शेवा मुम्बई ट्रांस हार्बर लिंक, जिसके सितंबर 2022 में पूरा होने का लक्ष्य है, कोविड लॉकडाउन के कारण देरी से चल रहा है, और ठेकेदार का कहना है कि इससे लागत बढ़ गई है.

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मुम्बई: 14,000 करोड़ से अधिक की लागत से बन रहा शोपीस शिवडी-न्हावा शेवा मुम्बई ट्रांस हार्बर लिंक (एमटीएचएल), मुम्बई के सबसे महंगे सड़क मार्गों में से एक है, और इसके और अधिक महंगा होने की संभावना है.

वास्तविक निर्माण का काम देख रहे ठेकेदारों ने, परियोजना के तीनों निर्माण पैकेजेज़ की लागत में 5-15 प्रतिशत वृद्धि का दावा किया है. ठेकेदारों ने ये दावा मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमएमआरडीए) के सामने किया है, और उन्होंने डिज़ाइन में कुछ बदलाव तथा अतिरिक्त घटकों, और कोविड लॉकडाउंस के कारण हुई देरी का हवाला दिया है.

राज्य सरकार के एक अधिकारी ने, जो नाम नहीं बताना चाहते थे, दिप्रिंट को बताया, ‘एमटीएचएल का प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट ठेकेदारों के निवेदनों का आंकलन कर रहा है, और जल्द ही इस निर्णय पर पहुंचेगा, कि लागत में वृद्धि को उसी हिसाब से मंज़ूरी दी जाए या नहीं’.

अधिकारी ने आगे कहा, ‘नियमों के अनुसार, अगर लागत में वृद्धि के दावे समझौता राशि के 20 प्रतिशत के अंदर हैं, तो एमएमआरडीए कमिश्नर (एसवीआर श्रीनिवास) विकास प्राधिकरण की कार्यकारी समिति, या राज्य सरकार की मंज़ूरी लिए बिना, इसपर निर्णय ले सकता है.

इस मुद्दे पर इसी महीने एमएमआरडीए की कार्यकारी समिति में, मुख्य सचिव सीताराम कुंते की अध्यक्षता में, पहले ही चर्चा हो चुकी है.

निर्माणाधीन एमटीएचएल मुम्बई हार्बर पर एक 22 किलोमीटर लंबा लिंक बनना है, जो दक्षिण मुम्बई के शिवड़ी को समुद्र किनारे मुख्यभूमि न्हावा शेवा से जोड़ेगा. ये लिंक जिसपर 2018 में काम शुरू हुआ था, प्रस्तावित नवी मुम्बई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए मुख्य संपर्क होगा.

लागत में 5-15% वृद्धि के दावे

एमटीएचएल की कुल लागत 17,843 करोड़ रुपए तय की गई है, जिसमें से तीनों पैकेज की वास्तविक निर्माण लागत 14,262 करोड़ रुपए है.

कुल लागत में भूमि अधिग्रहण की क़ीमत, परामर्श फीस, प्रशासनिक लागत, और कर आदि शामिल हैं. जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी (जीका) की वित्तीय सहायता से, एमएमआरडीए इस परियोजना को कार्यान्वित कर रही है.


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परोजना की मौजूदा समय-सीमा के अनुसार, इसे सितंबर 2022 तक पूरा किया जाना है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि इसमें कुछ देरी हो सकती है.

एक वरिष्ठ एमएमआरडीए अधिकारी ने कहा, ‘डिज़ाइन में कुछ बदलाव की ज़रूरत थी, क्योंकि भूमिगत सेवाओं की जगह वो नहीं थी, जो तैयारी के समय दिखाई गई थी. प्रोजेक्ट में कुछ अतिरिक्त बजरे भी जोड़े गए हैं. उसके अलावा महामारी और लॉकडाउन की वजह से भी काम में कुछ देरी हुई है’.

परियोजना के विकास की परिकल्पना तीन हिस्सों में की गई है.

पहले हिस्से में – जिसमें 22 किमी. लिंक का पहले 10.3 किमी. का हिस्सा बनाया जाना है, ठेकेदार ने लागत में 424.33 करोड़ रुपए की वृद्धि का दावा किया है- 140.62 करोड़ अतिरिक्त कार्य के लिए, और 283.71 करोड़ रुपए देरी के मुआवज़े के तौर पर. अगर मंज़ूरी मिल जाती है तो 7,637.29 करोड़ रुपए के कॉन्ट्रेक्ट पैकेज पर, ये 5.5 प्रतिशत वृद्धि होगी.

दूसरे हिस्से में, लिंक के 10.3 किमी. से 18.18 किमी. तक के हिस्से का निर्माण शामिल है, और इसमें ठेकेदार ने लागत में 609 करोड़ रुपए की वृद्धि का दावा किया है. दूसरे पैकेज की मूल लागत 5,612.6 करोड़ रुपए पर, ये 10.8 प्रतिशत का इज़ाफा है. इसमें से 152.97 करोड़ रुपए का इज़ाफा अतिरिक्त घटकों की वजह से है, जबकि 457 करोड़ रुपए देरी का मुआवज़ा है.

तीसरे पैकेज में, जिसमें 18.18 किमी के बाद बाक़ी लिंक का निर्माण शामिल है, ठेकेदार ने 146.74 करोड़ रुपए की अतिरिक्त मांग की है, जो पैकेज की कुल लागत 1,013.79 करोड़ रुपए का क़रीब 14.5 प्रतिशत है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

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