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Saturday, 20 April, 2024
होमदेशपुलिस प्रमुख राकेश अस्थाना बोले- दिल्ली दंगा एक ‘साजिश’, मामलों की समीक्षा करना बेहद जरूरी

पुलिस प्रमुख राकेश अस्थाना बोले- दिल्ली दंगा एक ‘साजिश’, मामलों की समीक्षा करना बेहद जरूरी

अस्थाना ने दिप्रिंट को दिए विशेष इंटरव्यू में कहा कि उनका पूरा ध्यान ‘सही ढंग से जांच’ को आगे बढ़ाने और संगठित अपराधों पर नियंत्रण के लिए मकोका का प्रभावी तरीके से इस्तेमाल करने पर होगा.

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नई दिल्ली: दिल्ली के पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना के लिए पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों के मामलों में अदालती कार्यवाही आगे बढ़ाने के लिए ‘ढंग से जांच’ और ‘जांच की समीक्षा’ करना महत्वपूर्ण कार्यों में शुमार है.

अस्थाना ने दिप्रिंट को दिए एक खास इंटरव्यू में कहा कि अपने कार्यकाल के अगले एक साल में वह प्रत्येक पुलिस स्टेशन में ‘सही ढंग से जांच’ के लिए अलग-अलग यूनिट, कानून-व्यवस्था में सुधार के लिए आए दिन सड़कों पर होने वाले अपराधों पर नियंत्रण और महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) का प्रभावी तरीके से इस्तेमाल कर तमाम गिरोहों पर शिकंजा कसने पर विशेष ध्यान देंगे.

पूर्व में जिला अदालतों ने इन मामलों की जांच में ‘ढुलमुल रवैया’ अपनाने, ‘निगरानी संबंधी कर्तव्यों’ में विफल रहने और अपनी जिम्मेदारी से बचने को लेकर दिल्ली पुलिस की काफी खिंचाई की है. घटनास्थल से साक्ष्य जुटाने के मामले में भी पुलिस सवालों के घेरे में रही है.

अस्थाना ने कहा, ‘इनकी ठीक से समीक्षा किया जाना बेहद जरूरी है. दंगे एक साजिश का हिस्सा थे और दोषियों को सजा दिलाना आवश्यक हैं. इस बल के प्रमुख के नाते मामलों की समीक्षा करना और जांच को मजबूती से आगे बढ़ाना मेरा कर्तव्य है.’
उन्होंने कहा, ‘हम कुछ मामलों पर नए सिरे से विचार कर रहे हैं और इसमें सामने आई खामियों को दूर किया जाएगा. किसी भी चीज को बेहतर करने के लिए नए नजरिए से देखना हमेशा बेहतर होता है.’

इसके लिए अस्थाना ने उपायुक्त, सहायक आयुक्त और निरीक्षक स्तर के अधिकारियों की एक विशेष टीम बनाई है, जिसकी निगरानी विशेष पुलिस आयुक्त स्तर के अधिकारी करेंगे.

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अस्थाना ने कहा कि पूर्वोत्तर दिल्ली जिला पुलिस के पास दर्ज 690 केस में से 311 में आगे जांच जारी है और इन मामलों में पूरक आरोपपत्र दायर किया जाएगा. इसके अलावा, अभी भी जांच के दायरे में आने वाले 382 मामलों पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी ताकि पूरे तथ्यों के साथ चार्जशीट दायर करना सुनिश्चित किया जा सके. इसके अलावा जिन मामलों में आरोपी फरार हैं, उनमें जल्द से जल्द गिरफ्तारी के लिए अलग-अलग टीमें बनाई जाएंगी.

उन्होंने कहा, ‘हमने इस जांच के लिए एक स्पेशल सीपी के नेतृत्व में एक विशेष टीम बनाई है. जो अधिकारी दंगों के दौरान वहां तैनात थे और बाद में उनका तबादला हो गया था, उन्हें भी तीन महीने की नियत अवधि के लिए टीम का हिस्सा बनाया गया है.’
साथ ही जोड़ा, ‘यद्यपि मौजूदा मामलों, जिनमें आरोपपत्र पहले ही दायर हो चुके हैं, की समीक्षा की जाएगी, जिन मामलों में जांच अभी जारी है उनकी सघन निगरानी की जाएगी. टीम के अधिकारी उन विशेष अभियोजकों को भी पूरी जानकारी मुहैया कराएंगे, जो मुकदमा शुरू होने पर हमारा पक्ष अदालत के सामने रखेंगे और गवाहों की सहायता करेंगे.’

जांच आधारित पुलिस व्यवस्था

सीमा सुरक्षा बल के प्रमुख के अलावा केंद्रीय जांच ब्यूरो, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो जैसी जांच एजेंसियों में वरिष्ठ पदों पर काम कर चुके अस्थाना का कहना है कि उनका ध्यान कानून-व्यवस्था में सुधार के अलावा पुलिस बल में जांच व्यवस्था सुधारने पर होगा.

अस्थाना ने कहा कि इसे सुनिश्चित करने के लिए हर थाने में विशेष तौर पर यही काम करने के लिए एक जांच टीम होगी.
किसी थाने की पूरी जिम्मेदारी संभालने वाले एक थाना प्रभारी के अधीन दो इंस्पेक्टर होंगे. इसमें के पास जांच का प्रभार होगा, जबकि दूसरा कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालेगा जिसमें वीवीआईपी आवाजाही के दौरान तैनाती, विरोध प्रदर्शन या कोई अन्य स्थिति उत्पन्न होने पर जरूरी तैनाती की व्यवस्था करना शामिल है.

उन्होंने कहा, ‘बेहतर ढंग से की गई जांच और बिना किसी चूक के तैयार किया गया आरोपपत्र ही आखिरकार अदालत में टिक पाता है. कोई भी मामला तार्किक निष्कर्ष पर तभी पहुंच पाएगा जब इसकी अच्छी तरह से जांच की जाएगी और हम इस दिशा में एकदम ठोस प्रयास करेंगे. जांच पर अधिक ध्यान दिया जाएगा और प्रत्येक पुलिस स्टेशन में इसके लिए अलग से एक जांच टीम होगी.’

उन्होंने आगे कहा, ‘पहले जांच के लिए कोई समर्पित टीम नहीं थी और पुलिसकर्मी कानून-व्यवस्था से जुड़ी अपनी ड्यूटी भी साथ ही संभालते थे, जिससे मामलों की जांच पर असर पड़ता था. अब कोई व्यक्ति पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने पहुंचे या फिर यह पता लगाना चाहे कि उस मामले में आगे क्या कार्रवाई हुई है तो जांच टीम का एक सदस्य उसकी बात सुनने के लिए हमेशा मौजूद मिलेगा.

उन्होंने कहा, ‘इससे जांच के काम में निरंतरता भी बनी रहेगी. यदि कोई इंस्पेक्टर किसी मामले की जांच में जुटा है तो उसे उस पर काम करने और नतीजे देने के लिए समय मिलेगा, बजाये इसके कि उसे कानून-व्यवस्था से जुड़े मामलों में शामिल किया जाए.
अस्थाना ने कहा कि इस टीम की जिम्मेदारी तय होगी और किसी भी बदलाव के लिए क्षेत्र के डीसीपी प्रभारी की मंजूरी जरूरी होगी.

मकोका के तहत और मामले दर्ज होंगे

रोहिणी कोर्ट में पिछले हफ्ते की गोलीबारी की घटना—जिसमें दो हमलावरों ने कोर्ट रूम के अंदर गैंगस्टर जितेंद्र मान उर्फ गोगी की गोली मारकर हत्या कर दी थी—का जिक्र करते हुए अस्थाना ने कहा कि पुलिस अब दिल्ली में संगठित अपराधी गिरोहों के खिलाफ मकोका ज्यादा प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करेगी.

उन्होंने कहा, ‘हम उन्हें दिल्ली में फिर से सिर नहीं उठाने देंगे. असल में, इस दिशा में व्यापक स्तर पर कार्रवाई की जाएगी और हम इन गिरोहों पर शिकंजा कसने के लिए काम करेंगे.’

यह पूछे जाने पर कि क्या संगठित गिरोह से जुड़े अपराधियों के खिलाफ मकोका के तहत और मामले दर्ज किए जाएंगे, अस्थाना ने कहा, ‘हां, निश्चित तौर पर.’

दिल्ली पुलिस प्रमुख ने यह भी कहा कि पुलिस रिकॉर्ड में गिरोहों और वांछित गैंगस्टरों की सूची अपडेट कर दी गई है और एक खास टीम पिछले सभी मामले देख रही है. जिन इलाकों में ये गैंग सक्रिय रहे हैं, वहां पर भी सघन निगरानी की जा रही है.

अपराध रोकना और उनका पता लगाना महत्वपूर्ण

अस्थाना ने आगे कहा कि ‘अपराध की रोकथाम और उनका पता लगाना’ ही ‘कानून-व्यवस्था बनाए रखने’ आधार है, और यही दिल्ली पुलिस की प्राथमिकता भी बनी हुई है.

उन्होंने कहा, ‘हम एहतियातन कार्रवाई के तौर पर अपराधियों और कानून तोड़ने वालों की पहचान कर रहे हैं. जब अपराध की जांच और तेजी से गिरफ्तारी होती है, तो अपराधों पर नियंत्रण लगता है. इसके अलावा, अच्छी जांच और ठोस आरोपपत्रों के आधार पर मुकदमा चल पाता है. जब ये सारे फैक्टर मौजूद होते हैं तो अपराध पर काबू पाना आसान होता है और कानून-व्यवस्था अपने आप ही बहाल रहती है.’

उन्होंने कहा, ‘इसके लिए हम सड़क पर होने वाले अपराधों पर लगाम लगाने की कोशिश कर रहे हैं. मैंने आंकड़ों का विश्लेषण किया और पाया कि 70 प्रतिशत मामले चोरी या संपत्ति अपराध, स्नैचिंग, तोड़फोड़ के थे और बाकी 30 प्रतिशत हत्या, डकैती और महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े थे. अगर हम आम आदमी को प्रभावित करने वाले अपराध पर ध्यान दें और उस पर अंकुश लगाएं, तो लोग पुलिस पर अधिक भरोसा करना शुरू कर देंगे.’

दिल्ली पुलिस ने पुलिस कंट्रोल रूम का जिला पुलिस स्टाफ में विलय भी कर दिया है. इसका मतलब यह है कि अब हर पीसीआर में उस क्षेत्र के थाने का एक स्टाफ होगा ताकि जब कोई व्यक्ति किसी अपराध की रिपोर्ट करने के लिए पीसीआर को कॉल करे तो उसकी जांच वहीं से शुरू हो.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

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