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Thursday, 21 November, 2024
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ज़्यादा निजी ट्रेनें, अधिक ख़र्च, ग्रीन एनर्जी पर फोकस- कैसा दिख सकता है रेल बजट

रेल मंत्रालय ने अपने पूंजिगत ख़र्च को, मौजूदा 1.6 लाख करोड़ से बढ़ाकर, 1.8 लाख करोड़ रुपए करने की मांग की है. लेकिन वास्तविक वृद्धि केवल 8,000 करोड़ रुपए तक हो सकती है.

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नई दिल्ली: ज़्यादा निजी ट्रेनें, तेज़ रास्तों के लिए नए ट्रेन सेट्स, किसान रेल का विस्तार, उत्तरपूर्व से बेहतर जुड़ाव, और ग्रीन एनर्जी पर फोकस- ये कुछ क्षेत्र हैं जिनपर आगामी रेल बजट में फोकस किया जा सकता है.

रेल मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, उसने प्रस्ताव दिया है कि 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में, उसके पूंजिगत ख़र्च को 1.6 लाख करोड़ से बढ़ाकर, 1.8 लाख करोड़ रुपए कर दिया जाए.

लेकिन, रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, कि कोविड-19 लॉकडाउन के बाद वित्तीय स्थिति को देखते हुए, रेल बजट में वास्तविक वृद्धि 3-5 प्रतिशत (5,000-8,000 करोड़) से अधिक नहीं होगी.

जहां, यात्री ट्रेनों से रेलवे को राजस्व में 87 प्रतिशत का घाटा हुआ- जो 2019 में 53,000 करोड़ रुपए से घटकर, 2020 में सिर्फ 4,600 करोड़ रुपए रह गया- लेकिन ख़र्च में आई कमी की वजह से, उसका ऑपरेटिंग अनुपात काफी बढ़ गया.

ऑपरेटिंग अनुपात में रेलवे के ख़र्चों को, उसकी आमदनी के अनुपात में देखा जाता है, और कहा जाता है कि ये, रेलवे के प्रदर्शन के मूल्यांकन का, ज़्यादा सही संकेतक होता है.

सूत्रों ने कहा कि 2021 में, यात्री किराए से होने वाली आय के बढ़ने की उम्मीद, और लॉकडाउन के दौरान रेलवे को माल ढुलाई में मिली सफलताओं के बाद, अब भारतीय रेल आने वाले वर्ष में अपना ध्यान, राष्ट्रीय रेल योजना 2024 की तरफ मोड़ना चाहेगी.

क्या है योजना का लक्ष्य

योजना के तहत, 2024 तक 202.4 करोड़ टन माल ढुलाई क्षमता का लक्ष्य हासिल करने के लिए, रेलवे अपना ध्यान व्यवसाय और इनफ्रास्ट्रक्चर विकास पर केंद्रित करना चाहेगी.

योजना में माल भाड़े को युक्तिसंगत बनाने का भी लक्ष्य है, ताकि रेलवे रोडवेज़ के साथ ज़्यादा कारगर ढंग से मुक़ाबला कर सके, लाने-ले जाने के समय और लागत में कमी कर सके, और 2030 तक ज़ीरो ग्रीनहाउस गैस एमिशंस का लक्ष्य हासिल कर सके.

अपने विज़न 2014 के तहत, रेलवे ने 16,373 किलोमीटर की बहु-ट्रैकिंग की भी योजना बनाई है. इसमें 32 आवश्यक परियोजनाएं, 68 महत्वपूर्ण परियोजनाएं, 58 अति- महत्वपूर्ण परियोजनाएं, 146 विद्युतीकरण परियोजनाएं, 20 अतिरिक्त कोयला कनेक्टिविटी परियोजनाएं, 120 यातायात सुविधा कार्य, 686 सिग्नलिंग और दूरसंचार कार्य, और उत्तरपूर्व कनेक्टिविटी परियोजनाएं शामिल हैं.

सूत्रों ने बताया कि विज़न 2024 के लक्ष्य को, 2.9 लाख करोड़ के पूंजीगत व्यय से हासिल किया जा सकता है.

आगामी वर्ष में, 3,958 किलोमीटर में फैले तीन डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर्स को, पूरा करने पर भी फोकस किया जाएगा. इसके अलावा कई नए हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर्स पर भी काम शुरू किया जाएगा, जिनकी पहचान कर ली गई है.

अधिकारियों ने कहा कि बजट के अलावा, वित्तपोषण के लिए रेलवे लगातार नए मॉडल्स खोज रही है, जिनमें सार्वजनिक-निजी साझेदारी भी शामिल है. रेलवे ने 100 चिन्हित रूट्स पर, पहले ही 150 ट्रेनें चलाने की बोलियां आमंत्रित कर ली हैं, और अब वो आगामी वर्ष में, सार्वजनिक-निजी साझेदारियों का विस्तार करना चाहती है. उसका फोकस कुछ और बुलेट ट्रेनें शुरू करने पर भी होगा.


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बजट से क्या चाहते हैं दूसरे हितधारक

आगामी बजट से अपेक्षाओं पर बात करते हुए, रोलिंग स्टॉक बनाने वाली फ्रांसीसी बहुराष्ट्रीय कंपनी, एल्सटॉम के प्रबंध निदेशक एलेन स्पोर ने कहा, कि उनकी कंपनी अपेक्षा करती है कि बजट में, रेलवे के विकास को और बढ़ावा दिया जाएगा.

उन्होंने कहा कि रेलवे को एक सेक्टर के तौर, सरकार की ओर से शुरू की गई, प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीआईएल) स्कीम में, शामिल किया जाना चाहिए, चूंकि ऐसा करने से भारत एक ‘मैन्युफैक्चरिंग पावरहाउस’ बन सकता है. उन्होंने आगे कहा कि इसके अलावा सरकार को, ‘लक्षित रिकवरी योजनाएं तैयार करनी चाहिएं, जिनसे विदेशी निवेश को और प्रोत्साहन मिलेगा, और इस क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया इनीशिएटिव’ को भी बढ़ावा मिलेगा’.

जहां स्पोर ने आत्मनिर्भर भारत अभियान का स्वागत किया, वहीं उन्होंने ये भी कहा कि सरकार को ऐसे उपाय करने चाहिएं, जिनसे ‘मूल देसी कंपनियों और उन विदेशी कंपनियों को, समान अवसर सुनिश्चित किए जा सकें, जिन्होंने महत्वपूर्ण औद्योगिक निवेश, और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के ज़रिए, घरेलू क्षमताएं और सामर्थ्य विकसित करने के, वास्तविक और ईमानदार प्रयास दिखाए हैं’.

ऑल इंडिया रेलवेमेन्स फेडरेशन (एआईआरएफ) महासचिव, शिव गोपाल ने कहा कि सरकार को इनफ्रास्ट्क्चर विकसित करने, और क्षमताओं को बढ़ाने पर ज़ोर देना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘नई स्कीमें शुरू की जा रही हैं, लेकिन साथ ही हमारा ध्यान, मौजूदा क्षमताओं को बढ़ाने पर पर भी होना चाहिए…मसलन, सरकार को नई रेल लाइनें बिछाने पर फोकस करना चाहिए, जहां एक लाइन है वहां दोहरी लाइनें, और जहां दोहरी लाइनें हैं, वहां तिहरी लाइनें’.

गोपाल ने आगे कहा, ‘इसके अलावा, ये भी सुनिश्चित करना चाहिए, कि महंगाई भत्ता और महंगाई राहत, जो सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए रोका हुआ है, उन्हें दिया जाए…कोविड की वजह से बहुत कर्मचारी, अपनी जानें तक गंवा चुके हैं, उन्हें ठगा हुआ महसूस नहीं करना चाहिए’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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