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Wednesday, 12 November, 2025
होमरिपोर्टधरती आबा बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर जनजाति भागीदारी उत्सव से गूंजेगा लखनऊ

धरती आबा बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर जनजाति भागीदारी उत्सव से गूंजेगा लखनऊ

पिछले साढ़े आठ वर्षों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनजातीय समाज के समग्र उत्थान को प्राथमिकता दी है.

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लखनऊ: धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर राजधानी लखनऊ में 13 नवंबर से “जनजाति भागीदारी उत्सव” का भव्य आगाज़ होगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में इस ऐतिहासिक उत्सव का उद्घाटन करेंगे. छह दिवसीय यह आयोजन 18 नवंबर तक चलेगा, जिसमें देशभर की जनजातीय परंपराओं, कला, नृत्य और व्यंजनों का अनोखा संगम देखने को मिलेगा.

इस बार पूरा लखनऊ जनजातीय संस्कृति के रंगों में रंगेगा. 1090 चौराहे से भव्य सांस्कृतिक शोभा यात्रा निकलेगी, जिसमें देशभर की जनजातियों के लोकनृत्य, पारंपरिक परिधान, मुखौटे और वाद्ययंत्र झांकियों के रूप में प्रदर्शित होंगे. अरुणाचल प्रदेश इस आयोजन का सह-आमंत्रित राज्य होगा और पूर्वोत्तर भारत की जीवंत झलक पेश करेगा.

इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में जनजातीय शिल्प मेला, लोकनृत्य-लोकगीत प्रस्तुतियां, मुखौटा प्रदर्शनी, धरती आबा नाटक और माटी कला प्रदर्शन उत्सव के प्रमुख आकर्षण होंगे. वहीं जनजातीय व्यंजनों का ‘जेवनार’ (फूड फेस्ट) आगंतुकों को वनवासी समाज की पारंपरिक स्वाद संस्कृति का अनुभव कराएगा. सुबह 11 बजे से मेला और प्रदर्शनी खुलेंगे, जबकि शाम 5 से 9 बजे तक सांस्कृतिक संध्या में 18 राज्यों के 600 से अधिक कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देंगे.

पिछले साढ़े आठ वर्षों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनजातीय समाज के समग्र उत्थान को प्राथमिकता दी है. प्रधानमंत्री वन धन योजना के तहत प्रदेश के जनजातीय समुदायों को आजीविका सृजन का नया आधार मिला है. धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत 517 जनजाति बाहुल्य ग्रामों में विकास और सशक्तिकरण की नई दिशा बनी है.

वनाधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत बुक्सा, गोंड, बैगा, थारू और सहरिया जनजातियों को आवासीय अधिकार प्रदान किए गए हैं, जिससे मुख्यमंत्री आवास योजना के जरिए वनवासी परिवारों को स्थायित्व और सम्मान मिला है.

राज्य सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में भी जनजातीय बच्चों के भविष्य को मजबूत आधार दिया है. एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों और जयप्रकाश नारायण सर्वोदय छात्रावासों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है. लखीमपुर-खीरी, बहराइच, सोनभद्र और ललितपुर में एकलव्य विद्यालय संचालित हैं, जबकि नौ राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालयों में जनजातीय छात्र-छात्राओं को निःशुल्क आवास, वस्त्र, पुस्तकें और शिक्षा दी जा रही है.

थारु, बुक्सा, भोटिया, जौनसारी और राजी जैसी जनजातियाँ आज “विकसित उत्तर प्रदेश” की नई शक्ति बन रही हैं. बलरामपुर के इमिलिया कोडर में थारू जनजाति संग्रहालय स्थापित किया जा चुका है, जबकि मीरजापुर, सोनभद्र और महराजगंज में नए जनजातीय संग्रहालयों की स्थापना प्रक्रिया में है.

छह दिनों तक चलने वाला यह उत्सव जनजातीय गौरव, आत्मनिर्भरता और सांस्कृतिक एकता का जीवंत प्रतीक बनेगा.

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