लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मिशन से श्री काशी विश्वनाथ धाम ने उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है. दिसंबर 2021 में प्रधानमंत्री मोदी के काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के लोकार्पण के बाद से अब तक लगभग 25 करोड़ 28 लाख से अधिक श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर चुके हैं. इस अवधि में राज्य की अर्थव्यवस्था को अनुमानित सवा लाख करोड़ रुपये का बूस्टअप डोज मिला है.
काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र ने बताया कि कॉरिडोर के निर्माण ने काशी की छवि ही नहीं बदली, बल्कि पूरे प्रदेश की आर्थिक गतिविधियों में भी अप्रत्याशित वृद्धि की है. देश और विदेश से लगातार बढ़ते श्रद्धालु और पर्यटक स्थानीय व्यापारियों, दुकानदारों, नाविकों, पुजारियों, ठेले वालों और होटल कारोबारियों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा कर रहे हैं.
योगी सरकार के नेतृत्व में सुरक्षा बेहतर हुई है. घाटों का सौंदर्यीकरण, सड़कों का चौड़ीकरण और एयरपोर्ट से लेकर गंगा घाट तक शानदार रोड कनेक्टिविटी ने देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित किया है. धार्मिक पर्यटन के इस मॉडल ने उत्तर प्रदेश को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दी है.
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री प्रो. राजनाथ के अनुसार, काशी आने वाला औसतन हर पर्यटक 4-5 हजार रुपये खर्च करता है. इस हिसाब से साढ़े तीन साल में लगभग सवा लाख करोड़ रुपये का आर्थिक प्रवाह प्रदेश की अर्थव्यवस्था में हुआ है. यह राशि केवल काशी तक सीमित नहीं बल्कि पूरे पूर्वांचल के विकास को तेज कर रही है.
काशी आने वाले श्रद्धालुओं का 70 प्रतिशत दक्षिण भारत से और लगभग 15 प्रतिशत अन्य राज्यों से आता है. काशी दर्शन के बाद ये श्रद्धालु विंध्यवासिनी, तीर्थराज प्रयाग, अयोध्या, मथुरा, चित्रकूट, नैमिष आदि तीर्थों पर भी जाते हैं. इससे पूरे प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों का रिपलिंग इफेक्ट उत्पन्न होता है और जीडीपी बढ़ती है.
विश्व भूषण मिश्र ने बताया कि काशी और आसपास के क्षेत्रों में रोजगार की अपार संभावनाएं पैदा हुई हैं. जिस तरह काशी ने धार्मिक और सांस्कृतिक नगरी के रूप में विकास की नई मिसाल पेश की है, वह पूरे देश के लिए मॉडल बन गई है.
योगी सरकार धार्मिक पर्यटन को राज्य के विकास का सशक्त माध्यम बना रही है. काशी विश्वनाथ धाम की तर्ज पर अयोध्या, मथुरा, चित्रकूट, नैमिषारण्य और विंध्याचल जैसे धार्मिक नगरों का विकास तेजी से किया जा रहा है, जिससे पूरे प्रदेश में पर्यटन और रोजगार दोनों को बढ़ावा मिल रहा है.