उज्जैन/भोपाल: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में हिस्सा लिया और कहा कि ‘भक्ति योग, ज्ञान योग और कर्म योग का सार गीता में है. हर स्कूल के बस्ते में, हर बच्चे के साथ गीता होनी चाहिए. जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए गीता की शिक्षा जरूरी है. जितना प्रैक्टिकल ज्ञान गीता देती है, उतना कोई नहीं देता.’
मुख्यमंत्री ने बताया कि गीता हमारे कर्म और आत्मा के बीच समन्वय स्थापित करने का मार्ग दिखाती है. महोत्सव में साधु-संतों, बच्चों और बुजुर्गों ने एक साथ गीता पाठ किया. सीएम ने यह भी कहा कि प्रदेश को गीता भवन की सौगात दी जाएगी.
डॉ. मोहन यादव ने कहा कि गीता हमारा पवित्र ग्रंथ है, जिसमें सबकुछ है. इसके बराबर कोई ग्रंथ नहीं. मध्यप्रदेश सरकार अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव मना रही है और इसके लिए सभी को शुभकामनाएं. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में साल 2020 में शिक्षा नीति में संशोधन हुआ, जिससे गीता को पाठ्यक्रम में महत्ता मिली. इसके साथ ही भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं को भी पाठ्यक्रम में जगह मिली है.
भगवान श्रीकृष्ण जनतंत्र और गणतंत्र के नायक हैं। उन्होंने कर्म और धर्म के मार्ग को सर्वोपरि रखा।
आज उज्जैन में पूज्य साधु-संतजनों की गरिमामयी उपस्थिति में आयोजित 'अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव' में सम्मिलित होकर शुभकामनाएं दीं।
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के नेतृत्व… pic.twitter.com/oMv2qCDxlp
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) December 1, 2025
सीएम ने कहा कि धर्म के माध्यम से जीवन के मर्म को समझने का अवसर मिलता है. हम किसी के प्रति गलत भाव नहीं रखते, लेकिन सच्चाई जानने का प्रयास करना चाहिए.
सीएम ने कहा कि 5 हजार साल पहले कंस को हराने के बाद भगवान श्री कृष्ण शिक्षा ग्रहण करने उज्जैयनी आए. सांदीपनि आश्रम में अमीर-गरीब सबको समान शिक्षा मिलती थी. भगवान कृष्ण और उनके मित्र सुदामा दोनों पढ़ाई कर रहे थे. इससे हमें एकता और प्रेम की सीख मिलती है. भगवान कृष्ण ने अपने संघर्षों में भी विजय पताका फहराई और कठिनाइयों में मुस्कुराने की शिक्षा दी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि कंस को हराने के बाद कुर्सी के बजाय शिक्षा को महत्व देना, यह हमारे विद्यार्थियों और सभी के लिए सबक है. सांदीपनि आश्रम ने भगवान श्री कृष्ण को सिखाया कि चुनौतियों में मुस्कुराना और कर्तव्य निभाना कैसे है. जीवन में जन्म और मृत्यु स्वाभाविक है और इंसान को सदैव धर्म मार्ग पर चलना चाहिए.
डॉ. यादव ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण के माध्यम से दुनिया ने भारत का पराक्रम देखा. जब धर्म की हानि होती है, तब परमेश्वर स्वयं आते हैं और धर्म, सत्कर्म और मानवता की स्थापना करते हैं. उन्होंने बताया कि भगवान ने द्वारिका के शासक नहीं बने, बल्कि जनतंत्र के नायक बने. कौरवों से युद्ध में भगवान ने कर्मवाद का उपदेश दिया और यह संदेश दिया कि धर्म और कर्तव्य के मार्ग पर चलना आवश्यक है.
