भदोही: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को भदोही में 49वें अंतरराष्ट्रीय कालीन मेला और चौथे कार्पेट एक्सपो का शुभारंभ किया. इस मौके पर उन्होंने देश-विदेश से आए कालीन उद्यमियों और निर्यातकों से संवाद किया और भरोसा दिलाया कि प्रदेश सरकार हर स्थिति में उनके साथ खड़ी है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ से घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि यह हमारे लिए नए अवसरों के द्वार खोलने का समय है.
उन्होंने कहा, “जब भी चुनौतियां आती हैं, वे अपने साथ अवसर भी लाती हैं. अमेरिका ने टैरिफ लगाया है, लेकिन यह केवल एक देश का निर्णय है. हम यूएई, यूके और अन्य देशों के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं. आने वाले समय में ये समझौते हमारे उद्योगों के लिए नए बाजार खोलेंगे.” उन्होंने बताया कि सरकार ने इस विषय पर हाई लेवल कमेटी का गठन किया है, जो टैरिफ से उत्पन्न स्थिति पर लगातार काम कर रही है.
मुख्यमंत्री ने बताया कि 11 साल पहले कार्पेट उद्योग बंदी के कगार पर था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भदोही, मीरजापुर और वाराणसी के कार्पेट क्लस्टर को नई ऊर्जा मिली. भदोही को केंद्र बनाकर कार्पेट एक्सपो मार्ट की स्थापना की गई. पहले एक्सपो में विदेशी खरीदार कम थे, लेकिन अब 88 देशों से 300-400 फॉरेन बायर्स आ रहे हैं. यह दर्शाता है कि ग्लोबल मार्केट में भदोही की कालीनों की मांग कितनी बढ़ी है.
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यूपी सरकार ने कार्पेट सेक्टर सहित एमएसएमई और ओडीओपी (वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रॉडक्ट) योजना के तहत प्रत्येक जिले में विशिष्ट उद्योगों को प्रोत्साहित किया है. भदोही के कालीन, मुरादाबाद के पीतल, फिरोजाबाद के ग्लास और वाराणसी के सिल्क को नई पहचान मिली है. 2017 में ओडीओपी योजना शुरू हुई थी, तब किसी ने नहीं सोचा था कि यूपी दो लाख करोड़ से अधिक का निर्यात करेगा, और अब यह वास्तविकता बन चुकी है.
मुख्यमंत्री ने बताया कि यह उद्योग केवल व्यापार नहीं है, बल्कि हमारे कारीगरों और हस्तशिल्पियों की जीवंत परंपरा है. यह उद्योग 25-30 लाख लोगों को रोजगार देता है और हर साल लगभग 17 हजार करोड़ रुपए का निर्यात करता है. महिला स्वावलंबन का यह सबसे बड़ा माध्यम बन चुका है. सरकार का प्रयास है कि और अधिक महिलाओं को इस उद्योग से जोड़ा जाए ताकि वे घर पर रहकर आर्थिक रूप से मजबूत बन सकें.
मुख्यमंत्री ने कहा कि भदोही को छोटा मत समझिए, यह प्रदेश और देश की आर्थिक ताकत का प्रतीक है. 2014 से पहले यह उद्योग लगभग मृतप्राय था, लेकिन आज यूपी की पहचान बन चुका है. दीपावली के अवसर पर प्रदेश के सभी 75 जिलों में स्वदेशी मेले का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें भदोही की कालीनों के विशेष स्टॉल लगाए गए हैं.
रवि पाटेरिया ने कहा कि “कालीन उद्योग हाथों का जादू है. हमने विश्व का सबसे बड़ा कालीन बनाकर कजाकिस्तान भेजा है. इस कला को विशेष दर्जा मिलना चाहिए.” इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि विचार समिति के गठन पर सरकार विचार कर रही है ताकि उद्यमियों के सुझाव नीतिगत निर्णयों में शामिल किए जा सकें.
हाजी हमीद ने कहा कि “आपकी प्रतिबद्धता ने कालीन उद्योग को नया जीवन दिया है. भदोही और प्रदेश दोनों को इस उद्योग के माध्यम से वन ट्रिलियन इकॉनमी में सहभागी बनाया जा सकता है.”
अनिल सिंह ने मीरजापुर-विंध्य कॉरिडोर के विकास का उल्लेख किया, जिस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि “भदोही, वाराणसी और मीरजापुर को जोड़कर विकास क्षेत्र के रूप में तैयार करने का काम चल रहा है.”
आदर्श पूर्णिमा ने कहा कि “आध्यात्म और राजनीति का संगम हो तो सफलता निश्चित है.” निर्यातक आलोक बरनवाल ने बुनकरों की कमी और श्रमिकों के पलायन की समस्या उठाई, जिस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि “हम उद्योग को महिलाओं और स्थानीय श्रमिकों से जोड़कर आत्मनिर्भरता की दिशा में काम कर रहे हैं.”
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा लक्ष्य केवल उद्योग को बचाना नहीं, बल्कि इसे नई ऊंचाइयों पर ले जाना है. जब एक देश टैरिफ लगाएगा तो हम 10 नए देशों के लिए अपने रास्ते खोलेंगे. यही आत्मनिर्भर भारत की भावना है. चुनौतियों से घबराना नहीं है, बल्कि उन्हें अवसर में बदलना है. सरकार आपके साथ है, आपका भविष्य उज्ज्वल है.
इस अवसर पर सांसद डॉ. विनोद बिंद, विधायक दीनानाथ भास्कर, विपुल दुबे, जिला पंचायत अध्यक्ष अनिरुद्ध त्रिपाठी, विकास आयुक्त हस्तशिल्प भारत सरकार अमृत राज, सीपीसी के चेयरमैन कुलदीप, पद्मश्री डॉ. रजनीकांत, भदोही कार्पेट उद्योग से जुड़े अधिकारी और स्टेकहोल्डर्स सहित कई गणमान्य उपस्थित रहे.