चंडीगढ़ : आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब में मुख्यमंत्री पद का अपना उम्मीदवार तय करने को लेकर असमंजस की स्थिति में नजर आ रही है. राज्य में इसका सबसे अधिक चर्चित चेहरा भगवंत मान हैं, लेकिन माना जा रहा कि आप संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनकी उम्मीदवारी पर आपत्ति है. और ऐसा लगता है कि जिन्हें आप आलाकमान अपना उम्मीदवार बनाना चाहता है, वे राजनीति में आने के इच्छुक नहीं हैं.
आप की पंजाब इकाई के प्रमुख और सांसद भगवंत मान ने अगले साल प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर अपनी दावेदारी जताने के लिए इस हफ्ते के शुरू में दिल्ली में केजरीवाल से मिले थे. लेकिन पार्टी के कई सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि मान के साथ बातचीत में केजरीवाल ने ऐसी कोई प्रतिबद्धता नहीं दिखाई. आप संयोजक मान को डिप्टी सीएम बनाने के वादे के साथ एक ‘अधिक उपयुक्त’ विकल्प की तलाश कर रहे हैं.
आप नेताओं के मुताबिक, पार्टी आलाकमान कई नामों पर विचार कर रहा है. इसमें किसान संघ के नेता, पर्यावरण कार्यकर्ता, पूर्व सिविल सेवकों, पुलिस कर्मियों से लेकर समाजसेवी तक शामिल हैं.
राज्य में पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘हालांकि, कई नामों पर चर्चा की गई है, लेकिन केवल कुछ पर गंभीरता से विचार किया गया. सूची में ताजा नाम राज्य के पूर्व डीजीपी एन.पी.एस औलख का है.’
इससे पहले जून में केजरीवाल ने घोषणा की थी कि पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार सिख समुदाय से होगा और इसी राज्य का निवासी होगा.
एक कॉप, एक राजनयिक और एक समाजसेवी
एक सम्मानित पुलिस अधिकारी, औलख 1972 बैच के आईपीसी अधिकारी हैं और 2007 में पंजाब के पुलिस महानिदेशक बने थे. फरवरी 2009 में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के प्रमुख के तौर पर पदभार संभालने के साथ ही वह ऐसा करने वाले पंजाब के पहले अधिकारी बन गए. वहीं, डीजीपी का पद संभालने से पहले औलख सीमा सुरक्षा बल के विशेष महानिदेशक के तौर पर केंद्र सरकार की प्रतिनियुक्ति पर थे. अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं और चंडीगढ़ में रहते हैं.
हालांकि, पूर्व पुलिस अधिकारी ने गुरुवार को स्पष्ट कर दिया कि राजनीति में उनकी कोई रुचि नहीं है. उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘न तो आप ने ही मुझसे कोई संपर्क किया है और न ही मेरी राजनीति में कोई दिलचस्पी है. यह मेरे वश की बात नहीं है. इसे इस तरह भी कह सकते हैं—राजनीति को एक विशेष तरह के कौशल की जरूरत होती, जो मेरे पास नहीं है.
पार्टी सूत्रों ने बताया कि जिस एक और नाम पर गंभीरता से विचार किया गया, वह हैं एक सेवानिवृत्त राजनयिक के.सी. सिंह, जो ईरान और संयुक्त अरब अमीरात में भारत के राजदूत के तौर पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं. वह आईपीएस में औलख के बैचमेट रहे हैं लेकिन 1974 में वह आईएफएस में शामिल हो गए थे. के.सी. सिंह भी चंडीगढ़ से हैं और उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की थी. विदेशों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभालने के अलावा के.सी. सिंह राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के डिप्टी सेक्रेटरी के तौर पर भी काम कर चुके हैं.
पिछले महीने के.सी. सिंह ने एक गैर-राजनीतिक मंच ‘सांझा सुनेहरा मंच’ लॉन्च किया था, जिसका उद्देश्य विभिन्न मुद्दों पर आगे बातचीत के लिए शहरी और ग्रामीण पंजाबियों से सलाह और प्रतिक्रिया लेना है. हालांकि, उन्होंने भी आप में शामिल होने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है.
उन्होंने कहा, ‘मैंने आप और उसके नेताओं के बारे में ज्यादा कुछ नहीं सोचा है. और ऐसी कोई संभावना नहीं है कि मैं राजनीतिक तौर पर उनके जुड़ जाऊं.’
माना जाता है कि आप की सूची में शामिल तीसरे संभावित उम्मीदवार दुबई में बसे व्यवसायी और समाजसेवी एस.पी.एस ओबेरॉय हैं.
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2010 में ओबेरॉय ने दुबई में 17 पंजाबी युवाओं को ‘ब्लड मनी’ देकर फांसी पर चढ़ाए जाने से बचाया था. उनका धर्मार्थ ट्रस्ट सरबत दा भला विदेशों में मुसीबत में फंसे पंजाबियों की मदद करने में सबसे आगे रहा है.
कोविड महामारी के दौरान ओबेरॉय चिकित्सा उपकरणों और ऑक्सीजन की मांग पूरी करने में पंजाब सरकार की मदद कर रहे थे और उन्होंने राज्य में ऑक्सीजन संयंत्र भी स्थापित किया है. समाजसेवा के लिए कई पुरस्कारों के सम्मानित ओबेरॉय चंडीगढ़ और दुबई के बीच आते-जाते रहते हैं.
उनके भाई गुरजीत ओबेरॉय ने दिप्रिंट को बताया, ‘आप उन्हें मुख्यमंत्री पद उम्मीदवार बनाने के लिए बहुत उत्सुक थी, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया है. उन्हें राजनीति में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं है और वह किसी भी राजनीतिक दल में शामिल नहीं होना चाहते. वह बिना किसी राजनीतिक जुड़ाव के अपनी समाज सेवा को जारी रखना चाहते हैं.’
एक जल संरक्षणवादी और एक कृषि नेता पर भी विचार
आप की मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों की ऐच्छिक सूची में शामिल लोगों में प्रसिद्ध जल संरक्षण एक्टिविस्ट बलबीर सिंह सीचेवाल भी शामिल हैं. ‘इको बाबा’ के नाम से ख्यात सीचेवाल ने पंजाब में नदियों और नहरों की सफाई का बीड़ा उठाया और काली बीन नदी को पुनर्जीवित किया था. उन्हें 2007 में पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘सिर्फ आप ही नहीं, तमाम राजनेताओं की तरफ से हमेशा उनकी पार्टी में शामिल होने को कहा जाता रहा है. लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता. मैं झूठ नहीं बोल सकता, मैं बेईमानी नहीं कर सकता और झूठे वादे नहीं कर सकता. मैं आभारी हूं कि मुझे इस सेवा का जिम्मा मिला है, जो मैं कर रहा हूं और मैं इसे जारी रखना चाहता हूं.’
आप के सूत्रों के मुताबिक, किसान संघ के नेता बलबीर सिंह राजेवाल भी उसकी पसंद के उम्मीदवार थे, लेकिन पार्टी उन्हें नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी आंदोलन से दूर करने में असमर्थ रही.
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