लखनऊ: अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग, लखनऊ के ऑडिटोरियम में एक भव्य समारोह आयोजित किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में न्यायमूर्ति डॉ. डी.के. अरोड़ा और विशिष्ट अतिथि के रूप में न्यायमूर्ति सुधीर सक्सेना उपस्थित रहे. आयोग के वरिष्ठ सदस्य न्यायमूर्ति राजीव लोचन मेहरोत्रा, सदस्य बृज भूषण, पुलिस महानिदेशक संदीप सालुंके, सचिव संजय कुमार सहित अन्य अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल हुए. इस वर्ष मानवाधिकार दिवस की थीम “हमारी दैनिक आवश्यकताएं” रखी गई.
समारोह में आयोग के शीतकालीन इंटर्नशिप कार्यक्रम से जुड़े प्रशिक्षु छात्र-छात्राओं ने भी अपने विचार साझा किए. सचिव संजय कुमार ने मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, सदस्यगण, अधिकारियों, अधिवक्ताओं, मीडिया प्रतिनिधियों और प्रशिक्षुओं का स्वागत किया.
मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति डॉ. अरोड़ा ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सहित कोई भी मौलिक अधिकार पूर्ण रूप से निरपेक्ष नहीं है. सभी अधिकारों पर तर्कसंगत प्रतिबंध लगाए गए हैं. उन्होंने मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा के ऐतिहासिक और सामाजिक कारणों पर भी प्रकाश डाला तथा कानून की नजर में सभी व्यक्तियों की समानता पर बल दिया.
विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति सुधीर सक्सेना ने कहा कि हर व्यक्ति की गरिमा का सम्मान घर से शुरू होना चाहिए. उन्होंने महिलाओं और बच्चियों की गरिमा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने पर जोर दिया.
आयोग के वरिष्ठ सदस्य न्यायमूर्ति राजीव लोचन मेहरोत्रा ने कहा कि मानवाधिकार चाहे मौलिक हों या विधिक, सभी की सुरक्षा आवश्यक है. उन्होंने कहा कि स्वच्छ हवा में सांस लेने का अधिकार भी एक मूलभूत मानवाधिकार है. यदि हम मानवाधिकारों की भावना को आत्मसात कर लें, तो किसी अन्य कानून की आवश्यकता ही नहीं रह जाएगी.
आयोग के सदस्य बृज भूषण ने कहा कि हमें जो भी अधिकार प्राप्त हैं, वे सभी मानवाधिकारों की श्रेणी में आते हैं. उन्होंने बताया कि आयोग ने कई दिव्यांग और निर्धन व्यक्तियों की मदद की, ताकि वे न्याय से वंचित न रहें.
आयोग के पुलिस महानिदेशक संदीप सालुंके ने मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, सदस्यगण, अधिवक्ताओं और प्रशिक्षुओं को कार्यक्रम में शामिल होने के लिए धन्यवाद दिया तथा आयोग स्टाफ के प्रयासों की सराहना की.
समारोह का संचालन आयोग की विधि अधिकारी (उच्चतर न्यायिक सेवा) अल्पना शुक्ला ने किया. उनके मार्गदर्शन में आयोग के गठन, कार्यप्रणाली, अधिकार और शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया को एक ब्रोशर में संकलित किया गया, जिसे कार्यक्रम के दौरान जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से वितरित किया गया. ब्रोशर में बताया गया कि मानवाधिकार उल्लंघन की स्थिति में आयोग से कैसे मदद प्राप्त की जा सकती है.
कार्यक्रम गरिमामय वातावरण में सम्पन्न हुआ, जिसमें मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता और संवेदनशीलता बढ़ाने पर विशेष जोर दिया गया.
