रायपुर: छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण की दिशा में आज एक ऐतिहासिक पहल की गई. मंत्रालय महानदी भवन में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल की उपस्थिति में चिकित्सा शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ और कॉन्टिनेंटल हॉस्पिटल, तेलंगाना के बीच लाइसेंस समझौते (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए. यह समझौता प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (PMSSY) के अंतर्गत किया गया है.
इस अवसर पर वन एवं परिवहन मंत्री केदार कश्यप, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार पिंगुआ, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह, सचिव राहुल भगत, स्वास्थ्य सचिव अमित कटारिया, आयुक्त स्वास्थ्य डॉ. प्रियंका शुक्ला, एनएमडीसी के अधिकारी जयदीप दास गुप्ता एवं श्रीनिवास राव तथा कॉन्टिनेंटल हॉस्पिटल हैदराबाद के अध्यक्ष डॉ. गुरुनाथ रेड्डी, डॉ. रघुनाथ रेड्डी और के.वी. रेड्डी समेत कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे.
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य है कि आदिवासी अंचलों सहित प्रदेश के हर नागरिक तक विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचे. उन्होंने कहा कि आठ वर्ष पूर्व इस अस्पताल की नींव रखी गई थी और आज जब छत्तीसगढ़ अपनी रजत जयंती मना रहा है, उस दौरान यह समझौता होना ऐतिहासिक महत्व रखता है. उन्होंने कहा कि गणेश महोत्सव के शुभ अवसर पर हुआ यह एमओयू प्रदेशवासियों के लिए शुभ संकेत है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर क्षेत्र के लोग लंबे समय से उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधाओं से वंचित रहे हैं, किंतु अब यह सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल उनके लिए वरदान साबित होगा. विशेषकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात जवानों के लिए यह जीवनरक्षक सिद्ध होगा. पहले घायल जवानों को एयर एंबुलेंस से रायपुर भेजना पड़ता था, लेकिन अब जगदलपुर में ही उन्हें अत्याधुनिक इलाज उपलब्ध होगा.
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि हर नागरिक तक समय पर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाना सरकार की प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि बस्तर में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की स्थापना पूरे राज्य के लिए गर्व की बात है. पहले ऐसी सेवाएँ केवल रायपुर और बिलासपुर तक सीमित थीं, लेकिन अब बस्तर अंचल के लोग भी इन सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे.
स्वास्थ्य सचिव अमित कटारिया ने जानकारी दी कि इस अस्पताल के निर्माण पर 200 करोड़ रुपये की लागत आई है, जिसमें से 120 करोड़ रुपये केंद्र सरकार और 80 करोड़ रुपये राज्य सरकार द्वारा वहन किए गए हैं. एनएमडीसी ने भी परियोजना में अहम योगदान दिया है. उन्होंने बताया कि यह अस्पताल 11 एकड़ भूमि पर बना है और अत्याधुनिक मशीनों एवं उपकरणों से सुसज्जित है.
10 मंजिला यह अस्पताल 240 बिस्तरों की क्षमता वाला होगा. इसमें हृदय रोग (कार्डियोलॉजी), किडनी रोग (नेफ्रोलॉजी), न्यूरो सर्जरी, यूरोलॉजी और गैस्ट्रोएंटरोलॉजी जैसे विभाग संचालित होंगे. ओपीडी, आईसीयू और आपातकालीन सेवाओं सहित गहन चिकित्सा की अत्याधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध होंगी. विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम सरकारी दर पर उपचार प्रदान करेगी.
सरकारी दर पर उपलब्ध इन सेवाओं का लाभ न केवल बस्तर संभाग बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ और देशभर के मरीज उठा सकेंगे. अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और कॉन्टिनेंटल हॉस्पिटल प्रबंधन के प्रतिनिधियों ने इसे प्रदेश के स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए मील का पत्थर करार दिया. यह अस्पताल बस्तर अंचल के लाखों लोगों के लिए नई उम्मीद और जीवनदायी सुविधा साबित होगा.