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Saturday, 13 December, 2025
होमरिपोर्टआतंक पीड़ितों के 39 परिजनों को नियुक्ति पत्र, LG बोले—न्याय का लंबा इंतज़ार खत्म

आतंक पीड़ितों के 39 परिजनों को नियुक्ति पत्र, LG बोले—न्याय का लंबा इंतज़ार खत्म

उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई केवल सरकार की नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है. हमें दृढ़ संकल्प और धैर्य के साथ इस खतरे से लड़ने और दुश्मन की साजिशों को नाकाम करने का संकल्प लेना होगा.

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श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शनिवार को लोक भवन, श्रीनगर में कश्मीर डिवीजन के आतंकवाद पीड़ितों के 39 परिजनों (नेक्स्ट ऑफ किन–NoKs) को नियुक्ति पत्र सौंपे. इस मौके पर उपराज्यपाल ने आतंक पीड़ित परिवारों को न्याय, रोजगार और सम्मान दिलाने के अपने संकल्प को दोहराया.

उपराज्यपाल ने कहा कि आज इन परिवारों के लिए न्याय का लंबा इंतजार खत्म हुआ है. पुनर्वास के ठोस कदमों के ज़रिए हमने उनकी गरिमा और सिस्टम में उनका भरोसा फिर से बहाल किया है. उन्होंने कहा कि आतंकवाद ने सिर्फ ज़िंदगियां ही नहीं छीनीं, बल्कि परिवारों को भी तोड़ दिया और मासूम घरों को दशकों की चुप्पी, बदनामी और गरीबी में धकेल दिया. आतंकियों द्वारा की गई हर क्रूर हत्या के पीछे एक ऐसे घर की कहानी है, जो फिर कभी संभल नहीं पाया, और ऐसे बच्चों की कहानी है जो माता-पिता के बिना बड़े हुए.

कार्यक्रम में मौजूद परिवारों के सदस्यों ने अपने प्रियजनों की नृशंस हत्या की दर्दनाक घटनाएं और वर्षों तक चुपचाप झेला गया मानसिक आघात साझा किया. उपराज्यपाल ने कहा कि लंबे समय तक सिस्टम ने इन परिवारों के दर्द और पीड़ा को नज़रअंदाज़ किया. आतंकवाद के असली पीड़ितों और सच्चे शहीदों को आतंकी इकोसिस्टम से जुड़े तत्वों ने परेशान किया. एक तरफ ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) को सरकारी नौकरियां दी जाती रहीं, वहीं दूसरी ओर आतंक पीड़ितों के परिजनों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया.

उपराज्यपाल ने कहा कि पीढ़ियों तक सिस्टम इन पीड़ितों के साथ न्याय करने में नाकाम रहा और उनके मामलों को वह प्राथमिकता नहीं मिली, जिसके वे हकदार थे. अब पीड़ितों की आवाज को सशक्त किया जा रहा है और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि उन्हें उनके अधिकार और उनका हक मिले. साथ ही, आतंक के दोषियों को त्वरित और निष्पक्ष न्याय दिलाने के लिए भी सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है.

उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई केवल सरकार की नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है. हमें दृढ़ संकल्प और धैर्य के साथ इस खतरे से लड़ने और दुश्मन की साजिशों को नाकाम करने का संकल्प लेना होगा.

उपराज्यपाल ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद पर सरकार की नीति बिल्कुल साफ है—इसके हर रूप के प्रति जीरो टॉलरेंस. जम्मू-कश्मीर को आतंकवाद मुक्त बनाने के लिए हर उपलब्ध संसाधन और साधन का इस्तेमाल किया जाएगा, और जो भी आतंकियों को पनाह, सुरक्षित ठिकाना या किसी भी तरह का समर्थन देगा, उसे भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.

उपराज्यपाल ने बताया कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद आतंक पीड़ित परिवारों में नया आत्मविश्वास आया है और अब वे बिना डर के आतंकी इकोसिस्टम के खिलाफ अपनी बात रख रहे हैं.

कार्यक्रम में स्पेशल डीजी कोऑर्डिनेशन पीएचक्यू एस.जे.एम. गिलानी, प्रमुख सचिव गृह चंद्राकर भारती, आयुक्त सचिव जीएडी एम. राजू, उपराज्यपाल के प्रमुख सचिव डॉ. मंदीप के. भंडारी, कश्मीर डिवीजन के आयुक्त अंशुल गर्ग, आईजीपी कश्मीर वी.के. बिर्दी, उपायुक्त श्रीनगर अक्षय लबरू, सेव यूथ सेव फ्यूचर फाउंडेशन के अध्यक्ष वजाहत फारूक भट, फाउंडेशन के सदस्य, वरिष्ठ अधिकारी, विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि और आतंक पीड़ित परिवारों के सदस्य मौजूद रहे.

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