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Friday, 22 November, 2024
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‘अनुच्छेद 370 पर J&K को डरा कर ख़ामोश कर दिया, आप धमकियों से शांति नहीं ख़रीद सकते’- महबूबा

पीडीपी प्रमुख मे्हबूबा मुफ्ती ने कहा कि जम्मू कश्मीर के राजनीतिक दलों की एकता मोदी सरकार के आर्टिकल 370 को हटाने के खिलाफ जरूरी है.

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श्रीनगर:  पूर्व जम्मू-कश्मीर मुख्यमंत्री और पीपुल्सडेमोक्रेटिक पार्टी प्रमुख, महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार के धारा 370 को हटाने, और सूबे को दो केंद्र-शासित हिस्सों में बांटने के क़दम को पलटाना, एक सियासी संघर्ष होगा, न कि सुप्रीम कोर्ट में कोई क़ानूनी लड़ाई.

दिप्रिंट के साथ एक लिखित इंटरव्यू में,महबूबा मुफ्ती ने ये आरोप भी लगाया, कि 5 अगस्त 2019 के बाद से, जब धारा 370 को रद्द किया गया, लोगों को ‘डरा कर ख़ामोश’ कर दिया गया है, और अब ज़रूरत है कि जम्मू-कश्मीर में, सभी पार्टियां एकजुट बनी रहें.

उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट पहले भी इस केस को देख चुका है, और धारा 370 को जारी रखने के पक्ष में फैसला सुना चुका है. लेकिन बदक़िस्मती से, इस बार एक साल से ज़्यादा हो गया है, और इस मामले में कोई सुनवाई नहीं हुई है. निजी तौर पर मुझे लगता है, कि ये एक सियासी लड़ाई होने जा रही है, न कि क़ानूनी.

मुफ्ती ने ज़ोर देकर कहा, ‘हालात काफी डरावने हैं, लोगों को डराकर ख़ामोश कर दिया गया है. एक सतही शांति है जो कठोर उपायों से थोपी गई है. लेकिन आप धमकियों से शांति नहीं ख़रीद सकते,इसलिए इससे काम नहीं चलेगा. हमें एकजुट बने रहना है. महबूबा मुफ्ती, पीडीपी, नेशनल कॉनफ्रेंस, पीपुल्स कॉनफ्रेंस और दूसरी पार्टियां, अकेले कुछ नहीं कर सकतीं.चीज़ें हर रोज़ बदल रही हैं, इसलिए हमें उसी हिसाब से अपनी रणनीति बनानी है’.


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‘J&K का ज़्यादा बड़ा मुद्दा’

पूर्व सीएम ने ये भी कहा कि भारत सरकार को, न सिर्फ विशेष दर्जा बहाल करना पड़ेगा, बल्कि जे एंड के के ‘बड़े मुद्दे’ को सुलझाने के लिए, उससे कहीं ज़्यादा करना पड़ेगा. मुफ्ती ने समझाया कि यही वजह है, कि उनकी पार्टी और ख़ुद उनकी सियासत का फोकस, ‘जे एंड के मुद्दे के शांतिपूर्वक और सम्मानजनक समाधान के लिए’ संघर्ष करना होगा.

वो सूबे के तौर पर जे एंड के की आख़िरी सीएम रही हैं, इससे जुड़े सवाल के जवाब में मुफ्ती ने कहा: ‘हमारा विशेष दर्जा मेरे आख़िरी सीएम होने से कहीं आगे था. उसका ताल्लुक़ एक अकेले मुस्लिम-बहुल राज्य के नाते, हमारी अनोखी पहचान और हमारी कल्चर से था, जो इस वक़्त दांव पर लगी है. इसे हमें बदलना होगा’.

पीडीपी अब पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकर डिक्लेरेशन (पीएजीडी) का हिस्सा है, जो ऐसी क्षेत्रीय और राष्ट्रीय पार्टियों का समूह है, जो धारा 370 बहाल किए जाने की मांग कर रही हैं.

उन्होंने कहा, ‘कोई भी पार्टी या गठबंधन अकेले चीज़ों को नहीं बदल सकता; एक साझा प्रयास करना होगा’. उन्होंने आगे कहा, ‘यहां पर किसी ने भी भारत सरकार के, 5 अगस्त 2019 के फैसले को स्वीकार नहीं किया है; लोग ग़ुस्सा हैं और आहत भी हैं. कोई चीज़ जो ग़ैर-क़ानूनी और असंवैधानिक तरीक़े से ले ली गई है, उसे स्वीकार करके सामान्य नहीं किया जा सकता. इस काम में काफी समय और मेहनत लग सकती है, लेकिन इसे बहाल कराना होगा’.

ये पूछे जाने पर कि सियासी विरोधियों के साथ,गठबंधन में रहना कैसा लगता है, पीडीपी प्रमुख ने कहा: ‘हम सियासी तौर पर विरोधी रहे हैं, और आगे भी रह सकते हैं. लेकिन एक बड़े काम के लिए, हमें अपने पार्टी हितों से ऊपर उठना है,और एक होकर उस चीज़ के लिए लड़ना है, जो हमसे ले ली गई है’.  मुफ्ती ने ये ऐलान भी किया कि वो तब तक चुनाव नहीं लड़ेंगी, जब तक धारा 370 बहाल नहीं हो जाती.

अगर केंद्र टस से मस नहीं होता,तो उनका राजनीतिक भविष्य क्या होगा, ये पूछने पर उन्होंने कहा: ‘पहले तो ये, कि मुझे ऐसा नहीं लगता, कि ऐसा(बहाली) कभी नहीं होगा. इलाक़े में अमन शांति बनाए रखने के लिए, भारत सरकार को जे एंड के के बड़े मसले को हल करना होगा’. उसके लिए, उन्होंने कहा कि सिर्फ विशेष दर्जा बहाल किए जाने से आगे, बहुत कुछ करना होगा.

उन्होंने ये भी कहा, ‘दूसरा ये, कि मेरी सियासत कभी भी ताक़त से नहीं चली है. मेरी सियासत और पीडीपी की परिकल्पना का बुनियादी मक़सद, ‘जे एंड के मुद्दे के शांतिपूर्वक और सम्मानजनक समाधान के लिए संघर्ष करना होगा’.

मुफ्ती सईद का तो ‘दिल टूट’ जाता

पीडीपी चीफ ने धारा 370 वापस लिए जाने के बाद,हिरासत में बिताए गए महीनों के बारे में, पूछे गए सवालों के जवाब भी दिए, और अपने पिता स्वर्गीय मुफ्ती मोहम्मद सईद, और बेटी इल्तिजा मुफ्ती समेत, अपने परिवार के बारे में भी बात की.

महबूबा मुफ्ती को 2019 में धारा 370 पर फैसला लिए जाने से पहले ही, उनके घर में नज़रबंद कर दिया गया था, और उन्होंने कई सरकारी बिल्डिंग में समय बिताया, जहां विवादास्पद सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत, मुक़दमा दर्ज किए जाने के बाद उन्हें रखा गया, जिसके बाद 13 अक्तूबर 2020 को उन्हें रिहा कर दिया गया.

उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी हिरासत पर ताज्जुब नहीं था,लेकिन उन्होंने ये अपेक्षा नहीं की थी, कि ये इतनी लंबी चलेगी. उन्होंने कहा, ‘मुझे वाक़ई ताज्जुब नहीं था; मैंने बस एक छोटा सा सूटकेस पैक किया, क्योंकि मैंने नहीं सोचा था कि ये कुछ दिन से ज़्यादा चलेगा. पहले तीन हफ्ते (सबसे मुश्किल थे), जब मैं बाहरी दुनिया  तरह कटी हुई थी, ख़ासकर अपने परिवार से. वो बिल्कुल किसी एकान्त कारावास की तरह था, जो बहुत मुश्किल था’.

हिरासत के दौरान क्या किसी सरकारी अधिकारी ने उनसे संपर्क किया, ये पूछने पर मुफ्ती ने जवाब दिया: ‘ज़्यादा नहीं,लेकिन जिसने भी किया वो यी चाहता था, कि मैं विशेष दर्जा ख़त्म किए जाने के साथ समझौता कर लूं, और चीज़ों को सामान्य कर लूं, जैसे कुछ हुआ ही नहीं था’.

उन्होंने कहा कि उनके पिता, पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री और जे एंड के सीएम मुफ्ती सईद, धारा 370 को जाते हुए देखकर ‘व्यथित’ हो जाते.    उन्होंने कहा, ‘वो अपनी आस्था से भारतीय थे, सुविधा से नहीं, और उन्हें भारत के लोकतंत्र और इसकी विविधता पर फख़्र था. भारत का उनका विचार, जिसमें वो पूरा यक़ीन रखते थे, पूरी तरह चूर-चूर हो गया होता. मैं नहीं कह सकती कि उनकी क्या प्रतिक्रिया होती, लेकिन मुझे यक़ीन है उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी होती’.

क्या उनकी बेटी इल्तिजा, जिन्होंने उनकी हिरासत के दौरान मोदी सरकार के खिलाफ एक मुखर रुख़ इख़्तियार किया, पीडीपी में शामिल होंगी, ये पूछे जाने पर महबूबा मुफ्ती ने कहा: ‘मुझे लगता है कि उन्होंने बिल्कुल साफ कर दिया है, कि उनकी सियासत में दिलचस्पी नहीं है, लेकिन किसी को मालूम नहीं होता, कि भविष्य में क्या लिखा होता है’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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