अयोध्या/लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को अयोध्या का दौरा किया और राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण स्थल पर लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न को नए ‘आसन’ पर विराजमान किया.
मुख्यमंत्री दोपहर में अयोध्या पहुंचे और पूजा में शामिल हुए. अपने संक्षिप्त दौरे के दौरान मुख्यमंत्री बाद में केशवपुरम गए और उन्होंने राम मंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास कार्यक्रम की तैयारियों का जायजा लिया.
इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या के विधायक, सांसद, पार्षद के साथ-साथ संत समाज से भी बात की और कहा, ‘प्रधानमंत्री अयोध्या आएंगे. हम अयोध्या को भारत और विश्व का गौरव बनाएंगे, लेकिन इसकी पहली शर्त स्वच्छता होनी चाहिए.’
सीएम ने यह भी कहा कि अयोध्या के सामने एक अवसर है कि दुनिया जिस प्रकार से अयोध्या को देखना चाहती है उस प्रकार की क्षमता हम लोगों में है या नहीं. ये हमें स्वयं अपने आत्म अनुशासन के माध्यम से दुनिया को साबित करना है, अयोध्या को देश और दुनिया का गौरव प्रदान करेंगे.’
इस दौरान योगी ने यह भी कहा, ‘ अयोध्या में रामजन्मभूमि के लिए संगठित रूप से देशव्यापी आंदोलन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मार्गदर्शन में विश्व हिन्दू परिषद ने संतों के निर्देशन में चलाया और परिणाम हमारे सामने आ गया है.’
उन्होंने बातचीत में बताया कि तीन तारीख से ही पूरी अयोध्या राममय हो जाएगी. तीन तारीख को जहां अयोध्या के सभी मंदिरों में अखंड रामायण के आयोजन किया जाएगा वहीं 4-5 अगस्त को दीपोस्तव का आयोजन किया जाएगा.
Prime Minister will be visiting Ayodhya. We'll make Ayodhya the pride of India & the world. Cleanliness should be the first condition. There is an opportunity for Ayodhya to prove through self-discipline its capability & be the way the world expects to see it: CM Yogi Adityanath https://t.co/2RoJHKDv7F pic.twitter.com/QwIF5DznTt
— ANI UP (@ANINewsUP) July 25, 2020
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि अयोध्या में मुख्यमंत्री ने राम लला के दर्शन किये और आरती की. इस दौरान श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय और मुख्य पुजारी आचार्य सतेंद्र भी मौजूद थे.
राम मंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास समारोह में पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संभावित दौरे से पहले मुख्यमंत्री की अयोध्या की यह यात्रा हुई है. शिलान्यास समारोह के बाद मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा.
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के एक सदस्य ने बताया कि कोरोना वायरस महामारी के चलते केवल 200 लोग समारोह में शामिल होंगे और सामाजिक दूरी के नियम का पालन किया जाएगा.
#WATCH अयोध्या: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हनुमानगढ़ी मंदिर में पूजा अर्चना की। pic.twitter.com/yUlwAieKTD
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 25, 2020
सूत्रों के अनुसार शिलान्यास समारोह में मंदिर आंदोलन से जुडे. पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी रितंभरा सहित तमाम नेताओं और साधु संतों को आमंत्रित किया गया है .
जौहर और श्रीराममंदिर…
वे राजा दाहिर की रानी और दोनों राजकुमारियों की तरह महीनों की यातनायें भोगते हुये विदेशी धरती पर क्रूर लोगों के बीच अपमानजनक आचरण के साथ मरना नहीं चाहती थीं । इसलिए तत्कालीन परिस्थितियों ने भारतीय राजवंशी स्त्रियों के समक्ष आत्मदाह का मार्ग प्रशस्त किया । यह वह समय था जब स्त्रियों को लूटने वाले क्रूर विदेशी आक्रांताओं से बचने के लिए भारत की राजपूत स्त्रियों के पास आत्मदाह के अतिरिक्त और कोई उपाय नहीं था । स्त्रियों को आज भी ऐसी क्रूरष्ट यातनायें भोगते हुये मरने के लिए बाध्य होना पड़ता है । हमारी लोकतांत्रिक और न्यायिक व्यवस्थायें इसे रोक पाने में पूरी तरह असफल रही हैं ।
मुझे इस बात की गहन वेदना है कि भारतीय संविधान और कानून के छिद्रों ने क्रूरष्ट अपराध करने के लिए नाबालिगों को प्रोत्साहित करने की अराजक परम्परा को जन्म दिया है । निर्भया काण्ड के बाद ऐसे नाबालिग अपराधियों की संख्या में ख़ूब वृद्धि हुयी है ।
भारत वाली (नेपाल और पाकिस्तान वाली नहीं) अयोध्या में मर्यादापुरुषोत्तम माने जाने वाले और जनमानस के प्रेरणास्रोत रहे श्रीराम मंदिर का पुनर्निर्माण होने जा रहा है । इस बीच बलूचिस्तान में एक स्थानीय मौलाना के हुक़्म से एक खेत में निकली भगवान बुद्ध की एक हजार सात सौ साल पुरानी मूर्ति को तोड़ कर नष्ट कर देने का समाचार भयभीत करने वाला है । इस्लाम के नाम पर भारतीय सभ्यता और जनआस्थाओं से जुड़ी प्राचीन मूर्तियों, मंदिरों और पुस्तकालयों को नष्ट करने का एक दीर्घकालीन इतिहास विदेशी आक्रांताओं द्वारा लिखा जाता रहा है । भारतीय उपमहाद्वीप की महाशक्तियाँ पिछले चौदह सौ सालों से मूर्तियों, मंदिरों और पुस्तकालयों की रक्षा कर पाने में पूरी तरह असफल रही हैं । हम कैलाश पर्वत, मानसरोवर, शारदापीठ और तक्षशिला जैसे भारतीय अस्तित्व के परिचायक रहे पवित्र स्थानों को वापस ले पाने में भी आजतक असफल ही रहे हैं ।
…तो क्या स्त्रियाँ जन्म लेना बंद कर दें? …तो क्या मंदिर निर्माण नहीं किये जाने चाहिये?
समय बदला और जौहर को सामाजिक कुरीति मानते हुये अपराध घोषित कर दिया गया । किंतु यह भी समस्या का समाधान नहीं था । जौहर बंद हो गया पर स्त्रियों की सम्मानजनक सुरक्षा का प्रश्न अनुत्तरित ही रह गया । तब लड़कियों की सुरक्षा और उनके विवाह में होने वाली परेशानियों से जूझने की सम्भावनाओं ने भ्रूणहत्या का मार्ग खोज लिया और लड़कियों की गर्भ में ही हत्या की जाने लगी । समस्या का समाधान अभी भी नहीं मिल सका ।
कन्या भ्रूणहत्या को तो अपराध घोषित कर दिया गया किंतु क्रूर नाबालिग यौनापराधियों पर लगाम कसने के सार्थक उपायों पर कोई योजना आज तक नहीं बन सकी । स्त्री सम्मान और सुरक्षा के प्रश्न आज भी अनुत्तरित हैं । जब तक हम क्रूरष्ट अपराध करने वाले नाबालिगों को वयस्कतुल्यअपराधी मानना स्वीकार नहीं करेंगे तब तक स्त्री सम्मान और सुरक्षा की सारी योजनायें धूर्ततापूर्ण छल के अतिरिक्त और कुछ नहीं होंगी ।
भारत में श्रीराममंदिर का पुनर्निर्माण होने जा रहा है, उधर पाकिस्तान में कृष्ण मंदिर की नींव तोड़ दी गयी । भारत में इस्लामिक कट्टरपंथियों और उनके चाटुकार हिंदू राजनीतिज्ञों द्वारा श्रीराम के ऐतिहासिक अस्तित्व पर आज भी निर्लज्ज और निराधार टिप्पणियाँ की जा रही हैं और श्रीराम मंदिर पुनर्निर्माण का विरोध भी अनवरत किया जा रहा है ।
भारत के बहुत से लोग नहीं चाहते कि श्रीराममंदिर का पुनर्निर्माण किया जाय । श्रीराम ने तो मात्र एक व्यक्ति की टिप्पणी का आदर करते हुए सीता को अग्निपरीक्षा का आदेश दिया था, आज वे होते तो इतने लोगों के विरोध पर उनकी क्या प्रतिक्रिया होती!
क्या भारत के लोग इतने समर्थ हैं कि वे सोमनाथ जैसी घटनाओं की पुनरावृत्तियों को रोक सकें ? यदि नहीं तो उन्हें श्रीराम मंदिर पुनर्निर्माण का कोई नैतिक अधिकार नहीं है ।
मैं एक ऐसे मंदिर की सुरक्षा के लिए चिंतित हूँ जो अपने पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में है और जो आने वाले समय में हिंदुओं की सामूहिक हत्या और भारत विभाजन का कारण बनने वाला है ।