scorecardresearch
Tuesday, 5 November, 2024
होमराजनीति' मैं नहीं छोड़ूंगा,' चुनाव से एक साल पहले नजर आने लगा है सख्त मिजाज शिवराज का रूप

‘ मैं नहीं छोड़ूंगा,’ चुनाव से एक साल पहले नजर आने लगा है सख्त मिजाज शिवराज का रूप

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री अब सार्वजनिक कार्यक्रमों में उन अधिकारियों पर कार्रवाई कर रहे हैं, सरकारी और कल्याणकारी योजनाओं को आमजन तक नहीं पहुंचा रहे हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: उज्ज्वला योजना के वितरण में कथित लापरवाही के लिए एक जिला आपूर्ति अधिकारी को सार्वजनिक रूप से निलंबित करने से लेकर, झबुआ के एसपी को निलंबित करने के लिए राज्य पुलिस के प्रमुख को फोन लगाने तक; मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पिछले कुछ सप्ताह से अपनी मिलनसार व्यक्तित्व वाली छवि को त्यागते हुए एक ‘हार्ड टास्कमास्टर’ (कड़ाई से काम लेने वाला व्यक्ति) की छवि बनाने की कोशिश में जुटे दिखाई दे रहे हैं.

प्यार से ‘मामा’ कहे जाने वाले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री उन सिविल सर्वेन्ट्स और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रहे हैं, ज्यादातर उन अधिकारियों पर जिनपर लोक कल्याणकारी योजनाएं आम लोगों तक सही तरीके से न पहुंचाने का आरोप लग रहा है.

बानगी के तौर पर जरा इसे देखें : बुधवार की सुबह श्योपुर जिले की अपनी समीक्षा बैठक के दौरान, उन्होंने जिला कलेक्टर को कथित तौर पर चेतावनी दी कि उन्हें गांवों में लोगों के घर तक अन्न न पहुंचाने के संबंध में शिकायतें मिली हैं. कलेक्टर ने उन्हें बताया कि इस मामले में 11 प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं और चार गिरफ्तारियां की गई हैं.

इसके बाद चौहान ने कलेक्टर और जिला पुलिस अधीक्षक को इन अनियमितताओं में कथित रूप से शामिल होने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कहा. यह कहते हुए कि जिला आपूर्ति अधिकारी (डिस्ट्रिक्ट सप्लाई ऑफिसर -डीएसओ) गलत तस्वीर पेश कर रहे थे, चौहान ने चेताया, ‘मैं ऐसे किसी भी शख्स को नहीं बख्शूंगा जो राशन के वितरण में भ्रष्टाचार कर रहा है.‘ फिर सीएम ने बैठक के बीच में ही इस डीएसओ को निलंबित कर दिया.

फिर, 24 सितंबर को, चौहान ने ‘मुख्यमंत्री जन सेवा अभियान’ नामक एक कार्यक्रम के हिस्से के रूप में डिंडोरी जिले में अधिकारियों और जनता के साथ आयोजित एक बैठक के दौरान ही वहां के कलेक्टर रत्नाकर झा से केंद्रीय योजनाओं की अदायगी में प्रगति के बारे में पूछा.

उन्होंने चेतावनी दी, ‘कार्यक्रम की आखिरी तारीख 31 अक्टूबर है. अगर आपके जिले में कोई भी छूट जाता है, तो मैं आपको निलंबित करने में संकोच नहीं करूंगा.’

सीएम ने डिंडोरी के डीएसओ टी. आर. अहिरवार को भी मंच पर बुलाया और इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा कि जनवरी से सितंबर तक उज्ज्वला योजना के तहत 70,000 लोगों को नामांकित करने का लक्ष्य क्यों पूरा नहीं हुआ. डीएसओ के उत्तर से असंतुष्ट होने के बाद चौहान ने बैठक में मौजूद हजारों लोगों के सामने मंच पर ही उन्हें निलंबित कर दिया. फिर चौहान ने रैली में उपस्थित लोगों की तालियों के बीच ने इस अधिकारी को जमकर फटकार लगाई.

17 सितंबर को शुरू किए गए, जन सेवा अभियान का उद्देश्य दो दर्जन योजनाओं के तहत लाभार्थियों के नामांकन की सुविधा प्रदान करना और उनके वितरण में आई खामियों को दूर करना है.

25 सितंबर को झाबुआ जिले में आयोजित एक जन सेवा अभियान कार्यक्रम के दौरान एक दूसरे डीएसओ का भी यही हश्र हुआ. कई सारे लोगों द्वारा अपने गांवों में राशन नहीं मिलने की शिकायत के बाद डीएसओ एमके त्यागी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया.

फिर 23 सितंबर को छिंदवाड़ा पहुंचे चौहान ने वहां के डीएम और जिला स्वास्थ्य अधिकारी को ‘आयुष्मान भारत’ के लिए पात्र हर लाभार्थी की पहचान करने के लिए उनका ‘ई-हेल्थ कार्ड’ सुनिश्चित करने की चेतावनी दी, और कहा, ‘अन्यथा मैं कार्रवाई करने में संकोच नहीं करूंगा..

झाबुआ के एसपी अरविंद तिवारी को भी एक ऐसा वीडियो वायरल होने के बाद सीएम के गुस्से का सामना करना पड़ा, जिसमें तिवारी उन पॉलिटेक्निक के छात्रों के साथ दुर्व्यवहार करते दिख रहे हैं जिन्होंने अपने छात्रावास में हुए विवाद के बाद अपनी सुरक्षा की मांग की थी.

जब यह वीडियो चौहान के संज्ञान में आया, तो उन्होंने 19 सितंबर को राज्य के पुलिस महानिदेशक (दीजीपी) विवेक जौहरी से तिवारी को निलंबित करने के लिए कहा.

पन्ना जिले में, सीएम ने पिछले महीने हुई एक समीक्षा बैठक में जिला मजिस्ट्रेट से कहा था कि ‘या तो आप स्वयं तथ्यों की जानकारी नहीं रखते हैं या फिर आप मुझे गुमराह कर रहे हैं.’ वह प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त नहीं किये जाने की वजह से नाराज थे.

हालांकि, कांग्रेस प्रवक्ता के के मिश्रा ने अधिकारियों के खिलाफ चौहान की इन कार्रवाइयों पर सवाल उठाया, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि यह सिर्फ मुख्यमंत्री की सार्वजनिक छवि को ‘बनाए रखने’ के उद्देश्य से किया गया है. मिश्रा ने दिप्रिंट से कहा, ‘इन अधिकारियों को नियुक्त किसने किया था? अब जब चुनाव नजदीक आ रहा है, तो वह अधिकारियों की सार्वजनिक रूप से सुनवाई कर रहे हैं. यह दिखाता है कि चौहान खुद भ्रष्टाचार के लिए जवाबदेही साझा नहीं करना चाहते हैं और सार दोष अधिकारियों पर डाल रहे हैं.’


यह भी पढ़ें: स्थानीय निकाय चुनावों में हार के बाद MP BJP के नेताओं में मनमुटाव की क्या है वजह


‘शिकायतों के बाद की गई कार्रवाई’

इस बारे में अधिकारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री के रवैये में अचानक आया बदलाव मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) को भ्रष्टाचार के बारे में मिली कई सारी शिकायतों, खासकर उन अधिकारियों के बारे में जो कथित तौर पर राज्य और केंद्र की योजनाओं के तहत लोगों को नामांकित करने के लिए पैसे मांग रहे हैं, की वजह से है. कुछ लोगों का यह भी कहना है कि चौहान खुद सीएम हेल्पलाइन की निगरानी करते रहते हैं.

सीएमओ के एक अधिकारी ने कहा, ‘मुख्यमंत्री उनके ‘जन सेवा अभियान’ के तहत सभी जिलों का दौरा कर रहे हैं, जहां जनता और अधिकारियों को केंद्र तथा राज्य सरकार की योजनाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा के लिए बुलाया जाता है. इसका लक्ष्य उन लोगों को मिलने वाले लाभ को अधिकतम करना है जो कई सारी योजनाओं के तहत पात्र हैं, लेकिन अभी भी नामांकित नहीं किए गए हैं; या फिर आधिकारिक उदासीनता, अक्षमता या भ्रष्टाचार के कारण समस्याओं का सामना कर रहे हैं. चूंकि राशन वितरण से संबंधित बहुत सारी शिकायतें हैं, इसलिए सीएम भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं.’

यह जनसंपर्क अभियान 31 अक्टूबर तक चलेगा. इस अभियान के तहत, प्रत्येक वार्ड और पंचायत में शिविर आयोजित किए जा रहे हैं, जहां लोग 33 केंद्रीय और राज्य स्तरीय योजनाओं का लाभ लेने के लिए अपना नामांकन करा सकते हैं. अधिकारियों का कहना है कि शत-प्रतिशत नामांकन के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सात समितियां भी एक साथ मिलकर काम कर रही हैं.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक राज्य महासचिव ने दिप्रिंट को बताया, ‘अधिकारियों को जनता के सामने खुलेआम दंडित करने से लोगों में यह आस जगती है कि कोई उनकी बात सुन रहा है और उनके लिए काम कर रहा है. चाहे डीएम हों या एसपी, सीएम जिले के सबसे ताकतवर अधिकारियों पर भी कार्रवाई कर रहे हैं. यह गलत कामों को रोकने के मकसद से अधिकारियों के मन में डर पैदा करने के लिए किया जाता है. यह अधिकारियों के बीच जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए है. ‘

सीएमओ के एक अधिकारी ने कहा कि कुछ महीने पहले, चौहान ने ब्रेकफास्ट मीटिंग (नाश्ते की बैठकों) का सिलसिला शुरू किया था, जहां वे अपने दिन की शुरुआत जिला मजिस्ट्रेट, एसपी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी और अन्य उपस्थित लोगों के साथ सुबह 7 बजे से 10 बजे तक एक जिले की समीक्षा के लिए की गयी बैठक के साथ करते हैं. यह समस्याओं को हल करने और जवाबदेही तय करने के लिए किया जाता है.

छवि में बदलाव क्यों?

मध्य प्रदेश में अगले साल, 2023 में, चुनाव होने के साथ हीं चौहान दिल्ली स्थित भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को अपना काम दिखाने के लिए उत्सुक हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं कई मौकों पर केंद्रीय योजनाओं के लिए लोगों को नामांकित करने और उन्हें वितरित करने में सफलता हासिल करने हेतु चौहान की प्रशंसा की है.

मोदी ने पिछले साल अगस्त में कहा था, ‘एमपी ने रिकॉर्ड खाद्य उत्पादन दर्ज किया है और राज्य सरकार ने भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर रिकॉर्ड मात्रा में खरीद की व्यवस्था की. गेहूं की खरीद के लिए देश में भर में स्थापित खरीद केन्दों में से सबसे अधिक केन्द एमपी में ही स्थापित किए गए हैं.’

हालांकि, चौहान भाजपा के सबसे लंबे समय तक रहने वाले मुख्यमंत्री हैं, मगर वे बी.एस. येदियुरप्पा (कर्नाटक), विजय रूपानी (गुजरात) और त्रिवेंद्र सिंह रावत (उत्तराखंड) के हश्र को भी बखूबी जानते हैं, जिनमें से सभी को उनके राज्य में होने वाले चुनावों से पहले हटा दिया गया था.

चौहान के इन कदमों में तेजी लेन वाला वाला एक अन्य कारक इस साल जुलाई में संपन्न निकाय चुनावों में भाजपा को हुआ 7 मेयर पदों का नुकसान भी हो सकता है. इन चुनावों में कांग्रेस ने पांच पदों पर जीत हासिल कर साल 1999 के बाद से अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था.

राजनीतिक टिप्पणीकार गिरिजा व्यास को लगता है कि चौहान अब कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं, और खुद को एक ऐसे व्यावहारिक नेता के रूप में पेश कर रहे हैं जो गरीबों के लिए काम करता है. उन्होंने कहा, ‘वह यह दिखा कर अपनी छवि को मजबूत करना चाहते हैं कि वह लोगों के प्रति तो नरम हैं, लेकिन उनकी विनम्रता का गलत फायदा उठाने वाले अधिकारियों पर सख्त हैं.’

उन्होंने कहा, ‘यह सत्ता विरोधी लहर को मात देने का एक और तरीका है. आम तौर पर लोग सोचते हैं कि अधिकारी भ्रष्ट हैं और अगर सीएम उनके खिलाफ कार्रवाई करते हैं, तो इससे मुख्यमंत्री की छवि ही चमकेगी.’

व्यास ने कहा कि यह ‘असुरक्षा’ के कारण भी हो सकता है, क्योंकि (मध्यप्रदेश के गृह मंत्री) नरोत्तम मिश्रा और (भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व सांसद मंत्री) कैलाश विजयवर्गीय जैसे कई नेता हैं, जो चौहान के बाद सत्ता की बागडोर संभालने के लिए ‘उत्सुक’ हैं.

व्यास ने कहा, ‘वह [चौहान] जानते हैं कि वह केवल तीन तरीकों से अपनी कुर्सी बचाये रख सकते हैं – चुनाव जीतें, योजनाओं के वितरण में खामियों को दूर करके शासन में सुधार करें और मुख्य एजेंडे पर काम करते रहें.’

स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजों के बाद, विजयवर्गीय ने नौकरशाही के प्रति कथित तौर पर नरम होने के लिए चौहान पर निशाना साधा था, और (भाजपा को लगे) चुनावी झटके के लिए आईएएस अधिकारियों को दोषी ठहराया था. सीएम ने तब कहा था कि ज्यादातर अधिकारी अच्छा काम कर रहे हैं और किसी भी सिविल सर्वेंट से संबंधित किसी भी समस्या का सार्वजनिक रूप से उल्लेख नहीं किया जाना चाहिए.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: ‘निरंकुश’, ‘भ्रष्ट’- कैसे MP में नौकरशाही पर निशाना साधने वाले सिंधिया के करीबी CM चौहान को घेर रहे


 

share & View comments