नई दिल्ली: लोकसभा में नारी शक्ति वंदन अधिनियम दो तिहाई बहुमत के साथ पास कर दिया गया है. महिला आरक्षण बिल के पक्ष में पड़े 454 वोट मिले. बता दें कि महिला आरक्षण बिल पर वोटिंग के दौरान लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उपस्थित थे. अब कल यह बिल राज्यसभा में पेश किया जाएगा. उच्च सदन से पास होने के बाद यह बिल राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए जाएगा. और जब राष्ट्रपति की मुहर मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा.
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में महिला आरक्षण से जुड़ा 128वां संविधान संशोधन ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक-2023’ पेश किया. बिल पर चर्चा के बाद महिला आरक्षण पर वोटिंग हुई. लोकसभा सांसद विपक्षी सांसद की मांग पर विधेयक के खंडों पर मतदान कर रहे हैं.
आरक्षण बिल पास किए जाने की घोषणा करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33% सीटें देने वाला महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा ने पारित कर दिया है. 454 सांसदों ने बिल के पक्ष में वोट किया, 2 सांसदों ने इसके खिलाफ वोट किया है.
बुधवार को लोकसभा में लगभग 60 सांसदों ने अपने विचार रखे. आज की शुरुआत कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के विचार से हुई जबकि इस दिन का अंत कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी ने किया दोनों नेताओं ने महिला आरक्षण बिल का समर्थन किया. सोनिया गांधी ने कहा कि ये मरे पति की इच्छा थी उनका सपना था जो पूरा होने जा रहा है. वहीं राहुल गांधी ने भी समर्थन करते हुए इसे 2024 के चुनाव से लागू किए जाने की बात रखी. इसके जवाब में गृहमंत्री अमित शाह ने साफ कर दिया कि यह बिल तो अभी पास हो जाएगा लेकिन यह लागू 2029 के बाद ही होगा.
वहीं लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पर 128वां संशोधन पेश करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सभी वक्ताओं का जवाब देते हुए कहा कि हम बिल पास करा लेंगे.
मेघवाल ने कहा, “इस विधेयक को हम अब फंसने नहीं देंगे. महिलाओं को इंतजार नहीं करना पड़े, इसका पक्का प्रबंध कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा, “हम नहीं चाहते कि लोग जनहित याचिकाएं लगाएं. उनके पास न तो नीति थी, न नीयत थी, न नेतृत्व था. हमारे पास नीति भी है, नीयत भी है और मोदी जी जैसा नेतृत्व भी है.
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राहुल गांधी ने महिला आरक्षण बिल का समर्थन तो किया लेकिन उसे अधूरा बताया और कहा- OBC आरक्षण के बिना यह बिल अधूरा है. इसपर अमित शाह ने पलटवार करते हुए कहा कि यह आरक्षण सामान्य, एससी और एसटी में समान रूप से लागू होगा.
शाह ने कहा कि “चुनाव के बाद तुरंत ही जनगणना और डिलिमिटेशन होगा और महिलाएं की भागीदारी जल्द ही सदन में बढ़ेगी.” शाह ने आगे कहा कि विरोध करने से रिजर्वेशन जल्दी नहीं आएगा.
शाह ने अपनी बात सदन में रखते हुए माना कि यह बिल पहली बार संविधान संशोधन नहीं आया है. उन्होंने कहा कि देवेगौड़ा जी से लेकर मनमोहन जी तक चार बार प्रयास हुए हैं. मैं पूछना चाहता हूं कि क्या मंशा अधूरी थी? सबसे पहले इस पर प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के समय 12 सितंबर 1996 में संविधान संशोधन आया.. कांग्रेस इस समय विपक्ष में थी। विधेयक को सदन में रखने के बाद गीता मुखर्जी की अध्यक्षता में समिति को दे दिया गया, लेकिन विधेयक सदन तक पहुंच ही नहीं पाया.
शाह ने इस दौरान भाजपा की दिवंगत नेता सुषमा स्वराज को भी याद किया.
कांग्रेस नेता अधीर रंजन के द्वारा मंगलवार को इस विधेयक को कांग्रेस द्वारा पेश किए जाने की बात पर शाह ने कह कि जब 11वी लोकसभा आई तो विधेयक लैप्स हो गया, इसके बाद 12वीं लोकसभा अटल बिहारी वाजपेयी के समय बिल आया, लेकिन ये विलोपित हो गया. 13वीं लोकसभा में अटल जी के समय फिर बिल आया, लेकिन अनुच्छेद 107 के तहत बिल विलोपित हो गया. इसके बाद मनमोहन सिंह बिल लेकर आए, लेकिन बिल विलोपित हो गया.
शाह ने अधीर रंजन को विशेषतौर पर कहा कि कोई पुराना बिल जीवित नहीं है. लोकसभा जब विघटित हो जाती है तो लंबित विधेयक विलोपित हो जाते हैं.
मुस्लिम महिलाओं को भी आरक्षण देने की मांग
बुधवार की सुबह सबसे पहले कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने सदन को बिल के बारे में बताया. उनके बाद कांग्रेस की ओर से सोनिया गांधी ने 10 मिनट तक अपनी बात सदन के सामने रखी और चर्चा के दौरान सोनिया बोलीं-” ये बिल तुरंत अमल में लाएं, सरकार को इसे परिसीमन तक नहीं रोकना चाहिए. इससे पहले जातिगत जनगणना कराकर इस बिल में SC-ST और OBC महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था की जाए.”
बता दें कि इस दौरान TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने मुस्लिम महिलाओं को भी आरक्षण देने की मांग की. जिसका जवाब केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने दिया और कहा,”मुस्लिम आरक्षण मांगने वालों को मैं बताना चाहती हूं कि संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण वर्जित है. ”
वहीं इस दौरान सांसद सुप्रिया सुले और एसपी सांसद डिंपल यादव ने भी बिल में OBC महिलाओं को आरक्षण देने की मांग की. सुप्रिया ने कहा कि सरकार बड़ा दिल करके बिल में SC, ST और OBC महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए. वहीं, SP सांसद डिंपल यादव ने कहा कि बिल में OBC और अल्पसंख्यक महिलाओं को भी आरक्षण दिया जाना चाहिए.
हालांकि बिल के समर्थन में सभी पार्टी ने समर्थन किया. शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल, जदयू सांसद कविता सिंह, निर्दलीय सांसद नवनीत राणा, राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के बीजेपी सांसद सीपी जोशी, सीपीआई-एम सांसद एएम आरिफ, स्मृति इरानी के साथ केरल के अलथूर से कांग्रेस सांसद राम्या हरिदास, बीजेपी जगदंबिका पाल, अनुप्रिया पटेल सहित कई सांसदों ने विचार प्रस्तुत किया.
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