नई दिल्ली: महिला आरक्षण बिल के कार्यान्वयन पर संसद में चल रही चर्चा के बीच, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को आरोप लगाया कि “भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार इस बिल को लागू नहीं करेगी और उन्होंने केवल चुनावों में राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए इसे आगे बढ़ाया है.”
उन्होंने कहा, “वे बिल को लागू नहीं करेंगे, अगर वे ऐसा करना चाहते तो पहले ही कर चुके होते.”
बिहार के सीएम ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “महिला आरक्षण जरूरी है और हम शुरू से इसकी मांग कर रहे हैं. वे इसे लागू नहीं करेंगे हमने उनसे जाति आधारित जनगणना करने को कहा है, हमने इसकी मांग की है.”
सदन में बिल को पारित करने के लिए चर्चा आज सुबह 11 बजे शुरू हुई जब केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विधेयक में संशोधन पेश किया.
सरकारी सूत्रों ने बताया कि विधेयक 21 सितंबर को राज्यसभा में पेश किया जाएगा.
इस बीच, महिला आरक्षण विधेयक को तत्काल लागू करने की मांग करते हुए, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने “नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023” विधेयक को अपनी पार्टी का समर्थन दिया.
सोनिया गांधी ने लोकसभा में कहा, “बिल के कार्यान्वयन में देरी देश की महिलाओं के साथ घोर अन्याय है.” उन्होंने कहा, “मैं नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 के समर्थन में खड़ी हूं. महिलाओं से कहा जा रहा है कि उन्हें इसके लिए अभी और इंतजार करना होगा.” इस बिल को कानून बनाया जाए. हम मांग करते हैं कि बिल को तुरंत कानून बनाया जाए. मैं सरकार से अपील करती हूं कि वह तुरंत ऐसा करे.”
उन्होंने केंद्र से अन्य पिछड़ा वर्ग/अनुसूचित जाति (ओबीसी/एससी) समुदायों की महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए जाति जनगणना करने के लिए भी कहा.
पिछड़े और अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय की महिलाओं को शामिल नहीं करने के लिए केंद्र की आलोचना करते हुए, कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने बुधवार को केंद्र से लोकसभा में 2010 विधेयक पारित करने और आरक्षण शुरू करने का आग्रह किया.
सांसद तिवारी ने कहा, ”मैं चुनौती देता हूं कि अगर बीजेपी की नीति और नियत ईमानदार है, तो गारंटी दें कि 2024 के चुनाव में महिलाओं को आरक्षण मिलेगा – हम पूरी ताकत से आपके साथ खड़े रहेंगे.”
तिवारी ने आगे कहा, ”क्या पिछड़े और एससी महिलाएं नहीं हैं? उन्हें शामिल किए बिना आप महिला आरक्षण कैसे लेंगे? मैं केवल यह कहता हूं कि यदि आप ईमानदार थे, तो 2010 का विधेयक जो राज्यसभा द्वारा पारित किया गया था वह अभी भी मौजूद है- आपको उसे लोकसभा में पारित करना चाहिए था और आरक्षण शुरू करना चाहिए था.”
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