नई दिल्ली: पूर्व नौकरशाहों और राजनयिकों के एक समूह ने गुरुवार को चुनाव आयोग को पत्र लिखकर आम आदमी पार्टी की मान्यता वापस लेने की मांग की. उनका आरोप है कि आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कथित तौर पर गुजरात में अपने संगठन की मदद करने के लिए लोक सेवकों को प्रेरित किया था.
कर्नाटक के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव, एम मदन गोपाल ने कहा कि सेवानिवृत्त नौकरशाहों के एक समूह ने आप द्वारा चुनाव चिन्ह (आरक्षण और आवंटन) आदेश की धारा 1 ए के उल्लंघन का हवाला देते हुए इस मामले पर चुनाव आयोग को लिखा था.
उन्होंने आगे कहा, ‘केजरीवाल ने राजकोट में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जो कुछ भी कहा वह बहुत गलत था. हम संविधान में विश्वास करने वाले परेशान हो गए हैं. ऐसा असंतुलित और विवादास्पद बयान वह भी एक राज्य के मुख्यमंत्री से उम्मीद नहीं थी.’
पूर्व नौकरशाह ने कहा, ‘चुनाव से पहले प्रचार करना उनका अधिकार है. सार्वजनिक परिवहन निगमों के ड्राइवरों, कंडक्टरों और पुलिस कर्मियों से एक विशेष पार्टी के लिए काम करने की उनकी अपील बहुत गलत है. लोक सेवकों को किसी राजनीतिक दल के लिए प्रचार नहीं करना चाहिए. हमारी एक आचार संहिता है और हमारी निष्ठा भारत के संविधान के प्रति है. यह प्राथमिकता लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के लिए अच्छी नहीं है.’
गोपाल ने कहा कि अरविंद केजरीवाल एक सरकारी अधिकारी थे और उन्हें ‘क्या करें और क्या न करें’ के बारे में अच्छी तरह से पता है. पूर्व सरकारी अधिकारी होने के नाते प्रेस कांफ्रेंस में गैर जिम्मेदाराना तरीके से बोलना बहुत गलत है.
गोपाल ने कहा कि प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों का गैरजिम्मेदाराना व्यवहार अच्छा नहीं है.
उन्होंने आगे कहा, ‘यह लोक सेवकों के लिए अच्छा नहीं है. हम सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने आदर्श आचरण की मांग करते हुए शिकायत की.’
गोपाल ने कहा कि वे अधिकारी जो कानून के शासन और भारत के संविधान के प्रावधानों में दृढ़ विश्वास रखते हैं, हमने राजनीतिक दलों द्वारा नियमों के उल्लंघन के खिलाफ चुनाव आयोग से अपील की. चुनाव आयोग को इन राजनीतिक दलों को ट्रेंड बनने से पहले नोटिस देना चाहिए और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.
जानकारी के लिए बता दें कि छत्तीस सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने गुरुवार को चुनाव आयोग को पत्र लिखकर अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए आरोप लगाया कि आप संयोजक ने 3 सितंबर को गुजरात में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान लोक सेवकों को पार्टी के लिए काम करने के लिए प्रेरित किया था.
पूर्व आईएएस, आईएफएस और अन्य सेवाओं के अधिकारी पत्र के हस्ताक्षर किए हैं.
पत्र में दावा किया गया कि केजरीवाल के बयान चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के आदेश 16ए का उल्लंघन है और आप की मान्यता रद्द करने की मांग की है.
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