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Thursday, 19 December, 2024
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कांग्रेस में शामिल होने के बजाय कुएं में कूदना पसंद करेंगे : नितिन गडकरी

नितिन गडकरी ने शनिवार को नागपुर में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मैं कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के बजाय कुएं में कूदना पसंद करूंगा क्योंकि मुझे पार्टी की विचारधारा पसंद नहीं है.

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नई दिल्ली: एक घटना को याद करते हुए, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने खुलासा किया कि उनके दोस्त ने एक बार उन्हें कांग्रेस में शामिल होने का सुझाव दिया था, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया कि वह पार्टी में शामिल होने के बजाय कुएं में कूदना पसंद करेंगे.

केंद्रीय मंत्री ने शनिवार को नागपुर में उद्यमियों की एक सभा को संबोधित करते हुए यह खुलासा किया, जिसमें उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें कांग्रेस की विचारधारा पसंद नहीं है.

गडकरी ने आगे कहा, ‘मेरे एक दोस्त ने एक बार मुझसे कहा था कि तुम एक अच्छे इंसान हो. आपका राजनीतिक भविष्य अच्छा है, लेकिन आप गलत पार्टी में हैं. आपको कांग्रेस में शामिल हो जाना चाहिए. मैंने कहा, मैं कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के बजाय कुएं में कूदना पसंद करूंगा क्योंकि मुझे कांग्रेस पार्टी की विचारधारा पसंद नहीं है. तो उन्होंने मुझसे कहा कि आपकी पार्टी का कोई भविष्य नहीं है.

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि राजनीति में आपसी संबंध और सामाजिक कार्य ‘सबसे बड़ी ताकत’ है और ‘इसलिए किसी को इस्तेमाल करके फेंकना नहीं चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘ आपसी इंसानी संबंध, सामाजिक कार्य ही राजनीति की सबसे बड़ी ताकत है. इसलिए किसी को इस्तेमाल करना और फेंकना नहीं चाहिए. अच्छे या बुरे दिन हों, एक बार हाथ थाम लेने के बाद, हमेशा उसे पकड़े रखो.’ बता दें कि उन्हें मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान के साथ, पार्टी के शीर्ष निर्णय लेने वाले निकाय, भाजपा संसदीय बोर्ड से हटा दिया गया था.


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‘गुणवत्ता पर किसी का पेटेंट नहीं है’

गडकरी ने एक पुराने मित्र को भी याद किया, जिन्होंने उन्हें पिछले अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन की जीवनी दी थी, और कहा कि उन्हें पुस्तक में लिखी गई पंक्तियों में से एक से बहुत लाभ हुआ था, जिसमें कहा गया था, ‘एक आदमी तब खत्म नहीं होता है जब वह युद्ध में हार जाता है, वह खत्म हो जाता है जब वह लड़ना छोड़ देता है.’

गडकरी ने आगे कहा, ‘मेरा एक दोस्त आईआईटी गया था. हम चुनाव हार जाते थे. उसने मुझे एक किताब दी थी. एक सुंदर पंक्ति थी जिसे मैंने याद किया है और मेरे लिए फायदेमंद है, और मुझे पूरी उम्मीद है जो उस पंक्ति को आत्मसात कर लेगा हर किसी को उस लाइन से फायदा होगा. वह पंक्तियां कुछ इस प्रकार है, ‘एक आदमी युद्ध में हारने पर खत्म नहीं होता, वह तब हारता है जब वो हार मान लेता है. इसलिए लड़ना चाहिए.’

उन्होंने कहा कि ‘गुणवत्ता पर किसी का पेटेंट नहीं है.’

इस दौरान उन्होंने चुनाव में एक महिला से सीख की बात भी दोहराई. उन्होंने कहा कि मैंने एक बार एक महिला को चुनाव लड़ने और इसकी तैयारी करने के लिए 10 हजार रुपये दिए और कहा जाओ काम शुरू करो. लेकिन उस महिला को चुनाव लड़ने की इजाजत दिए जाने के बाद ही पार्टी में मेरा विरोध शुरू हो गया. जानकार लोग मुझे सीट की गणना समझाने लगे और कहा कि ये सीट अगर उस महिला के पास रहेगी तो हम चुनाव हार जाएंगे.

मैं बहुत संकोच में पड़ गया कि मैं तो उस महिला को कह चुका हूं अब मना कैसे करूंगा फिरभी मैंने हिम्मत की और कहा कि पार्टी में विरोध हो रहा है हम आपको सीट नहीं दे पाएंगे. उस महिला ने उसी समय 6 हजार और कुछ रुपये मुझे वापस दिए और बोली साहब आपको संकोच नहीं करना है. तब मैंने देखा कि कैसे बड़े बड़े लोग जिन्हें पार्टी टिकट नहीं देती तो कितनी गालियां सुनाते हैं और हम मुंह झुकाकर सुनते हैं लेकिन वह महिला एक बार में मना करने के बाद गालियां छोड़ो पैसे तक वापस दे गई.

इसलिए कहता हूं कि हमेशा इंसान को सकारात्मक होना चाहिए. आत्मविश्वास और अहंकार में अंतर है. कोई भी पूर्ण नहीं होता है. हमलोगों से बहुत कुछ सीखते हैं.


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