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Friday, 22 November, 2024
होमराजनीतिक्या धामी की तरह अपनी सीट हारने के बाद भी यूपी में डिप्टी सीएम की कुर्सी बचा पाएंगे केशव मौर्या

क्या धामी की तरह अपनी सीट हारने के बाद भी यूपी में डिप्टी सीएम की कुर्सी बचा पाएंगे केशव मौर्या

बीजेपी के अंदर आम धारणा इस बात की है कि मौर्या को कैबिनेट से हटाने से 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ओबीसी मतदाताओं के बीच एक ख़राब संकेत जाएगा. हालांकि, अंतिम निर्णय केंद्रीय नेतृत्व द्वारा ही लिया जाएगा.

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नई दिल्ली/लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) द्वारा हाल के विधानसभा चुनावों में अपनी सीट गंवाने के बावजूद पुष्कर सिंह धामी को फिर से उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाए जाने की घोषणा के एक दिन बाद उत्तर प्रदेश में भी कुछ इसी बात को दोहराए जाने की संभावना नजर आ रही है.

बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने दिप्रिंट को बताया कि पार्टी के एक प्रमुख ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) चेहरे और योगी आदित्यनाथ की पहली सरकार के दो उपमुख्यमंत्रियों में से एक केशव प्रसाद मौर्या के अपनी कुर्सी पर बने रहने की प्रबल संभावना है.

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि धामी की फिर से बहाली मौर्या के लिए एक ‘शुभ संकेत’ है, जो सिराथू सीट से चुनाव हार गए थे. उन्होंने कहा कि इस फैसले के बाद मौर्य को एक और मौका मिलने की उम्मीद है.

इस नेता ने आगे कहा, ’उन्होंने चुनावों में अथक परिश्रम किया और बड़े मामूली अंतर से अपनी सीट गंवा दी. इस पर अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व ही करेगा.’

उन्होंने कहा, ‘जिस तरह धामी ने उत्तराखंड चुनाव में अहम भूमिका निभाई, उसी तरह मौर्या जी ने भी यहां कई जनसभाएं कीं. स्वामी प्रसाद मौर्य और पिछड़े समुदाय के कई अन्य ओबीसी नेताओं के पार्टी से बाहर जाने के बाद इस बात की चिंता थी कि यह वोट बैंक और खिसक जाएगा लेकिन समुदाय के एक बड़े नेता के रूप में मौर्या की उपस्थिति के कारण, मतदाताओं ने पार्टी में अपना विश्वास दुबारा व्यक्त किया.’

एक अन्य बीजेपी नेता के मुताबिक, जो बात इस मामले में मौर्या के पक्ष को और मजबूत करती है, वह यह है कि धामी के विपरीत, मौर्या को कोई उपचुनाव लड़ने की कोई आवश्यकता नहीं है. यह इसलिए क्योंकि यूपी में दो सदनों वाली विधायिका है, जिसका अर्थ है कि वह कभी भी विधान परिषद के सदस्य बन सकते हैं.

पार्टी के एक अन्य नेता ने कहा, ‘वह आसानी से उच्च सदन के माध्यम से सदन का रास्ता तय कर सकते हैं और किसी उपचुनाव की जरूरत नहीं होगी.’

पार्टी नेतृत्व के बीच आम भावना यह है कि चूंकि मौर्या को डिप्टी सीएम के पद पर पदोन्नत किया गया था, अतः उन्हें कैबिनेट से पूरी तरह से हटाए जाने से 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले ओबीसी मतदाताओं के बीच बहुत ही ख़राब संकेत जाएगा.

यूपी के एक बीजेपी नेता ने दिप्रिंट को बताया, ‘उन्हें सिर्फ कैबिनेट मंत्री के रूप में बनाए रखना भी इस बात का एक संकेत होगा कि उन्हें एक तरह से डिमोट (पदावनत) किया गया है. पार्टी लोकसभा चुनाव से पहले प्रतीकों के महत्व को लेकर बहुत सावधान है.’


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दूसरे डिप्टी सीएम को लेकर उहापोह की स्थिति 

हालांकि, पार्टी में कई लोगों को पूरा विश्वास है कि मौर्या को कैबिनेट में शामिल किया जाएगा और उन्हें एक बार फिर से डिप्टी सीएम बनाए जाने की भी संभावना है. पार्टी इस बात को लेकर दुविधा में है कि क्या दिनेश चंद्र शर्मा जिन्होंने पिछले कार्यकाल में दूसरे डिप्टी सीएम के रूप में कार्य किया था क्या उन्हें भी रखा जाएगा.

ऊपर उद्धृत पहले बीजेपी नेता ने कहा, ‘अगर मौर्या को डिप्टी सीएम बनाया जाता है तो शर्मा को बाहर किए जाने का कोई कारण नहीं है. बेबी रानी मौर्या सहित कुछ नाम निश्चित रूप से चर्चा में चल रहे हैं लेकिन इस पर अभी तक कोई स्पष्टता नहीं है.’

हालांकि, पार्टी के एक अन्य वरीय सदस्य ने कहा कि मौर्या को शामिल करने पर फैसला केंद्रीय नेतृत्व ही करेगा. उन्होंने कहा, ‘मौर्या विरोधी खेमें ने उनके शामिल किए जाने पर आपत्ति व्यक्त की है और वे यह भी चाहते हैं कि कुछ नए चेहरों को मौका दिया जाए. आखिरी फैसला आलाकमान करेगा.’

पार्टी सूत्रों के अनुसार, 10 मार्च को यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद से ही मौर्या नवनिर्वाचित विधायकों, एमएलसी चुनावों के लिए बीजेपी के उम्मीदवारों और राज्य में पार्टी के अन्य नेताओं से मिलने में व्यस्त रहे हैं.

डिप्टी सीएम की संख्याकैबिनेट में नए चेहरों को लेकर तेज हैं अटकलें

योगी आदित्यनाथ के दूसरे मंत्रालय द्वारा 25 मार्च को शपथ लिया जाना तय होने साथ ही कैबिनेट में कई नए चेहरों को शामिल किये जाने और भाजपा द्वारा तीन डिप्टी सीएम की नियुक्ति की संभावना के बारे में अटकलें लगाई जा रही हैं.

जिन नामों की फिलहाल चर्चा चल रही है उनमें उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल और बीजेपी की जाटव चेहरा मानी जाने वाली बेबी रानी मौर्या, भाजपा के यूपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, पूर्व आईएएस अधिकारी ए.के. शर्मा, गाजियाबाद के विधायक सुनील शर्मा और प्रवर्तन निदेशालय के पूर्व संयुक्त निदेशक राजेश्वर सिंह शामिल हैं.

योगी 2.0 कैबिनेट की दो ऐसी लिस्ट सोशल मीडिया पर घूम रहीं हैं, जिनके बारे में बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने उनके ‘फर्जी’ होने की पुष्टि की है.

इस बीच बीजेपी नेताओं का कहना है कि अंतिम समय में भी फेरबदल होने की संभावना है.

राज्य में पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट को बताया कि ‘2017 के चुनाव के बाद भी सीएम के चेहरे के बारे में बहुत कुछ कहा गया था. एक नेता जी तो काशी विश्वनाथ मंदिर में आशीर्वाद लेने भी चले गए थे. लेकिन आप ने देखा कि अंत में क्या हुआ. योगी जी को एक फोन गया और सारी-की-सारी परिस्थिति बदल गई. इन अटकलों पर तब तक भरोसा नहीं करना चाहिए जब तक कि कोई आधिकारिक घोषणा न हो जाए.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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