नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी के गुना—शिवपुरी लोकसभा सीट के उम्मीदवार के कांग्रेस में शामिल होने पर बसपा प्रमुख मायावती का गुस्सा फूट गया है. माया ने नाराज़गी जताते हुए ट्वीट किया कि बसपा मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार को समर्थन जारी रखने पर पुनर्विचार करेगी. इससे राज्य की कमलनाथ सरकार पर संकट छा सकता है. फिल्हाल प्रदेश में बसपा के दो विधायक सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे हैं. वहीं शनिवार को मायावती मुरैना में रैली करने वाली हैं.
मायावती के मप्र सरकार को समर्थन पर पुनर्विचार करने के मसले पर मंगलवार शाम सीएम कमलनाथ ने बयान जारी कर कहा कि बसपा और हमारा लक्ष्य एक ही है. भाजपा की विदाई. हमारे बीच कोई मतभेद नहीं है. यदि कोई गलतफहमी हुई होगी तो उसे मिल बैठकर दूर कर लेंगे. हमारे बीच कोई मनमुटाव नहीं है.
मध्य प्रदेश में अपनी सियासी ज़मीन तलाश रही बसपा को झटका लगा है. सोमवार को गुना—शिवपुरी से बसपा के प्रत्याशी लोकेंद्र सिंह राजपूत ने कांग्रेस का दामन थाम लिया. राजपूत कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ मैदान में उतरे थे. चुनाव में इसका सीधा फायदा कांग्रेस प्रत्याशी सिंधिया को होगा. बीजेपी ने इस सीट से केपी यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है. यादव भी कभी सिंधिया के करीबी हुआ करते थे.
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प्रदेश के राजनीतिक हलकों में यह चर्चा ज़ोरों पर है कि भाजपा कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को गिराने की अंदरखाने कोशिश कर रही है. लोकसभा चुनाव में अगर भाजपा को बहुमत मिलता है तो राज्य में सरकार गिराने की कोशिश तेज़ हो सकती है. इसलिए पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान राज्य में अपनी सक्रियता बनाए हुए हैं. कुछ माह पूर्व राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयर्गीय का बयान भी सामने आया था कि अगर हमें आलाकमान एक इशारा मिले तो हम सरकार को बदल देंगे. राज्य की 230 सदस्यों वाली विधानसभा में अभी सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के 114 विधायक हैं. वहीं भाजपा के पास 109 सदस्य हैं. इनमें बसपा के दो विधायक, सपा का एक और 4 अन्य निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन दिया है.
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सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के मामले में कांग्रेस भी बीजेपी से कम नहीं। एमपी के गुना लोकसभा सीट पर बीएसपी उम्मीदवार को कांग्रेस ने डरा-धमकाकर जबर्दस्ती बैठा दिया है किन्तु बीएसपी अपने सिम्बल पर ही लड़कर इसका जवाब देगी व अब कांग्रेस सरकार को समर्थन जारी रखने पर भी पुनर्विचार करेगी।
— Mayawati (@Mayawati) April 30, 2019
राज्य में गुना—शिवपुरी लोकसभा सीट हमेशा से सिंधिया परिवार का गढ़ मानी जाती है. इस सीट से कांग्रेस के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना लोकसभा सीट से मैदान में हैं. इसके पहले के चारों लोकसभा चुनाव में सिंधिया लगातार जीतते रहे हैं. कांग्रेस पाटी ने इस बार फिर सिंधिया पर ही भरोसा जताया है. इस सीट पर 12 मई को वोट डाले जाएंगे
माया इन वजहों से हैं कांग्रेस से नाराज़
साथ ही, यूपी में कांग्रेसी नेताओं का यह प्रचार कि बीजेपी भले ही जीत जाए किन्तु बसपा-सपा गठबंधन को नहीं जीतना चाहिए, यह कांग्रेस पार्टी के जातिवादी, संकीर्ण व दोगले चरित्र को दर्शाता है। अतः लोगों का यह मानना सही है कि बीजेपी को केवल हमारा गठबंधन ही हरा सकता है। लोग सावधान रहें।
— Mayawati (@Mayawati) April 30, 2019
बसपा उम्मीदवार के कांग्रेस में शामिल होने के बाद से कांग्रेस की मुश्किले बढ़ सकती हैं. राज्य में गठबंधन और किसी भी उम्मीदवार को मंत्री पद नहीं देने से बसपा प्रमुख पहले ही नाराज़ चल रही हैं. दूसरी तरफ इन चुनावों में यह पहला मौका नहीं है कि बसपा का कोई नेता कांग्रेस में शामिल हुआ हो. हाल ही उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी को कांग्रेस ने बिजनौर लोकसभा सीट से टिकट दिया है. वहीं प्रदेश में दलितों की ही राजनीति करने वाले भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर से प्रियंका गांधी की मुलाकात भी बसपा सुप्रीमो को पसंद नहीं आई थी. इसके अलावा जब से कांग्रेस ने प्रियंका को महासचिव के रूप में उत्तर प्रदेश की ज़िम्मेदारी सौंपी है तब से उनकी टीम राज्य के दलित मतदाताओं पर फोकस कर रही है. यह भी बसपा प्रमुख की नाराज़गी का एक बड़ा कारण है. कई चुनावी सभाओं में मायावती कांग्रेस और भाजपा दोनों को एक जैसा ही बता रही हैं.
कांग्रेस ने खरीद लिया हमारा उम्मीदवार
मध्य प्रदेश से बसपा के प्रदेश अध्यक्ष डीपी चौधरी ने दिप्रिंट हिंदी से चर्चा में कहा कि भिंड क्षेत्र से विधायक संजीव सिंह और पथरिया से विधायक रामबाई कांग्रेस सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे हैं. पार्टी गुना—शिवपुरी सीट से जल्द ही उम्मीदवार घोषित कर पार्टी पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरेगी. चौधरी ने बसपा के उम्मीदवार रहे लोकेंद्र सिंह राजपूत को खरीदने का आरोप लगाया है. पार्टी राज्य सरकार से समर्थन वापस लेगी या नहीं यह फैसला पार्टी प्रमुख करेंगी.
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मध्य प्रदेश में हिंदुस्तान टाइम्स अखबार के चीफ ब्यूरों रंजन श्रीवास्तव ने दिप्रिंट हिंदी से कहा कि `बसपा प्रमुख अगर राज्य की कमलनाथ सरकार से समर्थन वापस भी लेती हैं तो भी राज्य सरकार पर कोई संकट नहीं पैदा होगा. कांग्रेस के पास अभी 114 विधायक हैं. उन्हें बहुमत के लिए दो लोगों की ज़रूरत है. जो चार अन्य विधायक फिलहाल सरकार को समर्थन दे रहे हैं वह पूर्व में ही थे. फिलहाल अभी भी इनका समर्थन बरकरार है.’
मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के मीडिया कोऑर्डिनेटर नरेंद्र सिंह सुलजा ने दिप्रिंट हिंदी को बताया कि `प्रदेश में कांग्रेस और बसपा एक हैं. स्थानीय समीकरण को देखते हुए गुना—शिवपुरी का प्रत्यशी कांग्रेस में शामिल हुआ है. बसपा प्रमुख का गुस्सा क्षणिक है. इस संबंध में पार्टी आलाकमान चर्चा करेगा.’
बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा और मप्र से राज्यसभा सांसद ने दिप्रिंट हिंदी से बातचीत में कहा कि `बसपा प्रमुख मायावती को अपनी पार्टी में किसी से सलाह की जरूरत नहीं है. उनकी पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र नहीं है. इस विषय पर विचार तो उन्हीं को करना है. जो फैसला लेना है जल्दी लें. समय और परिस्थितियों को देखते हुए हम आगे के फैसलों पर विचार करेंगे`.